संदर्भ:
हाल ही में कर्नाटक के उत्तरा कन्नड़ जिले में पांच साल की मयूरी की सांप के काटने से हुई मौत, एंटीवेनम की अनुपलब्धता के कारण और अधिक दुखद हो गई। यह घटना भारत में सांप के काटने से होने वाली मौतों की रोकथाम की आवश्यकता पर बल देती है। हर साल लगभग 58,000 लोग सांप के काटने से मारे जाते हैं, जिसके कारण भारत को 'दुनिया की सांप के काटने की राजधानी' कहा जाता है।
एंटीवेनम क्या हैं?
- एंटीवेनम एक तरह की दवा है जो सांप के जहर के प्रभाव को कम करने के लिए बनाई जाती है। इसे जानवरों, खासकर घोड़ों, के खून से प्राप्त किया जाता है। जब किसी घोड़े को सांप का जहर दिया जाता है, तो उसका शरीर जहर के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। इन एंटीबॉडी को निकालकर एंटीवेनम बनाया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- सांप के जहर में हीमोटॉक्सिन, न्यूरोटॉक्सिन और साइटोटॉक्सिन जैसे विषाक्त पदार्थ होते हैं। हीमोटॉक्सिन रक्त कोशिकाओं को, न्यूरोटॉक्सिन तंत्रिकाओं को और साइटोटॉक्सिन ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं। एंटीवेनम इन विषाक्त पदार्थों से जुड़कर शरीर को उन्हें खत्म करने में मदद करते हैं।
एंटीवेनम कैसे बनाए जाते हैं?
- एंटीवेनम बनाने की प्रक्रिया सांप के जहर से शुरू होती है। इस जहर का उपयोग घोड़ों को प्रतिरक्षित करने के लिए किया जाता है। प्रतिरक्षण (Immunization) के बाद घोड़ों के खून से एंटीबॉडी प्राप्त की जाती हैं। इन एंटीबॉडी को शुद्ध करके एंटीवेनम बनाया जाता है। यह विधि 1890 के दशक से अल्बर्ट कैलमेट द्वारा विकसित की गई थी और आज भी इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- भारत में सांप काटना की घटनाये :
- भारत में 300 से अधिक प्रकार के सांप पाए जाते हैं, जिनमें से 60 से अधिक विषैले हैं। इनमें से कॉमन क्रेट, रसेल का वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर और भारतीय कोबरा जैसे चार प्रमुख विषैले सांप अधिकतर सांप के काटने से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि, कई अन्य विषैले सांपों के लिए अभी तक कोई प्रभावी एंटीवेनम उपलब्ध नहीं है।
· एक अध्ययन के अनुसार, 2001 से 2014 के बीच भारत में लगभग 12 लाख लोग सांप के काटने से मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण कृषि श्रमिक थे।
एंटीवेनम पहुंच में चुनौतियाँ:
सबसे बड़ा वैश्विक एंटीवेनम उत्पादक होने के बावजूद, भारत, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करता है।
- खराब बुनियादी ढांचा: अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं और एंटीवेनम की सीमित उपलब्धता।
- लॉजिस्टिक मुद्दे: उच्च लागत, अनुचित शीत भंडारण और वितरण चुनौतियां।
- सांस्कृतिक मान्यताएं: अंधविश्वास अक्सर उपचार में देरी करता है, जिससे सांप के काटने के शिकारों के लिए परिणाम बिगड़ जाते हैं।
एंटीवेनम का भविष्य:
· 2024 के नोबेल पुरस्कार विजेता डेविड बेकर के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके सिंथेटिक एंटीवेनम बनाने में एक नई तकनीक विकसित की है। इस नई तकनीक के आने से सांप के काटने के इलाज में क्रांति आ सकती है।
· बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक कार्तिक सुनागर विभिन्न प्रकार के सांपों के जहर में होने वाले अंतर पर शोध कर रहे हैं। उनका लक्ष्य विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाने वाले सांपों के जहर के लिए विशिष्ट एंटीवेनम विकसित करना है ताकि सांप के काटने के इलाज में सुधार किया जा सके।
· इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिक पोर्टेबल विष-परीक्षण किट और तेजी से निदान करने वाले उपकरण विकसित कर रहे हैं। इन उपकरणों से दूरदराज के इलाकों में भी सांप के काटने के मरीजों को तुरंत उपचार मिल सकेगा।