संदर्भ:
हाल ही में कोच-राजबोंगशी समुदाय ने पुनः अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe - ST) का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई है। वर्तमान में, असम में इस समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। समुदाय संवैधानिक मान्यता और इससे जुड़े शैक्षिक, आर्थिक व राजनीतिक लाभों की अपेक्षा कर रहा है।
समुदाय की प्रमुख मांगों के बारे में:
कोच-राजबोंगशी संमिलिता जौथा मंच, जो 12 सामुदायिक संगठनों का एक संघ है, ने अपनी प्रमुख मांगों को स्पष्ट करते हुए 15-सूत्रीय ज्ञापन प्रस्तुत किया है। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
· सबसे महत्वपूर्ण मांगों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देना, ऐतिहासिक कामतापुर राज्य की पुनर्स्थापना और अपने महान योद्धा के सम्मान में सशस्त्र बलों में चिलाराई रेजिमेंट का निर्माण शामिल है।
इन मांगों से स्पष्ट होता है कि समुदाय न केवल सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान चाहता है, बल्कि अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को भी संरक्षित करने की दिशा में प्रयासरत है।
मांग से जुड़े मुद्दे:
हालाँकि, कोच-राजबोंगशी समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव विवादास्पद बना हुआ है। असम में पहले से एसटी दर्जा प्राप्त समुदाय जैसे बोडो, कार्बी, मिशिंग, तिवा और देवरी ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है।
· इन समुदायों की प्राथमिक चिंता यह है कि कोच-राजबोंगशी जैसे समुदायों को एसटी का दर्जा देने से, जिन्हें आर्थिक और शैक्षणिक रूप से अधिक उन्नत माना जाता है, मौजूदा एसटी समूहों के लिए उपलब्ध अवसर कम हो सकते हैं।
· उनका तर्क है कि शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षित सीटों के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा मौजूदा आदिवासी समुदायों को नुकसान पहुंचाएगी।
कोच-राजबोंगशी समुदाय के बारे में:
· कोच-राजबोंगशी, जिन्हें राजबंशी या राजवंशी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन स्वदेशी जनजाति है जो दक्षिण एशिया के एक पुराने साम्राज्य, कोच साम्राज्य से उत्पन्न हुई है। उन्हें एक समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत वाले एक अलग जातीय समूह के रूप में पहचाना जाता है।
· कोच-राजबोंगशी जनजाति दक्षिण एशिया के कई क्षेत्रों में फैली हुई है। वे मुख्य रूप से नेपाल, उत्तरी बंगाल, उत्तरी बिहार, उत्तरी बांग्लादेश, असम, मेघालय के कुछ हिस्सों और भूटान में पाए जाते हैं। ये क्षेत्र कभी कामता साम्राज्य का हिस्सा थे, जिस पर कई शताब्दियों तक कोचियों का शासन था।
क्षेत्र के आधार पर, कोच-राजबोंगशी समुदाय को अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
• असम में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग)
• बंगाल में एससी (अनुसूचित जाति)
• मेघालय में एसटी (अनुसूचित जनजाति)
निष्कर्ष :
कोच-राजबोंगशी समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। जहाँ समुदाय अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक स्थिति के आधार पर अधिक अधिकारों की मांग कर रहा है, वहीं मौजूदा एसटी समुदाय अपने अधिकारों के हनन की आशंका जता रहे हैं। सरकार को इस विषय पर एक संतुलित और समावेशी नीति अपनानी होगी, जिससे कि सभी संबंधित पक्षों के साथ परामर्श किया जाए ताकि कोई भी समुदाय अपने अधिकारों से वंचित महसूस न करे।