संदर्भ: चीन और जापान के शोधकर्ताओं की एक टीम ने बोस धातु के अध्ययन में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। यह एक असामान्य धातु अवस्था (exotic state of matter) है, जिसके कुछ विशेष प्रकार के पदार्थों में मौजूद होने की पहले भविष्यवाणी की गई थी, अब इसके प्रमाण सामने आए हैं।
बोस धातु :
· बोस धातु एक ऐसी असामान्य अवस्था है, जोकि तब बनती है जब कुछ धातुओं को बेहद कम तापमान तक ठंडा किया जाता है। सामान्य तौर पर, जब धातुओं को ठंडा किया जाता है, तो वे या तो सामान्य धातु बनी रहती हैं या फिर सुपरकंडक्टर बन जाती हैं।
· लेकिन बोस धातु में एक अलग ही स्थिति देखी जाती है — इसमें इलेक्ट्रॉन आपस में जुड़कर कूपर जोड़े (Cooper Pairs) बनाते हैं, लेकिन ये जोड़े सुपरकंडक्टिंग अवस्था में नहीं जाते।
· इसलिए यह अवस्था, धातुओं के सामान्य व्यवहार और अतिचालकता (Superconductivity) से जुड़े पारंपरिक सिद्धांतों को चुनौती देती है और वैज्ञानिकों के लिए आगे अध्ययन का एक आकर्षक विषय बन जाती है।
शोध के बारे में:
· नानजिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज़ियाओक्सियांग शी के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक खास पदार्थ, नियोबियम डाइसेलेनाइड (NbSe2), पर शोध किया। वैज्ञानिकों ने इस पदार्थ को अत्यंत कम तापमान तक ठंडा किया और उसे चुंबकीय क्षेत्र में रखा। इस प्रक्रिया के दौरान, इसने अपने गुणों में ऐसे बदलाव दिखाए, जो बोस धातु की पहचान से मेल खाते थे।
· शोध दल ने इन गुणों का गहराई से अध्ययन करने के लिए 'रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी' तकनीक का उपयोग किया, जिससे पदार्थ में होने वाले सूक्ष्म कंपन को समझा गया।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्षों में शामिल हैं:
1. अतिचालकता के अनुपस्थित में कूपर युग्मों का निर्माण : शोधकर्ताओं ने पाया कि बहुत कम तापमान पर नियोबियम डाइसेलेनाइड में कूपर जोड़े बन रहे थे। आमतौर पर, कूपर जोड़े बनने का मतलब यह होता है कि पदार्थ सुपरकंडक्टर बनने वाला है।लेकिन, इस मामले में पदार्थ सुपरकंडक्टर नहीं बना, बल्कि सामान्य धातु जैसा व्यवहार करता रहा। यही विशेषता बोस धातु की एक पहचान है।
2. हॉल प्रतिरोध का गायब होना : NbSe2 की मोटाई कम करने पर उसका हॉल प्रतिरोध (Hall Resistance) खत्म हो गया। हॉल प्रतिरोध यह बताता है कि चुंबकीय क्षेत्र में करंट बहने पर पदार्थ में वोल्टेज कैसे बनता है। इसका अदृश्य होना यह दिखाता है कि करंट, स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की बजाय कूपर जोड़ों (Cooper Pairs) के जरिए बह रहा था। यह बोस धातु सिद्धांत का एक मजबूत प्रमाण है।
निहितार्थ:
· इस खोज से यह समझने में मदद मिलती है कि बहुत कम तापमान पर पदार्थों का क्वांटम व्यवहार कैसा होता है।
· यह खोज अव्यवस्थित धातुओं को समझने के पारंपरिक वैज्ञानिक मॉडल्स को चुनौती देती है।
· इसके अतिरिक्त, यह खोज क्वांटम कंप्यूटिंग, सुपरकंडक्टिविटी टेक्नोलॉजी और नए प्रकार की क्वांटम सामग्रियों के विकास में भी मददगार साबित हो सकती है।
निष्कर्ष:
शोध दल के निष्कर्ष बताते हैं कि नियोबियम डाइसेलेनाइड में बोस धातु जैसी अवस्था के मजबूत संकेत मिले हैं। हालांकि, इस असामान्य स्थिति की पूरी तरह पुष्टि के लिए अभी और शोध जरूरी है। फिर भी, यह खोज वैज्ञानिकों के लिए नए शोध की राह खोलती है और भविष्य में क्वांटम सामग्रियों की समझ और उनके व्यावहारिक उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।