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Blog / 10 Mar 2025

भारत-भूटान के मध्य सीमा सम्बन्धी सहयोग पर बैठक

संदर्भ:

हाल ही में भारत और भूटान ने सीमा-संबंधी क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने और तकनीकी क्षमता-निर्माण सहयोग के नए अवसरों की पहचान करने हेतु एक द्विपक्षीय बैठक आयोजित की।

नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय बैठक में भारत सरकार और भूटान के अंतर्राष्ट्रीय सीमा कार्यालय के अधिकारियों ने सीमा-संबंधी क्षेत्र कार्य से संबंधित मामलों की समीक्षा की।

बैठक के मुख्य विषय:

      सीमा-संबंधी क्षेत्रीय मुद्दे: दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी क्षेत्रीय सर्वेक्षण टीमों और सीमा-संबंधी कार्यों में शामिल अन्य हितधारकों द्वारा किए गए प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया।

      तकनीकी और क्षमता-निर्माण सहयोग: दोनों देशों ने सर्वेक्षण और सीमा-प्रबंधन से जुड़े तकनीकी सहयोग तथा क्षमता-निर्माण की संभावनाओं पर चर्चा की, जो उनकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप है।

      अगले तीन क्षेत्रीय सत्रों के लिए कार्य योजना: बैठक में अगले तीन क्षेत्रीय सत्रों के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया, जिससे भविष्य के सहयोग के लिए एक स्पष्ट रोडमैप सुनिश्चित हुआ।

India-Bhutan Relations

भारत-भूटान द्विपक्षीय संबंधों के बारे में:

भारत और भूटान के बीच मजबूत और बहुआयामी संबंध हैं, जो राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग पर आधारित हैं। यह साझेदारी कई दशकों में विकसित हुई है, जिसमें विविध समझौतों और सहयोग पहलों ने दोनों देशों को लाभान्वित किया है।

राजनीतिक संबंध:

      भारत-भूटान संबंधों की आधारशिला 1949 की मैत्री संधि है, जिसे 2007 में पुनः संशोधित किया गया। यह संधि दोनों देशों के मजबूत राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को रेखांकित करती है, जो आपसी सम्मान और समझ पर आधारित है।

      1968 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद, दोनों देशों ने कई क्षेत्रों में सहयोग को गहरा किया, विशेष रूप से रक्षा और सुरक्षा में।

जलविद्युत सहयोग:

      सहयोग के सबसे प्रमुख क्षेत्रों में से एक जलविद्युत है। 2006 में, भारत और भूटान ने जलविद्युत सहयोग पर एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे 2009 में एक प्रोटोकॉल द्वारा विस्तारित किया गया। भूटान के लिए, भारत वित्तपोषण और ऊर्जा बाजारों तक पहुँच प्रदान करता है, जो देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

      उदाहरण के लिए, भूटान के बसोचू और निकाचू जलविद्युत संयंत्र भारत के बिजली एक्सचेंजों से जुड़े हैं, जिससे भूटान को बिजली का व्यापार करने की अनुमति मिलती है। भारत के लिए, भूटान की स्वच्छ ऊर्जा बिजली की माँग को स्थायी रूप से पूरा करने में मदद करती है, विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्रों में।

भारत से भूटान को सहायता:

भारत विभिन्न रूपों में भूटान को पर्याप्त सहायता प्रदान करता है:

मुक्त व्यापार व्यवस्था: 1972 के भारत-भूटान व्यापार, वाणिज्य और पारगमन समझौते को 2016 में संशोधित किया गया, जिससे भूटानी उत्पादों को तीसरे देशों तक शुल्क-मुक्त निर्यात की सुविधा मिलती है।

विकास सहायता: भारत भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-2029) में एक प्रमुख भागीदार है और भूटान के विकास को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करते हुए आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम का समर्थन करता है।

सुरक्षा सहायता: भारत भूटान के लिए  शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह 2017 में डोकलाम गतिरोध के दौरान स्पष्ट था, जब भारत ने भूटानी क्षेत्र को चीनी अतिक्रमण से बचाने के लिए हस्तक्षेप किया था।

अवसंरचना: "परियोजना दंतक" के तहत, भारत के सीमा सड़क संगठन (BRO) ने भूटान में प्रमुख सड़कों और पुलों का निर्माण किया, जिससे क्षेत्रीय संपर्क बढ़ा।

अन्य सहायता:

भारत भूटानी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है और भूटान के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में लगभग 50% योगदान देता है। भारत "डिजिटल ड्रुक्युल" परियोजना के तहत भूटान को बेहतर डिजिटल कनेक्टिविटी विकसित करने में सहायता कर रहा है।

भारत-भूटान संबंधों में बढ़ती चिंताएँ:

हालाँकि संबंध सकारात्मक रहे हैं, लेकिन कई उभरती चिंताओं को संबोधित करने की आवश्यकता है:

चीन के साथ बढ़ती निकटता: भूटान चीन के साथ अपनी कूटनीतिक वार्ताओं को बढ़ा रहा है। 2023 में भूटान के विदेश मंत्री की चीन यात्रा से यह संकेत मिलता है कि चीन अब भूटान का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बन चुका है, जो इसके कुल व्यापार का 25% है।

चीन की क्षेत्रीय मुखरता: चीन की "पाँच-उँगली नीति" में भूटान को क्षेत्रीय दावों का हिस्सा माना जाता है, विशेष रूप से डोकलाम पठार को लेकर भारत की चिंता बनी हुई है।

उग्रवादी समूहों की गतिविधियाँ: भूटान के सीमावर्ती क्षेत्र भारत के पूर्वोत्तर उग्रवादी समूहों, जैसे कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के लिए आश्रय स्थल बने रहे हैं, जिससे सुरक्षा जोखिम उत्पन्न होते हैं।

रुकी हुई परियोजनाएँ: भूटान में पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण बीबीआईएन मोटर वाहन समझौते में देरी हुई है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क में बाधा रही है।

 

भारत और भूटान के संबंध मैत्री, आपसी सम्मान और सहयोग पर आधारित हैं। हालाँकि, बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में नई चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है ताकि यह साझेदारी भविष्य में भी मजबूत बनी रहे।