संदर्भ: हाल ही में वित्त राज्य मंत्री ने लोकसभा में सूचित किया कि भारत में डिजिटल भुगतान लेन-देन में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, इन लेन-देन का कुल मूल्य 18,000 करोड़ से अधिक पहुँच गया, जो 44% की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है। इस वृद्धि में IMPS, NETC, और विशेष रूप से UPI जैसी सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
भारत में UPI पारिस्थितिकी तंत्र:
UPI कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल ऐप में एकीकृत करता है, जिससे धन स्थानांतरण और भुगतान सहज हो जाते हैं।
· यह NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) द्वारा 2016 में IMPS अवसंरचना पर विकसित किया गया था, और यह दुनिया का सबसे सफल वास्तविक समय भुगतान प्रणाली है, जो भारत में सुरक्षित व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति से व्यापारी (P2M) लेन-देन सुनिश्चित करता है।
· UPI के प्लेटफॉर्म पर 632 बैंक हैं और अक्टूबर 2024 में UPI ने 23.49 लाख करोड़ के 16.58 बिलियन लेन-देन को संसाधित किया, जोकि 45% की वृद्धि को दर्शाता है।
डिजिटल भुगतान प्रणालियों का वैश्विक विस्तार:
भारत की डिजिटल भुगतान अवसंरचना को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है।
· यूपीआई, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान और सिंगापुर में पूरी तरह से कार्यात्मक है, और नेपाल, मौरिशस, फ्रांस और श्रीलंका में पायलट परीक्षण पूरे हो चुके हैं, जहां व्यावसायिक शुरुआत जल्द होने की उम्मीद है।
· रुपे कार्ड नेपाल, भूटान, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात में स्वीकृत हैं और मालदीव में तकनीकी स्वीकृति प्राप्त है।
डिजिटल भुगतान अपनाने में चुनौतियाँ:
1. ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर अपराध का खतरा: डिजिटल लेन-देन में वृद्धि के साथ साइबर खतरों जैसे पहचान चोरी, फिशिंग और वित्तीय धोखाधड़ी में भी वृद्धि हुई है। हालांकि सुरक्षा उपायों में सुधार हुआ है किन्तु धोखाधड़ी का डर अभी भी बना हुआ है।
2. लेन-देन रिकॉर्ड का रखरखाव: डिजिटल लेन-देन का इतिहास प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उपयोगकर्ता-अनुकूल उपकरणों की कमी और कभी-कभी तकनीकी समस्याएँ होती हैं, जिससे अनिश्चितता पैदा होती है।
3. कर दायित्वों का डर: छोटे व्यापारियों और फ्रीलांसरों को कर जांच और अप्रत्याशित दायित्वों का डर होता है, जो डिजिटल लेन-देन को हतोत्साहित करता है।
4. डिजिटल भुगतान विवादों के लिए कठोर कानूनों की कमी: लेन-देन विफलताओं या गलत शुल्कों जैसे विवादों का समाधान करना कठिन है, क्योंकि कानूनी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है।
5. अनिच्छा और डिजिटल अज्ञानता: ग्रामीण क्षेत्रों और वृद्ध पीढ़ियों में डिजिटल अज्ञानता के कारण पारंपरिक भुगतान विधियों को प्राथमिकता दी जाती है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI):
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) भारत की खुदरा भुगतान और निपटान प्रणालियों का संचालन करता है। यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा 2008 में स्थापित किया गया था, और यह कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत "नोट फॉर प्रॉफिट" कंपनी के रूप में कार्य करता है।
NPCI ने रुपे कार्ड, आईएमपीएस, यूपीआई, भीम, भीम आधार और भारत बिलपे जैसी प्रमुख भुगतान उत्पादों को लॉन्च किया है, जो भारत में डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।
निष्कर्ष:
भारत का डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा है, जो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और मजबूत अवसंरचना द्वारा प्रेरित है। निरंतर वैश्विक विस्तार और विकास से भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली की स्थिति और मजबूत होगी। सुरक्षा, कर संबंधित चिंताओं और डिजिटल साक्षरता को संबोधित करना व्यापक अपनाने और सतत वृद्धि के लिए आवश्यक है।