संदर्भ:
प्रमुख निष्कर्ष:
गेहूं की बुवाई का क्षेत्रफल:
31 मार्च 2025 तक उपग्रह विश्लेषण के अनुसार गेहूं की बुवाई 330.8 लाख हेक्टेयर में हुई, जो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के 4 फरवरी 2025 तक के आंकड़े (324.4 लाख हेक्टेयर) के लगभग समान है। यह रिमोट सेंसिंग पद्धति की सटीकता की पुष्टि करता है।
फसल की स्थिति और मौसम का प्रभाव
• जनवरी 2025: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में समय पर बुवाई और स्वस्थ फसल वृद्धि के साथ स्थितियां स्थिर रहीं।
• फरवरी 2025: तापमान में वृद्धि और वर्षा की कमी के कारण दाने बनने के समय गर्मी से नुकसान की संभावना बनी।
• मार्च 2025: अनुकूल मौसम से फसल में सुधार हुआ और पकने की प्रक्रिया अच्छी तरह आगे बढ़ी। मार्च के अंत तक रबी फसलों ने मजबूती दिखाई, जिससे सकारात्मक अनुमान सामने आए।
कटाई की प्रगति: कटाई दिसंबर 2024 में शुरू हुई और जनवरी, फरवरी, मार्च तथा अप्रैल 2025 के पहले सप्ताह तक धीरे-धीरे आगे बढ़ी, जो एक सफल कटाई अवधि को दर्शाता है।
अनुमानित गेहूं उत्पादन: 31 मार्च 2025 तक उपग्रह डेटा और एकीकृत फसल सिमुलेशन मॉडल के आधार पर आठ प्रमुख राज्यों में गेहूं उत्पादन का अनुमान 122.7 मिलियन टन लगाया गया।
CROP के बारे में:
CROP का उद्देश्य उपग्रह डेटा की मदद से गेहूं फसल की प्रगति की व्यवस्थित निगरानी करना है। इसे आठ प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में लागू किया गया:
• उत्तर प्रदेश
• मध्य प्रदेश
• राजस्थान
• पंजाब
• हरियाणा
• बिहार
• गुजरात
• महाराष्ट्र
कार्यप्रणाली:
उपग्रह-आधारित निगरानी: CROP ऑप्टिकल और सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) उपग्रहों से प्राप्त बहु-स्रोत डेटा का एकीकरण करता है, जिनमें शामिल हैं:
• EOS-04 (RISAT-1A)
• EOS-06 (Oceansat-3)
• Resourcesat-2A
इस संयोजन से बुवाई की प्रगति, वनस्पति की सेहत और सूखे की स्थिति का निरंतर आकलन संभव होता है।
वेजिटेशन हेल्थ इंडेक्स (VHI): फसल की स्थिति और वनस्पति पर तनाव की निगरानी के लिए VHI का उपयोग किया जाता है। मासिक मूल्यांकन के माध्यम से गेहूं की वृद्धि को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारकों में बदलाव को समझा जाता है।
फसल वृद्धि सिमुलेशन: 5 किमी × 5 किमी के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन पर एक प्रायोगिक फसल वृद्धि मॉडल, उपग्रह डेटा (बुवाई क्षेत्र, बुवाई की तारीखें और फसल की स्थिति) को समाहित करके गेहूं की पैदावार का आकलन करता है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर सटीक पूर्वानुमान मिलते हैं।
महत्त्व और भविष्य की संभावनाएं
CROP ढांचा कृषि निगरानी में कार्यान्वयन योग्य मॉडल के रूप में कार्य करता है। इसके लाभ हैं:
• बुवाई और कटाई की वास्तविक समय में निगरानी
• सूखे और फसल स्वास्थ्य की निगरानी
• पैदावार आकलन की सटीकता में सुधार
आगे और परिष्करण एवं स्वचालन के साथ यह ढांचा राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कृषि योजना और खाद्य सुरक्षा रणनीतियों को समर्थन दे सकता है।
निष्कर्ष
इसरो का CROP ढांचा उपग्रह प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि निगरानी में नवाचार का उदाहरण है। वर्ष 2024–25 की रबी फसल के लिए इसकी सफल क्रियान्वयन इस प्रणाली को कृषि लचीलापन और नीति निर्माण में एक रणनीतिक उपकरण के रूप में स्थापित करता है।