संदर्भ:
हाल ही में भारत के विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार और मंगोलिया के विदेश मंत्रालय के राज्य सचिव मुंखतुशिग लखनाजाव के बीच एक महत्वपूर्ण परामर्श बैठक हुई। दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की और विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को और सुदृढ़ करने के उपायों पर चर्चा की।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
· चर्चा में विकास साझेदारी, शिक्षा और आईटी, ऊर्जा और कनेक्टिविटी, संस्कृति और क्षमता निर्माण, खनन और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया। दोनों देशों ने इन क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने के उपायों पर विचार किया, जिससे उनकी रणनीतिक साझेदारी को नई गति मिलेगी।
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना:
· भारत और मंगोलिया ने उच्च-स्तरीय जुड़ाव के महत्व को रेखांकित किया और विभिन्न नए क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कई कार्यक्रमों के आयोजन का निर्णय लिया, जो उनकी दीर्घकालिक साझेदारी को दर्शाता है।
विदेश कार्यालय परामर्श (FOC) को उन्नत करना:
बैठक का एक प्रमुख परिणाम विदेश कार्यालय परामर्श (FOC) को सचिव स्तर तक उन्नत करने का निर्णय था। इस कदम से:
- द्विपक्षीय चर्चाओं के लिए एक संरचित रूपरेखा विकसित होगी।
- संवाद को अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाया जा सकेगा।
- भारत और मंगोलिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ किया जा सकेगा।
इस उन्नयन से दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक चुनौतियों के प्रति संबंधों को और अधिक संवेदनशील व प्रासंगिक बनाया जा सकेगा।
भारत-मंगोलिया संबंधों की पृष्ठभूमि:
· भारत और मंगोलिया के बीच 2,000 वर्षों से भी अधिक समय से गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। भारत 1955 में मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला समाजवादी ब्लॉक के बाहर पहला देश था। तब से दोनों देशों ने साझा मूल्यों और आपसी सम्मान के आधार पर एक मजबूत साझेदारी विकसित की है।
· 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगोलिया यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपनी रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की, जिससे संबंध और अधिक प्रगाढ़ हुए।
· भारत और मंगोलिया नियमित रूप से ‘नोमैडिक एलीफेंट’ नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं, जिसकी शुरुआत 2004 में हुई थी। इसके अतिरिक्त, भारतीय सशस्त्र बल मंगोलिया में आयोजित वार्षिक बहुपक्षीय शांति अभ्यास ‘खान क्वेस्ट’ में भी भाग लेते हैं।
भारत के लिए मंगोलिया का महत्व:
- मध्य एशिया तक पहुँच: मंगोलिया का भौगोलिक स्थान भारत को मध्य एशिया तक पहुँचने का अवसर प्रदान करता है, जो प्राकृतिक संसाधनों और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
- व्यापार और निवेश: मंगोलिया तांबा, कोयला और यूरेनियम जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। भारत इन क्षेत्रों में व्यापार और निवेश के अवसरों की तलाश कर सकता है।
- चीन के प्रभाव का संतुलन: मंगोलिया का रणनीतिक स्थान भारत को क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का अवसर प्रदान करता है।
आगे की राह:
भविष्य की ओर देखते हुए, भारत और मंगोलिया अपने द्विपक्षीय सहयोग को और विस्तारित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों देश साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के आधार पर नए अवसरों की खोज कर रहे हैं, जिससे उनकी रणनीतिक साझेदारी और अधिक सुदृढ़ होगी।