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Blog / 08 Apr 2025

फंगल संक्रमणों पर पहली बार रिपोर्ट

सन्दर्भ:

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इनवेसिव फंगल संक्रमणों पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की है, जिसमें इन संक्रमणों की जांच और उपचार के लिए बेहतर उपायों की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। रिपोर्ट में दवाओं और निदान उपकरणों की गंभीर कमी को उजागर किया गया है और इन कमियों को दूर करने के लिए नवाचार आधारित अनुसंधान और विकास के महत्व को रेखांकित किया गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

1. फंगल रोगों में वृद्धि:

  • कैंडिडा जैसे फंगल संक्रमण (जो अनेक संक्रमण का कारण बनता है), अब एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभर रहे हैं, क्योंकि इनका इलाज कठिन होता जा रहा है और इनकी दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता बढ़ रही है।
  • ये संक्रमण मुख्यतः उन व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जैसे कैंसर का इलाज करा रहे मरीज, एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति तथा वह व्यक्ति जिनका अंग प्रतिरोपण हुआ हो।

2. सबसे अधिक जोखिम में कमजोर आबादी:

  • इनवेसिव फंगल संक्रमण विशेष रूप से उन लोगों के लिए घातक साबित हो सकते हैं जिनकी स्वास्थ्य स्थिति पहले से ही गंभीर होती है या जो ऐसे उपचार ले रहे होते हैं जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को और भी कमजोर कर देते हैं।

3. उपचार में गंभीर कमियाँ:

  • विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में फंगल संक्रमण की पहचान में गंभीर चुनौतियाँ हैं। कई ज़िला स्तर के अस्पतालों में भी सही और सटीक निदान के लिए आवश्यक उपकरणों की कमी है, जिससे समय पर इलाज संभव नहीं हो पाता।

उपचार के विकास में प्रमुख चुनौतियाँ:

·         नई एंटीफंगल दवाओं की सीमित उपलब्धता :पिछले एक दशक में केवल चार नई एंटीफंगल दवाओं को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA), यूरोपीय मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) और चीन की नेशनल मेडिकल प्रोडक्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन (NMPA) से अनुमोदन प्राप्त हुआ है।

·         नैदानिक विकास की धीमी गति:  वर्तमान में नौ एंटीफंगल दवाएँ नैदानिक परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं, लेकिन इनमें से केवल तीन ही अंतिम चरण (फेज-3) के परीक्षण तक पहुँची हैं।

·         मौजूदा उपचारों से जुड़ी जटिलताएँ: वर्तमान में उपलब्ध एंटीफंगल उपचारों में कई गंभीर चुनौतियाँ हैं जिनमें दुष्प्रभावों की उच्च संभावना, अन्य दवाओं के साथ बार-बार होने वाली परस्पर क्रियाएं, और लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता शामिल है।

फंगल संक्रमणों से निपटने के लिए WHO की प्रमुख सिफारिशें:

        वैश्विक निगरानी में निवेश: WHO ने फंगल संक्रमणों के प्रसार और उनमें विकसित हो रही दवा-प्रतिरोधक प्रवृत्तियों की प्रभावी निगरानी हेतु वैश्विक स्तर पर निवेश बढ़ाने की अपील की है। इसके साथ ही, स्वास्थ्य संगठन ने फंगल जीवों में नए जैविक लक्ष्यों की पहचान और नवीन उपचारों के विकास के लिए मौलिक अनुसंधान को और अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

        अधिक सुरक्षित एंटीफंगल दवाओं का विकास: WHO ने उन एंटीफंगल दवाओं के विकास की आवश्यकता को रेखांकित किया है जो न केवल अधिक प्रभावी हों, बल्कि जिनके उपयोग में कम दुष्प्रभाव हों और जिनके लिए निरंतर चिकित्सकीय निगरानी की आवश्यकता न हो।

        निदान प्रणाली में सुधार: रिपोर्ट में यह इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि तेज़, अधिक सटीक, और किफायती निदान उपकरण विकसित किए जाएँ जिन्हें सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उपयोग में लाया जा सके। इससे समय पर पहचान और उपचार संभव हो सकेगा।

 

फंगल संक्रमणों के बारे में:

फंगल संक्रमण, जिन्हें मायकोसिस के नाम से भी जाना जाता है, फंगल जीवों के कारण होने वाले रोग होते हैं, जो कम गंभीर से लेकर जानलेवा तक हो सकते हैं।
ये संक्रमण शरीर के विभिन्न अंगों- जैसे कि त्वचा, बाल, नाखून और आंतरिक अंग को प्रभावित कर सकते हैं।

हालाँकि अधिकांश लोग एथलीट फुट  या यीस्ट इन्फेक्श जैसे सामान्य फंगल संक्रमणों का अनुभव करते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये संक्रमण गंभीर रूप ले सकते हैंविशेष रूप से उन व्यक्तियों में जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।

निष्कर्ष:

फंगल संक्रमणों पर WHO का ध्यान गंभीर और तेजी से बढ़ती सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती की ओर संकेत करता है। सीमित उपचार विकल्पों और अपर्याप्त निदान सुविधाओं, विशेष रूप से संसाधन-सीमित क्षेत्रों में, स्थिति को और जटिल बना देते हैं। WHO ने इस दिशा में अनुसंधान, नई और सुरक्षित दवाओं के विकास, तथा सुलभ और प्रभावी निदान तकनीकों में तत्काल और व्यापक निवेश की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि इन संक्रमणों से प्रभावी रूप से निपटा जा सके।