होम > Blog

Blog / 23 Jan 2025

भारत-फ्रांस संबंध

संदर्भ:

भारत और फ्रांस ने भारत-फ्रांस होराइजन 2047 रोडमैप की समीक्षा करते हुए उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है।

·        उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकियां रक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, साइबर और डिजिटल प्रौद्योगिकियों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी जटिल और औद्योगिक 4.0 प्रौद्योगिकियों को संदर्भित करती हैं।

भारत-फ्रांस होराइजन 2047 रोडमैप के बारे में:

·        'होराइजन 2047' रोडमैप भारत की दीर्घकालिक रणनीति है जिसका लक्ष्य 2047 तक भारत को वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में स्थापित करना है। यह योजना सुरक्षा, स्थिरता और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है।

·        जुलाई 2023 में पेरिस में प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच एक बैठक के दौरान होराइजन 2047 रोडमैप का अनावरण किया गया था, जिसका उद्देश्य व्यापार और निवेश से लेकर रणनीतिक सहयोग तक विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना है।

भारत और फ्रांस के संबंधों के बारे में:

1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के तुरंत बाद भारत और फ्रांस के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए, जिसने कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, फ्रांस भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है, जोकि भारत के रक्षा आयातों का 33% हिस्सा है। प्रमुख परियोजनाओं में राफेल विमान की खरीद और पी-75 स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना शामिल है।

  • राफेल विमान खरीद: भारत ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाते हुए राफेल जेट खरीदे हैं।
  • पी-75 स्कॉर्पीन परियोजना: इसमें भारत की नौसेना के लिए उन्नत स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है।
  • मेंटेनेंस रिपेयर एंड ओवरहॉल (एमआरओ) सुविधाएं: यह उन्नत विमान प्रणोदन (लीप) और राफेल इंजन रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

भारत और फ्रांस के बीच प्रमुख सैन्य अभ्यास:

  • द्विपक्षीय अभ्यास: उल्लेखनीय अभ्यासों में वरुण (नौसैनिक अभ्यास) और फ्रिंजैक्स-23 (संयुक्त सैन्य अभ्यास) शामिल हैं।
  • बहुपक्षीय अभ्यास: फ्रांस और भारत अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के सहयोग से ला पेरूज़ और ओरियन जैसे बहुपक्षीय अभ्यासों में भाग लेता है।

भारत-फ्रांस इंडो-पैसिफिक रोडमैप के बारे में:

भारत-फ्रांस इंडो-पैसिफिक रोडमैप 2023 में जारी किया गया था, जिसका उद्देश्य भारतीय महासागर क्षेत्र से परे पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना है। यह रोडमैप क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर केंद्रित है।

अंतरिक्ष में भारत और फ्रांस का सहयोग:

फ्रांस भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक प्रमुख घटक आपूर्तिकर्ता है। दोनों देश भविष्य के प्रक्षेपण वाहनों और त्रिशना पृथ्वी अवलोकन मिशन पर सहयोग करने के लिए सहमत हुए हैं, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार हो रहा है।

भारत और फ्रांस के बीच आर्थिक सहयोग:

फ्रांस भारत में एक प्रमुख निवेशक है। वित्त वर्ष 2022-23 में फ्रांस का भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 659.77 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

·        उल्लेखनीय आर्थिक परियोजनाओं में टाटा ग्रुप और एयरबस द्वारा संयुक्त रूप से नागरिक हेलीकॉप्टरों का निर्माण और सीएफएम इंटरनेशनल द्वारा भारत के अकासा एयर को 300 से अधिक लीप-1बी इंजनों की बिक्री शामिल है।

भारत और फ्रांस के बीच डिजिटल सहयोग:

  • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई): फ्रांस ने एफिल टॉवर पर यूपीआई लॉन्च किया, जिससे भारतीय आगंतुकों और एनआरआई के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक लेनदेन सक्षम हुए।
  • सुपरकंप्यूटिंग: फ्रांसीसी कंपनियों ने 14 सुपरकंप्यूटर विकसित किए हैं, जिनमें परम सिद्धि भी शामिल है, जो 4.6 पेटाफ्लॉप्स प्रति सेकंड की गति के साथ भारत का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर है।

बहुपक्षीय सहयोग:

फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और कश्मीर एवं आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत के रुख का लगातार समर्थन किया है। इसके अतिरिक्त, फ्रांस ने भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर), वासेनार व्यवस्था (डब्ल्यूए) और ऑस्ट्रेलिया समूह (एजी) जैसे महत्वपूर्ण बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण वार्ता में शामिल होने में सहायता प्रदान की है।

भारत-फ्रांस संबंधों में चुनौतियाँ:

  • द्विपक्षीय व्यापार: व्यापार बढ़ रहा है, यह 2022 में 15.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर रहा, किन्तु अन्य वैश्विक साझेदारियों की तुलना में अभी भी कम है।
  • वीजा प्रतिबंध: फ्रांस में भारतीय संवाददाताओं के लिए वीजा प्राप्त करना कठिन हो गया है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
  • परमाणु समझौता विलंब: जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना में तकनीकी, वित्तीय और परमाणु दायित्व मुद्दों के कारण देरी हो रही है।
  • रणनीतिक स्वायत्तता में मतभेद: भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति और फ्रांस की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने की नीति में अंतर के कारण दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में चुनौतियां हैं, विशेषकर चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए।