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Blog / 26 Mar 2025

भारत की अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ की रिपोर्ट

संदर्भ:

हाल ही में IMF की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वित्तीय प्रणाली तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और महामारी जैसी चुनौतियों का सामना करने की इसकी क्षमता के कारण अधिक लचीली और विविधतापूर्ण हो गई है।

    रिपोर्ट में पिछले वित्तीय संकटों के बाद हुए महत्वपूर्ण सुधारों पर प्रकाश डाला गया है, साथ ही गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थों (NBFI) और बाज़ार वित्तपोषण में हुई वृद्धि को भी रेखांकित किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत की वित्तीय प्रणाली की क्षमता:

1.   विविधतापूर्ण और परस्पर जुड़ी हुई प्रणाली: भारत की वित्तीय प्रणाली तेजी से विविधतापूर्ण और आपस में जुड़ी हुई हो गई है, जिसमें सरकारी स्वामित्व वाली वित्तीय संस्थाएँ, निजी बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC) शामिल हैं। इस विविधता ने सिस्टम की लचीलापन क्षमता को बढ़ाया है, जिससे यह विभिन्न क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाले झटकों का सामना करने में सक्षम हुआ है।

2.   मैक्रोफाइनेंशियल झटकों के प्रति लचीलापन: भारत के बैंक और NBFC बड़े पैमाने पर मैक्रोइकॉनोमिक झटकों के प्रति लचीले हैं। हालांकि, कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) और छोटे NBFC चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन समग्र प्रणाली अच्छी तरह से पूंजीकृत है और मध्यम वित्तीय व्यवधानों से निपटने में सक्षम है।

3.   मजबूत बीमा क्षेत्र: भारत के बीमा क्षेत्र ने जीवन बीमा और सामान्य बीमा दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। इसका श्रेय प्रभावी नियमन और डिजिटल नवाचारों को जाता है। बीमा क्षेत्र की यह स्थिरता वित्तीय प्रणाली की समग्र मजबूती में योगदान देती है।

4.   उन्नत साइबर सुरक्षा निरीक्षण: वित्तीय क्षेत्र ने अपने साइबर सुरक्षा ढांचे में सुधार किया है, विशेष रूप से बैंकों और वित्तीय बाजार अवसंरचना (FMI) के लिए। यह विकास महत्वपूर्ण सूचना प्रणालियों को साइबर खतरों से सुरक्षित रखने और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

रिपोर्ट के अनुसार सुधार के क्षेत्र:

1. पूंजी आधार को मजबूत करना: रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि आर्थिक मंदी के दौरान ऋण देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपने पूंजी आधार को मजबूत करने की आवश्यकता हो सकती है। बेहतर पूंजी पर्याप्तता यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि ये बैंक गंभीर वित्तीय स्थितियों में प्रभावी ढंग से काम कर सकें।

2. साइबर सुरक्षा : भारत ने साइबर सुरक्षा में उल्लेखनीय प्रगति की है, IMF ने वित्तीय क्षेत्र में साइबर सुरक्षा सिमुलेशन का विस्तार करने की सिफारिश की है ताकि बड़े पैमाने पर साइबर खतरों से निपटने की तैयारी की जा सके, जो संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को बाधित कर सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बारे में:

स्थापना: IMF की स्थापना जुलाई 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में हुए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में हुई थी और यह दिसंबर 1945 में औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया जब इसके पहले 29 सदस्य देशों ने समझौते के अनुच्छेदों (Articles of Agreement) पर हस्ताक्षर किए हैं।

IMF का उद्देश्य है:

·        अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना।

·        वैश्विक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना।

·        अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना।

·        उच्च रोजगार और सतत आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करना।

·        वैश्विक गरीबी को कम करना।

IMF का प्रशासनिक ढांचा:

·        बोर्ड ऑफ गवर्नर्स: प्रत्येक सदस्य देश से एक गवर्नर और एक वैकल्पिक गवर्नर शामिल होते हैं।

·        कार्यकारी बोर्ड: IMF के दैनिक कार्यों की निगरानी करता है।

·        प्रबंध निदेशक: 5 साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है और IMF का नेतृत्व करता है।

निष्कर्ष:

भारत की वित्तीय प्रणाली ने महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया है और लचीलापन बनाए रखा है। हालाँकि, पूंजी पर्याप्तता और साइबर सुरक्षा जैसे कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अभी और ध्यान देने की आवश्यकता है। IMF की रिपोर्ट भारत की वित्तीय प्रणाली की प्रगति को रेखांकित करती है, साथ ही सुधार के उन प्रमुख क्षेत्रों की भी पहचान करती है जो दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने में सहायक होंगे।