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Blog / 24 Apr 2025

भारत–सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी

सन्दर्भ: 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में सऊदी अरब के जेद्दा यात्रा भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण रही। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद (SPC) की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता की और रणनीतिक व उभरते क्षेत्रों में कई समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि यह यात्रा जम्मू-कश्मीर में हुए एक आतंकी हमले के कारण संक्षिप्त हो गई।

2025 की द्विपक्षीय भागीदारी के प्रमुख परिणाम:

दो नए मंत्री-स्तरीय समिति गठित की गईंएक रक्षा सहयोग पर और दूसरी पर्यटन व सांस्कृतिक सहयोग पर। इसके साथ ही अब SPC चार प्रमुख समितियों के माध्यम से कार्य करती है:

1.        राजनीतिक, वाणिज्य दूतावास और सुरक्षा सहयोग

2.      रक्षा सहयोग

3.      अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, निवेश और प्रौद्योगिकी

4.     पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग

सऊदी अरब ने ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भारत में 100 अरब अमेरिकी डॉलर निवेश करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। हाई-लेवल टास्क फोर्स ऑन इन्वेस्टमेंट (HLTF) ने कर सुधारों और भारत में दो प्रमुख रिफाइनरियों की स्थापना जैसी परियोजनाओं में सहयोग को बढ़ावा दिया है।

प्रमुख समझौते और एमओयू:
अंतरिक्ष सहयोग: सऊदी स्पेस एजेंसी और भारत के डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के बीच शांतिपूर्ण अंतरिक्ष गतिविधियों पर समझौता।
स्वास्थ्य सहयोग: दोनों देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के बीच स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने हेतु समझौता।
एंटी-डोपिंग: SAADC और NADA के बीच शिक्षा और रोकथाम हेतु समझौता।
डाक सेवाएं सहयोग: सऊदी पोस्ट और भारत के डाक विभाग के बीच सतही पार्सल सेवाओं पर समझौता।

भारत और सऊदी अरब की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकसित होती साझेदारी:

भारत-सऊदी संबंध कूटनीति, अर्थव्यवस्था, रक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में निरंतर मजबूत हुए हैं। भारत, सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, वहीं सऊदी अरब, भारत के लिए पांचवां सबसे बड़ा भागीदार है।

  • अर्थव्यवस्था: FY 2023–24 में, द्विपक्षीय व्यापार 42.98 अरब डॉलर रहा, जिसमें भारतीय निर्यात 11.56 अरब डॉलर और आयात 31.42 अरब डॉलर रहा। भारतीय निवेश सऊदी अरब में 3 अरब डॉलर है, जबकि सऊदी निवेश, विशेषकर पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF) के माध्यम से, भारत में 10 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

सऊदी अरब भारत में 20वां सबसे बड़ा एफडीआई योगदानकर्ता है, जिसने 2000 से 2024 के बीच कुल 3.22 अरब डॉलर का निवेश किया है।

  • ऊर्जा: 2023–24 में सऊदी अरब भारत का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता (14.3%) और एलपीजी आपूर्तिकर्ता (18.2%) रहा।
  • रक्षा: रक्षा सहयोग संयुक्त अभ्यासों जैसे EX-SADA TANSEEQ (स्थल) और Al Mohed Al Hindi (नौसेना) के माध्यम से बढ़ा है।
  • सांस्कृतिक संबंध: द्विपक्षीय हज समझौते 2024 के तहत 1.75 लाख भारतीय तीर्थयात्रियों को अनुमति दी गई, जिसमें बिना मेहरम महिलाओं का भी समर्थन शामिल है। सऊदी अरब में योग को मान्यता और 2018 में नौफ अल-मारवाई को पद्म श्री सम्मान दिए जाने से सांस्कृतिक संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं। सऊदी अरब में 26 लाख भारतीयों की संख्या इसे वहां का सबसे बड़ा प्रवासी समूह बनाती है।

मुख्य चुनौतियाँ:

श्रमिक कल्याण अभी भी चिंता का विषय है, क्योंकि कई भारतीय कामगार "कफाला" जैसे कठोर सिस्टम के तहत शोषण का सामना करते हैं। भारत के सऊदी अरब से व्यापार घाटा लगभग 20 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जिसका कारण मुख्य रूप से तेल पर निर्भरता और वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव है। इसके अतिरिक्त, यमन में सऊदी की कार्रवाई, कतर नाकाबंदी और ईरान के साथ प्रतिद्वंद्विता जैसे क्षेत्रीय कदम भारत के लिए कूटनीतिक चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं, विशेषकर जब सऊदी के चीन और पाकिस्तान के साथ संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं।

आगे की राह:

हरित ऊर्जा, विशेषकर सौर और हाइड्रोजन के क्षेत्र में सहयोग सऊदी विज़न 2030 के साथ मेल खाता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और फिनटेक प्रयोगशालाओं के माध्यम से एक डिजिटल सिल्क रोड तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दे सकता है। भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (IMEC) जैसे रणनीतिक संपर्क परियोजनाएं और GCC मंचों के माध्यम से भागीदारी भारत के क्षेत्रीय हितों को और सुरक्षित कर सकती हैं।