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Blog / 25 Mar 2025

चीन से आयत होने वाले 5 उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क

सन्दर्भ:

हाल ही में भारत ने घरेलू उद्योगों को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने के लिए चीन से आयात होने वाले पाँच उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है। यह फैसला वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा "व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR)" की सिफारिश पर लिया गया है।

एंटी-डंपिंग शुल्क क्या होते हैं?

      एंटी-डंपिंग शुल्क उन उपायों में से एक है जो किसी देश के उद्योगों को अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए लगाए जाते हैं। डंपिंग तब होती है जब कोई देश किसी उत्पाद को उसकी वास्तविक कीमत से कम दाम में या उत्पादन लागत से भी सस्ते में दूसरे देश को निर्यात करता है जिससे स्थानीय उद्योगों को नुकसान होता है, क्योंकि इससे उनकी कीमतें कम हो जाएंगी और उनके लिए प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो जाएगा।

      विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत, सदस्य देश अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए डंपिंग के खिलाफ अतिरिक्त शुल्क लगा सकते हैं ताकि स्थानीय बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बनी रहे।

वह उत्पाद जिन पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया:

1.   एल्यूमिनियम फॉयल: इस पर 873 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का अस्थायी शुल्क छह महीने के लिए लगाया गया है।

2.   सॉफ्ट फेराइट कोर: यह इलेक्ट्रिक वाहनों, चार्जर और टेलीकॉम डिवाइस में इस्तेमाल होते हैं। इन पर CIF (लागत, बीमा और सामान ढुलाई) मूल्य का 35% तक शुल्क लगाया गया है।

3.   वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क: इसके आयात पर 1,732 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का शुल्क लगाया गया है।

4.   ट्राइक्लोरो आइसोस्यान्यूरिक एसिड: पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल होने वाले इस रसायन पर 276 से 986 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है।

5.   पॉली विनाइल क्लोराइड पेस्ट रेजिन: चीन के अलावा, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, नॉर्वे, ताइवान और थाईलैंड से आने वाले इस उत्पाद पर 89 से 707 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है।

भारत द्वारा शुल्क लगाने का कारण:

    भारत सरकार ने यह शुल्क घरेलू उद्योगों की रक्षा करने के लिए लगाए हैं। DGTR की जांच में यह पाया गया कि चीन से आने वाले ये उत्पाद बहुत कम कीमतों पर बेचे जा रहे थे, जिससे भारतीय निर्माताओं को भारी नुकसान हो रहा था।

    ऐसे में, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बनाए रखने और स्थानीय उद्योगों को दीर्घकालिक व्यवहार्यता (Long-term viability) सुनिश्चित करने के लिए एंटी-डंपिंग का उपाय आवश्यक है।

एंटी-डंपिंग शुल्क कैसे काम करता है?

    सामान्य शुल्क की तुलना में, एंटी-डंपिंग शुल्क एक विशेष सुरक्षा उपाय है, जो किसी देश के बाजार को कुछ शर्तों के तहत डंपिंग के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति देता है।

    GATT (सामान्य शुल्क और व्यापार समझौता) के तहत देशों को यह अधिकार दिया गया है कि वे जरूरत पड़ने पर ऐसे शुल्क लगा सकते हैं।

क्या एंटी-डंपिंग शुल्क WTO नियमों का उल्लंघन करता है?

    एंटी-डंपिंग शुल्क WTO के नियमों का उल्लंघन नहीं करता। इसके विपरीत, WTO स्वयं यह अनुमति देता है कि यदि कोई देश डंपिंग से प्रभावित हो रहा है, तो वह उचित जांच के बाद ऐसे शुल्क लगा सकता है।

    हालांकि, यह शुल्क तभी लागू किए जा सकते हैं जब यह साबित हो जाए कि घरेलू उद्योगों को नुकसान हुआ है और सभी प्रक्रियाओं का सही तरीके से पालन किया गया है।

निष्कर्ष:

भारत द्वारा चीन से आने वाले उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे देश में निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इस फैसले से भारत की यह नीति स्पष्ट होती है कि वह चीन के साथ संतुलित और निष्पक्ष व्यापार संबंध बनाए रखना चाहता है, साथ ही अपने आर्थिक हितों की रक्षा भी करना चाहता है।