संदर्भ:
हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक का सर्वाधिक स्वदेशी रक्षा उत्पादन दर्ज किया है, जो ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुँच गया है। यह वृद्धि ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है।
मुख्य बिंदु:
स्वदेशी रक्षा उत्पादन में वृद्धि:
● भारतीय रक्षा उद्योग ने 2023-24 में ₹1.27 लाख करोड़ का रिकॉर्ड उत्पादन किया। तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, अर्जुन मेन बैटल टैंक और INS विक्रांत जैसे प्रमुख रक्षा प्लेटफॉर्म स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं।
● अब 65% से अधिक रक्षा उपकरण भारत में निर्मित होते हैं, जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान 21% है।
रक्षा निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि:
● रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 में ₹686 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में ₹21,083 करोड़ हो गया है, जो 30 गुना वृद्धि दर्शाता है।
● भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जिसमें बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर विमान और हल्के टॉरपीडो जैसे प्रमुख उत्पाद शामिल हैं। सरकार ने 2029 तक रक्षा निर्यात को ₹50,000 करोड़ तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।
रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX):
2018 में लॉन्च की गई, रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) पहल अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करने के लिए स्टार्टअप, एमएसएमई और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है।
● ADITI योजना, iDEX का एक विस्तार है, जो इनोवेटर्स के लिए ₹25 करोड़ तक के अनुदान के साथ AI, क्वांटम तकनीक और स्वायत्त प्रणालियों जैसी रणनीतिक तकनीकों का समर्थन करती है।
सामर्थ्य: इसके अंतर्गत एयरो इंडिया 2025 में भारत ने 33 से अधिक प्रमुख स्वदेशी रक्षा वस्तुओं का प्रदर्शन किया, जिसमें आर्टिलरी सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण और उन्नत निगरानी तकनीकें शामिल हैं। इस कार्यक्रम ने रक्षा निर्माण और नवाचार में भारत की बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित किया।
भारत के रक्षा उत्पादन के लिए हालिया पहल:
● उदारीकृत एफडीआई नीति: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सितंबर 2020 में रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को उदार बनाया गया।
● टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स: सी-295 विमान के निर्माण के लिए अक्टूबर 2024 में वडोदरा में टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया गया।
● मंथन: वार्षिक रक्षा नवाचार कार्यक्रम, मंथन, इनोवेटर्स, स्टार्टअप्स, एमएसएमई, शिक्षाविदों, निवेशकों और उद्योग के नेताओं को एक साथ लाता है।
● रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना (DTIS): DTIS एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में परीक्षण और प्रमाणन सुविधाएँ स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
● घरेलू खरीद को प्राथमिकता: रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 के तहत घरेलू स्रोतों से पूंजीगत वस्तुओं की खरीद पर जोर दिया गया है
● घरेलू खरीद आवंटन: आधुनिकीकरण बजट का 75% (1,11,544 करोड़ रुपये) घरेलू उद्योगों के माध्यम से खरीद के लिए निर्धारित किया गया है।
भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए रक्षा औद्योगिक गलियारे (Defence Industrial Corridors - DIC) और 'सृजन' जैसी पहलें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में स्थित रक्षा औद्योगिक गलियारे (DIC) निवेश आकर्षित करने और रक्षा उत्पादन में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विकसित किए गए हैं।
'सृजन' पहल के तहत अब तक 14,000 से अधिक रक्षा वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया जा चुका है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हुई है और घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिला है।
निष्कर्ष:
भारत का रक्षा क्षेत्र तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है, जिसमें उत्पादन और निर्यात दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। रणनीतिक सुधारों और नवाचारों के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ पहल भारत को रक्षा विनिर्माण में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर रही है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हो रही है और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिल रहा है।
2029 तक के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ, भारत रक्षा विनिर्माण का एक प्रमुख केंद्र बनने और अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार करने के लिए पूरी तरह तैयार है।