संदर्भ:
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसानायके की हाल ही में 5 अप्रैल को कोलंबो स्थित राष्ट्रपति सचिवालय में द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस उच्च स्तरीय बैठक में रक्षा, ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूती प्रदान करने वाले कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
ऐतिहासिक रक्षा समझौता और प्रमुख समझौते-
दोनों देशों के मध्य ऐतिहासिक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जो द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है। यह पहला ढांचा समझौता निम्नलिखित पहलुओं पर केंद्रित है:
• संयुक्त सैन्य अभ्यासों को औपचारिक रूप देना, जिससे संचालन क्षमता में सुधार हो।
• श्रीलंकाई रक्षा कर्मियों के लिए भारत में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार।
• सैन्य अधिकारियों के बीच उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
यह समझौता भारत की शांति सेना (IPKF) की श्रीलंका में तैनाती के लगभग चार दशक बाद एक महत्वपूर्ण रणनीतिक परिवर्तन को दर्शाता है।
अन्य प्रमुख समझौते
• ऊर्जा और अवसंरचना: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके अंतर्गत त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें एक बहुउद्देश्यीय ऊर्जा पाइपलाइन भी शामिल है। संपूर सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया गया, साथ ही विद्युत ग्रिड संयोजन समझौते पर भी हस्ताक्षर हुए जिससे श्रीलंका को विद्युत निर्यात की सुविधा मिलेगी।
• डिजिटल परिवर्तन: भारत की डिजिटल समाधान की सहायता से श्रीलंका के डिजिटल परिवर्तन को सुदृढ़ करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
• ऋण पुनर्गठन और आर्थिक सहायता: भारत ने श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के आर्थिक विकास के लिए 2.4 अरब श्रीलंकाई रुपये की सहायता राशि की घोषणा की।
• नवीकरणीय ऊर्जा: भारत ने 5,000 धार्मिक स्थलों – हिंदू, बौद्ध, ईसाई और मुस्लिम पूजा स्थलों – को सौर छत प्रणालियाँ उपलब्ध कराने हेतु 1.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता देने की घोषणा की, जिससे 25 मेगावाट हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा।
• स्वास्थ्य और चिकित्सा:
o भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और श्रीलंका के स्वास्थ्य एवं जनसंचार मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए, जिसका उद्देश्य चिकित्सा प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
o भारतीय औषधीय मानक आयोग और श्रीलंका की राष्ट्रीय औषधि नियामक प्राधिकरण के बीच एक समझौता हुआ, जिससे औषधीय मानकों और नियामकीय सहयोग को सुदृढ़ किया जाएगा।
श्रीलंका को भारत की विकास सहायता-
प्रधानमंत्री मोदी ने एक समग्र क्षमता निर्माण कार्यक्रम की घोषणा की, जिसके अंतर्गत हर वर्ष 700 श्रीलंकाई नागरिकों को भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, भारत ने सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिरों के पुनरुद्धार और विकास के लिए अनुदान सहायता देने का वादा किया, जिनमें शामिल हैं:
• त्रिंकोमाली का तिरुकोनेश्वरम मंदिर।
• नुवारा एलिया का सीता एलिया मंदिर।
• अनुराधापुरा में पवित्र नगरी परिसर।
भारत अंतर्राष्ट्रीय वेसाक दिवस 2025 पर श्रीलंका में भगवान बुद्ध के अवशेषों की प्रदर्शनी भी आयोजित कराएगा।
अवसंरचना और ऊर्जा परियोजनाएं
• डांबुल्ला में 5000 मीट्रिक टन क्षमता का ताप-नियंत्रित गोदाम – कृषि भंडारण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को सशक्त बनाना।
• धार्मिक स्थलों के लिए 5000 सौर छत इकाइयाँ – सभी 25 जिलों में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना।
• 120 मेगावाट का संपूर सौर परियोजना – सतत ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम, जिसे वर्चुअल भूमि पूजन समारोह के माध्यम से आरंभ किया गया।
अन्य प्रमुख भारत समर्थित परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, जिनमें शामिल हैं:
• महो-ओमानथाई रेलवे लाइन के उन्नत ट्रैक – रेलवे संपर्क और दक्षता में सुधार।
• महो-अनुराधापुरा रेलवे लाइन के लिए सिग्नलिंग सिस्टम का निर्माण – संचालन की सुरक्षा हेतु रेलवे अवसंरचना का आधुनिकीकरण।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा ने दोनों देशों के मजबूत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों को एक बार फिर मजबूत किया। इस दौरान हुए समझौतों और शुरू की गई परियोजनाओं से यह स्पष्ट होता है कि भारत श्रीलंका के आर्थिक विकास, ऊर्जा स्थिरता और तकनीकी प्रगति में सक्रिय सहयोगी भूमिका निभा रहा है।