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Blog / 18 Jan 2025

भारत अंतरिक्ष डॉकिंग में चौथा देश बना

संदर्भ :

हाल ही में भारत ने अंतरिक्ष डॉकिंग में सफलता प्राप्त कर अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। इसरो के स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन के तहत, SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) नामक दो छोटे अंतरिक्ष यानों का उपयोग करके यह उपलब्धि हासिल की गई।

अंतरिक्ष डॉकिंग के बारे में:

अंतरिक्ष डॉकिंग दो तेजी से गतिमान उपग्रहों को अंतरिक्ष में सटीक रूप से जोड़ने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।

भारत का अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन विवरण:

SpaDeX मिशन में दो अंतरिक्ष यान शामिल थे - SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) - जोकि सफलतापूर्वक कक्षा में डॉक हो गए। यह तकनीक भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और उपग्रह सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसे अन्य देश हैं जिन्होंने भारत से पहले सफल अंतरिक्ष डॉकिंग किया है। इस विशिष्ट समूह में शामिल होकर भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण समुदाय में अपनी स्थिति को मजबूत किया है।

SpaDeX मिशन के बारे में:

मिशन पृष्ठभूमि:

दिसंबर 2024 में, इसरो ने श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C60 रॉकेट के माध्यम से SpaDeX मिशन लॉन्च किया। इस मिशन में SpaDeX उपग्रह और इसके साथ 24 PS4-ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल (POEM-4) पेलोड शामिल थे।

मिशन का उद्देश्य:

इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य दो छोटे उपग्रहों, SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) के बीच स्वायत्त रेंडेज़-वूस और डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना था।

मिशन लक्ष्य:

  • रेंडेज़-वूस और डॉकिंग: SDX01 (चेज़र) को SDX02 (टारगेट) तक पहुंचाना और दोनों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए स्वायत्त तकनीक विकसित करना।
  • नियंत्रणीयता मूल्यांकन: एक बार डॉक होने के बाद, दोनों अंतरिक्ष यानों को एक इकाई के रूप में नियंत्रित करने और स्थिरता बनाए रखने की क्षमता का मूल्यांकन करना।
  • पावर ट्रांसफर: डॉक किए गए अंतरिक्ष यानों के बीच बिजली हस्तांतरण की क्षमता का परीक्षण करना।
  • जीवन विस्तार: टारगेट अंतरिक्ष यान के परिचालन जीवन को बढ़ाने की संभावना का पता लगाना।

मिशन अवधि:

डॉकिंग संचालन के बाद मिशन की अवधि दो वर्ष तक रहने की संभावना है।

SpaDeX मिशन के लिए विकसित स्वदेशी तकनीकें:

प्रयुक्त प्रमुख प्रौद्योगिकियां:

  • इंटर-सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिंक (ISL): दो अंतरिक्ष यानों के बीच स्वायत्त संचार की सुविधा प्रदान करता है।
  • GNSS-आधारित RODP प्रोसेसर: यह सिस्टम अंतरिक्ष यान की सापेक्ष स्थिति और वेग निर्धारित करता है, जो सटीक डॉकिंग के लिए महत्वपूर्ण है।
  • अन्य स्वदेशी प्रौद्योगिकियां:
    • डॉकिंग मैकेनिज्म: दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ने में सक्षम बनाता है।
    • सेंसर सूट: स्वायत्त डॉकिंग संचालन के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है।
    • स्वायत्त रेंडेज़-वूस रणनीति: यह सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष यान बिना किसी मैन्युअल हस्तक्षेप के संपर्क में आएं और डॉक करें।

भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए SpaDeX मिशन का महत्व

भविष्य के मिशनों के लिए समर्थन: SpaDeX तकनीक भारत के दीर्घकालिक अंतरिक्ष उद्देश्यों, जैसे चंद्रमा से नमूना वापसी और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के विकास में योगदान देगी।

उपग्रह सेवा: डॉकिंग तकनीक उपग्रहों की सर्विसिंग और ईंधन भरने की अनुमति देती है, जिससे उनके परिचालन जीवन को बढ़ाया जा सकता है और उपग्रह रखरखाव की लागत को कम किया जा सकता है।

भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए लाभ

  • बहु-रॉकेट लॉन्च: इस तकनीक का उपयोग कई रॉकेटों का एक साथ लॉन्च करके बड़े अंतरिक्ष स्टेशन या अन्य विशाल संरचनाओं का निर्माण करने के लिए किया जा सकता है।
  • संभावित अनुप्रयोग:

o   अंतरिक्ष रोबोटिक्स: उपग्रहों की मरम्मत और अन्य जटिल कार्यों के लिए रोबोट का उपयोग करने में यह तकनीक सहायक होगी।

o   प्राकृतिक संसाधन निगरानी: पृथ्वी के संसाधनों और पर्यावरण की निगरानी के लिए इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।