संदर्भ:
हाल ही में द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 1990 से 2021 के बीच भारत में आत्महत्या मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। 1990 से 2021 के बीच पिछले तीन दशकों में देश में आत्महत्या से जुड़ी मृत्यु दर में 31.5 फीसदी की गिरावट आई है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
· भारत की आत्महत्या मृत्यु दर 1990 में 18.9 प्रति लाख थी, जो 2021 में घटकर 13 प्रति लाख हो गई, जिससे मानसिक स्वास्थ्य परिदृश्य में सकारात्मक परिवर्तन का संकेत मिलता है। महिलाओं में यह गिरावट अधिक स्पष्ट रही, जहाँ आत्महत्या दर 1990 में 16.8 प्रति लाख से घटकर 2021 में 10.3 प्रति लाख हो गई। वहीं, पुरुषों में यह दर 1990 में 20.9 प्रति लाख से कम होकर 2021 में 15.7 प्रति लाख रह गई।
· हालाँकि, इस समग्र प्रगति के बावजूद, 2020 में भारत में आत्महत्या मृत्यु दर सबसे अधिक शिक्षित महिलाओं में दर्ज की गई, जिसमें प्रमुख कारण पारिवारिक मुद्दे रहे। यह विशेष रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं द्वारा झेली जा रही मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों को उजागर करता है, जहाँ सामाजिक अपेक्षाएँ और दबाव मानसिक तनाव को बढ़ाते हैं।
· वैश्विक स्तर पर 1990 से 2021 के बीच आत्महत्या सम्बंधित मृत्यु दर में 39.5 फीसदी की गिरावट आई है। गौरतलब है कि 1990 में प्रति लाख लोगों में से करीब 15 ने आत्महत्या की थी। वहीं 2021 में यह आंकड़ा घटकर 9 रह गया।
भारत में आत्महत्याओं को कम करने की प्रमुख पहल:
1. आत्महत्या का गैर-अपराधीकरण:
· मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम, 2017 ने आत्महत्या को गैर-अपराधीकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन दर्शाता है। इससे पहले, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 309 के तहत आत्महत्या को अपराध माना जाता था। इस कानूनी सुधार ने आत्महत्या से जुड़े कलंक को कम करने में मदद की और प्रभावित व्यक्तियों को कानूनी परिणामों के भय के बिना आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
2. राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (2022):
· 2022 में शुरू की गई इस राष्ट्रीय रणनीति का लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर को 10% तक कम करना है। यह पहल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुँच और जागरूकता अभियानों को प्राथमिकता देती है, जिससे आत्महत्या की रोकथाम को बहुआयामी दृष्टिकोण से प्रभावी रूप से संबोधित किया जा सके।
3. WHO की मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना (2013-2030):
· विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना समग्र कल्याण में मानसिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है। यह पहल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और आत्महत्या रोकथाम के लिए प्रभावी हस्तक्षेप लागू करने के भारत के प्रयासों के अनुरूप है।
निष्कर्ष:
भारत में आत्महत्या मृत्यु दर में गिरावट, विशेषकर महिलाओं में, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और सुधारात्मक कदमों की सफलता को दर्शाती है। आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से हटाना, राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (2022) और WHO की मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना जैसे प्रयास भारत की इस दिशा में प्रतिबद्धता को दिखाते हैं। हालाँकि, चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं, विशेषकर शिक्षित महिलाओं के बीच, जहाँ आत्महत्या दर को और कम करने के लिए बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सहायता आवश्यक है।