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Blog / 05 Apr 2025

आंध्र प्रदेश में बर्ड फ्लू (H5N1) का प्रकोप

संदर्भ:

हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में बर्ड फ्लू (H5N1) के प्रकोप की आधिकारिक घोषणा की है। 4 अप्रैल 2025 को जारी आदेश के अनुसार, पश्चिम गोदावरी, पूर्वी गोदावरी, कुरनूल, एलुरु, एनटीआर और काकीनाडा जिलों को संक्रमित और निगरानी क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया है, ताकि वायरस के फैलाव को रोका जा सके।

H5N1 वायरस-

H5N1 एक अत्यधिक संक्रामक इंफ्लूएंजा वायरस है, जो मुख्य रूप से पक्षियों को संक्रमित करता है, लेकिन कभी-कभी मनुष्यों में भी फैल सकता है। यह इंसानों के बीच आसानी से नहीं फैलता, लेकिन यदि संक्रमण होता है तो मृत्यु दर 60% तक हो सकती है। (कोविड-19 के सबसे घातक वायरस से मृत्यु दर लगभग 3% थी।)

भारत में अब तक H5N1 के केवल दो मानव मामले सामने आए हैं और दोनों मामलों में मरीजों की मृत्यु हो गई।

दुनिया में H5N1 का इतिहास-

सबसे पहले 1997 में हांगकांग में मानवों में H5N1 का संक्रमण पाया गया था, जब वहां पोल्ट्री (मुर्गी) फार्मों में यह वायरस फैला था। तब से, ज्यादातर मामले एशिया में ही दर्ज किए गए हैं, हालांकि कुछ मामले अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका में भी सामने आए हैं।

लगभग सभी मानव संक्रमण संक्रमित पक्षियों के सीधे संपर्क में आने से हुए हैं।

रोकथाम के उपाय-

  • स्वास्थ्य जांच: सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में बुखार और फ्लू के लक्षणों की स्क्रीनिंग की जा रही है।

  • पोल्ट्री नष्ट करना: प्रभावित जिलों में बादमपुड़ी (एलुरु), वेलपुर और कानूर (पश्चिम गोदावरी), गम्पलागुडेम (एनटीआर) के पोल्ट्री फार्मों में बर्ड फ्लू फैलने के कारण मुर्गियों को नष्ट किया गया है।

  • रेड ज़ोन प्रतिबंध: संक्रमित स्थानों के 1 किमी के दायरे को रेड ज़ोन घोषित किया गया है, जहां जानवरों की आवाजाही और भोजन पर प्रतिबंध लगाया गया है।

  • केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश: केंद्र सरकार ने राज्य और स्थानीय प्रशासन को दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि संक्रमण को रोका जा सके।

निष्कर्ष

आंध्र प्रदेश में बर्ड फ्लू का यह प्रकोप सतर्कता, रोकथाम और जागरूकता के महत्व को दर्शाता है। हालांकि मानव मामलों की संख्या अभी भी बहुत कम है, फिर भी सरकार द्वारा उठाए गए कदम वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक हैं। सतत निगरानी इस वायरस के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।