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Blog / 22 Apr 2025

प्रोजेक्ट चीता के अंतर्गत दो नर चीतों को स्थानांतरित किया गया

संदर्भ:

हाल ही में भारत के चीता पुनर्वास कार्यक्रम के तहत दो नर चीतोंप्रभाष और पावकको मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क (KNP) से गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया गया है। यह पहल प्रोजेक्ट चीताके अंतर्गत की गई है।

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के बारे में:

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य, जो मध्य प्रदेश और राजस्थान में फैला हुआ है, लगभग 2,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यह स्थान घास के मैदानों, शुष्क पर्णपाती जंगलों और नदी किनारे की सदाबहार हरियाली के कारण चीतों के लिए उपयुक्त निवास स्थल माना जाता है। अभयारण्य को 10 चीतों की आबादी के लिए उपयुक्त माना गया है।

चिंताएँ:

·        चीतों के लिए बनाए गए सीमित क्षेत्र में शिकार की न्यूनतम घनता 26 से 35 जानवर प्रति वर्ग किलोमीटर होनी चाहिए, जिससे हर वर्ष लगभग 1,560 से 2,080 शिकार योग्य जानवरों की आवश्यकता होती है। फिलहाल, वहां केवल 475 शिकार प्राणी उपलब्ध हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि करीब 1,500 और जानवरों जैसे चीतल, काले हिरण (ब्लैकबक) और नीलगाय की आवश्यकता है, ताकि चीतों के भोजन की पर्याप्त व्यवस्था हो सके।

·        इसके अतिरिक्त, अभयारण्य के पश्चिमी हिस्से में लगभग 70 तेंदुए मौजूद हैं, जो केवल चीता शावकों के लिए खतरा बन सकते हैं, बल्कि शिकार के संसाधनों को लेकर प्रतिद्वंद्विता भी उत्पन्न कर सकते हैं।

प्रोजेक्ट चीता के बारे में:

·        प्रोजेक्ट चीता भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी संरक्षण परियोजना है, जिसका उद्देश्य 1952 में देश से विलुप्त हो चुके एशियाई चीतों की पुनर्वापसी सुनिश्चित करना है। इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2022 में की गई थी, जिसके अंतर्गत अफ्रीका से चीतों को लाकर भारत के उपयुक्त वन क्षेत्रों में बसाया जा रहा है।

·        इसका उद्देश्य पारिस्थितिक संतुलन को पुनर्स्थापित करना और जैव विविधता को बढ़ावा देना है।
इस परियोजना के क्रियान्वयन की मुख्य जिम्मेदारी नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के पास है। इसमें मध्य प्रदेश वन विभाग, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) और अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव विशेषज्ञों का सक्रिय सहयोग लिया जा रहा है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के बारे में:

·        राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत एक वैधानिक निकाय है। इसे 2006 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद स्थापित किया गया था।

एनटीसीए के उद्देश्य:

·        प्रोजेक्ट टाइगर को वैधानिक प्राधिकार प्रदान करना ताकि इसके निर्देशों का अनुपालन कानूनी हो सके।

·        संघीय ढांचे के भीतर राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन के लिए आधार प्रदान करके बाघ रिजर्व के प्रबंधन में केंद्र -राज्य की जवाबदेही को बढ़ावा देना।

·        संसद द्वारा निगरानी का प्रावधान करना।

·        बाघ अभयारण्यों के आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के आजीविका हितों पर ध्यान देना।

एनटीसीए संरचना:

  • अध्यक्ष : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रभारी केंद्रीय मंत्री
  • उपाध्यक्ष : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री
  • अन्य सदस्य :
    • तीन संसद सदस्य (2 लोकसभा से, 1 राज्यसभा से)
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव
    • वन्यजीव विशेषज्ञ, संरक्षणवादी तथा अन्य मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के अधिकारी

निष्कर्ष:

गांधी सागर में चीतों का स्थानांतरण, प्रोजेक्ट चीता के लिए एक नई शुरुआत होने के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण चुनौती भी है। यह कदम केवल चीतों की अनुकूलन क्षमता का परीक्षण है, बल्कि भारत की वन्यजीव संरक्षण प्रणाली की दक्षता, तत्परता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण का भी आकलन करेगा।