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Blog / 21 Apr 2025

आंध्र प्रदेश में अनुसूचित जातियों के उपवर्गीकरण को मंजूरी

सन्दर्भ: 

हाल ही में आंध्र प्रदेश की कैबिनेट ने सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तुत उस मसौदा अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिसमें राज्य की अनुसूचित जातियों का उपवर्गीकरण (Sub-categorisation) करने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य यह है कि सामाजिक और आर्थिक रूप से अधिक पिछड़े समुदायों को अनुसूचित जातियों का उपवर्गीकरण से आरक्षणके माध्यम से अधिक लाभ मिल सके।

अध्यादेश के बारे में:

  • सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उपवर्गीकरण की अनुमति दी गई थी, आंध्र प्रदेश सरकार ने 15 नवंबर 2024 को एक आयोग का गठन किया। इस आयोग का उद्देश्य राज्य में अनुसूचित जातियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन कर उपवर्गीकरण की आवश्यकता को समझना था।
  • यह आयोग राजीव रंजन मिश्रा की अध्यक्षता में गठित किया गया था। आयोग ने राज्य के सभी जिलों में जाकर जनमत संग्रह किया और 10 मार्च 2025 को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। इस रिपोर्ट को विधान परिषद और विधानसभा दोनों में सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया और उसी के आधार पर यह अध्यादेश तैयार किया गया है।

अनुसूचित जातियों के उपवर्गीकरण का उद्देश्य:

अनुसूचित जातियों के उपवर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अनुसूचित जाति समुदायों को उनकी जनसंख्या, सामाजिक पिछड़ापन और आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण का लाभ मिल सके। सभी जातियों को एक समान आरक्षण देने के बजाय, यह व्यवस्था उनकी वास्तविक ज़रूरतों के अनुसार आरक्षण को विभाजित करने की दिशा में कदम है। इससे शिक्षा, सरकारी नौकरियों और स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व के अवसर अधिक न्यायसंगत ढंग से वितरित किए जा सकेंगे।

अध्यादेश की प्रमुख बातें:

1. अनुसूचित जातियों उपवर्गीकरण तीन समूहों में:

o समूह 1 (सबसे पिछड़े):  

• 12 उपजातियाँ

• 1% आरक्षण

o समूह 2 (पिछड़े - मडिगा उपसमूह):

• 18 उपजातियाँ

• 6.5% आरक्षण

o समूह 3 (कम पिछड़े - माला उपसमूह):

• 29 उपजातियाँ

• 7.5% आरक्षण

2. उद्देश्य:

आरक्षण का लाभ उनकी संख्या और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के अनुसार हर उपजाति तक पहुँचाना।

3. कानूनी आधार:

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जो राज्यों को अनुसूचित जाति समुदायों के भीतर वर्गीकरण की अनुमति देता है।

आरक्षण पर प्रभाव:

समान अवसर: इस उपवर्गीकरण से सभी उपजातियों को उनकी स्थिति के अनुसार आरक्षण का लाभ मिलेगा। अब तक जो जातियाँ आरक्षण से अपेक्षाकृत वंचित थीं, उन्हें भी उचित प्रतिनिधित्व मिल सकेगा।

बेहतर प्रतिनिधित्व: शिक्षा, सरकारी सेवाओं और राजनीतिक संस्थानों में पिछड़े उपवर्गों की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

क्रियान्वयन: यह व्यवस्था 2026 की जनगणना के बाद लागू की जाएगी, जिससे आंकड़ों के आधार पर योजनाओं का सटीक क्रियान्वयन हो सके।

निष्कर्ष:

आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित यह अनुसूचित जाति का उपवर्गीकरण अध्यादेश अनुसूचित जातियों के भीतर लंबे समय से चली आ रही असमानताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह राज्य सरकार की सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि यह कदम कानूनी और राजनीतिक चर्चाओं का विषय बन सकता है, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे संवैधानिक ढांचे के अनुरूप, प्रभावी ढंग से और सामाजिक संतुलन को बनाए रखते हुए कैसे लागू किया जाता है।