संदर्भ:
हाल ही में चीता परियोजना संचालन समिति ने कुछ चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान से मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने की मंज़ूरी दी है। यह निर्णय कुनो में शिकार की सीमित उपलब्धता और तेंदुओं की उपस्थिति से चीतों को होने वाली समस्या के कारण ली गई।
पृष्ठभूमि:
368 वर्ग किलोमीटर में फैला गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य पिछले एक वर्ष से चीतों के पुनर्वास के लिए तैयार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मध्य प्रदेश और राजस्थान में फैले कुनो-गांधी सागर क्षेत्र में 60–70 चीतों की एक स्थायी आबादी (मेटा-पॉप्युलेशन) स्थापित करना है। हालांकि, इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ सामने आई हैं:
• शिकार की कमी: अभयारण्य में पर्याप्त प्राकृतिक शिकार उपलब्ध नहीं है, हालांकि इस समस्या के समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
• हालिया विवाद: एक वीडियो क्लिप में एक वाहन चालक को चीतों को पानी पिलाते हुए देखा गया, जिससे सुरक्षा मानकों को लेकर चिंता जताई गई। इसके बाद समिति ने मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) के सख्त पालन और संवेदनशील प्रयासों पर जोर दिया।
प्रोजेक्ट चीता के बारे में:
प्रोजेक्ट चीता भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य 1952 में देश से विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा भारतीय जंगलों में बसाना है। इस परियोजना की शुरुआत 2022 में हुई, जिसके तहत अफ्रीकी चीतों को भारत लाकर उपयुक्त प्राकृतिक आवासों में पुनर्स्थापित किया जा रहा है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन और जैव विविधता को बढ़ावा मिल सके।
मुख्य उद्देश्य:
• चीतों को उनके स्वाभाविक परिवेश में पुनः स्थापित कर शिकार प्रजातियों की संख्या को संतुलित रखना और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना।
• अंतरराष्ट्रीय संरक्षण प्रयासों में भारत की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
• ईको-टूरिज़्म को बढ़ावा देकर स्थानीय समुदायों को रोज़गार उपलब्ध कराना और वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित करना।
प्रोजेक्ट की प्रगति:
• चीतों का आगमन: कुल 20 वयस्क अफ्रीकी चीतों को नामीबिया (8) और दक्षिण अफ्रीका (12) से लाकर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया।
• शावकों का जन्म: मार्च 2023 में भारत में पहली बार चार चीता शावकों का जन्म हुआ, जो यहां आए चीतों से उत्पन्न हुए।
• स्थानांतरण की पहल: संचालन समिति ने कुछ चीतों को कुनो से मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने की अनुमति दी है।
प्रोजेक्ट चीता के समक्ष चुनौतियाँ:
- लंबा प्रवास : कई चीतों को लंबे समय तक बाड़ों में रखा गया है, जिससे उनकी जंगली जीवन के प्रति स्वाभाविक अनुकूलता कमजोर हो गई है।
- आवास और शिकार की सीमित उपलब्धता: भारत में चीतों के लिए उपयुक्त प्राकृतिक आवास और पर्याप्त शिकार का आधार अभी भी एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।
- उच्च मृत्यु दर: अब तक आठ वयस्क चीतों और पाँच शावकों की मृत्यु हो चुकी है, जो परियोजना की सफलता के लिए एक बड़ी चुनौती है।