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Blog / 28 Jan 2025

गिलियन-बैरे सिंड्रोम

संदर्भ:

हाल ही में पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में असामान्य वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र के लिए गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है। यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल विकार है, इस स्थिति ने राज्य और केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों को सक्रिय कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या है?

     GBS एक गंभीर ऑटोइम्यून विकार है जो परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) को प्रभावित करता है।

     लक्षण: यह अंगों में कमज़ोरी, झुनझुनी और सुन्नता से शुरू होता है, जो पक्षाघात में बदल सकता है। पक्षाघात 6 से 12 महीने या उससे भी अधिक समय तक रह सकता है।

     तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव: यह सिंड्रोम मांसपेशियों की गति, दर्द, तापमान और स्पर्श संवेदनाओं के लिए जिम्मेदार तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।

     जनसांख्यिकी: हालांकि वयस्कों और पुरुषों में अधिक आम है, GBS सभी उम्र के व्यक्तियों में हो सकता है।

जीबीएस का कारण:

     गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का सटीक कारण अभी पूरी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर एक संक्रमण (वायरल या जीवाणुजनित) के पश्चात देखा जाता है। यह स्थिति शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भ्रमित कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर के अपने परिधीय तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण कर देती है।

टीकाकरण और सर्जरी:

दुर्लभ मामलों में, टीकाकरण या सर्जरी गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के विकास के जोखिम को थोड़ा बढ़ा सकती है। हालांकि, यह जोखिम आमतौर पर अत्यधिक कम होता है।

GBS के लिए उपचार:

GBS के उपचार में आमतौर पर प्लास्मफेरेसिस जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। इस प्रक्रिया में रोगी के प्लाज्मा को हटाकर इसे अन्य तरल पदार्थों से बदला जाता है, जिसका उद्देश्य नसों पर प्रतिरक्षा प्रणाली के हमले को कम करना है।