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Blog / 03 Mar 2025

आदित्य-एल1 की सफलता: सौर ज्वाला का केंद्र कैप्चर

संदर्भ:

हाल ही में भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 ने सौर अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। आदित्य-एल1 में लगे सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) ने सूर्य के वायुमंडल की निचली परतों - फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर में एक सौर ज्वाला के केंद्र (Kernel) को कैप्चर किया है। यह एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण अवलोकन है, जो सौर गतिविधियों समझने और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने में मदद करेगा।

आदित्य-एल1 के बारे में:

·        भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 2 सितंबर 2023 को आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण किया, जो सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला समर्पित अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन का उद्देश्य सौर ज्वालाओं, कोरोनल हीटिंग, सौर हवा और अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन करना है। ये सभी घटनाएं पृथ्वी के तकनीकी बुनियादी ढांचे, जैसे उपग्रह प्रणालियों, बिजली ग्रिड और संचार नेटवर्क पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालती हैं।

·        आदित्य-एल1 को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंज बिंदु-1 (L1) पर तैनात किया गया है। यह स्थिति रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से अंतरिक्ष यान को बिना किसी वायुमंडलीय बाधा के सूर्य का निरंतर अवलोकन करने की सुविधा मिलती है। इसके अतिरिक्त, L1 पर स्थित होने से आदित्य-एल1 को सौर तूफानों (Solar Storms) से जुड़ी वास्तविक समय की जानकारी एकत्र करने में मदद मिलती है, जिससे प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को सुदृढ़ किया जा सकता है।

आदित्य-L1 सौर ज्वालाओं का अध्ययन कैसे करता है:

सौर ज्वालाएँ (Solar Flares) सूर्य के वायुमंडल में संग्रहीत चुंबकीय ऊर्जा के अचानक मुक्त होने के कारण होने वाले तीव्र ऊर्जा विस्फोट हैं। ये विस्फोट पृथ्वी पर भी प्रभाव डालते हैं, क्योंकि ये उपग्रह संचार, जीपीएस प्रणाली और बिजली ग्रिड को बाधित कर सकते हैं। साथ ही, ये अंतरिक्ष यात्रियों और उच्च ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले विमानों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।

इन सौर ज्वालाओं के गहन अध्ययन के लिए, आदित्य-एल1 को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं:

     SUIT (Solar Ultraviolet Imaging Telescope):  यह उपकरण निकट-पराबैंगनी स्पेक्ट्रम में सूर्य की फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियों को कैप्चर करता है। इससे वैज्ञानिकों को सौर ज्वालाओं की उत्पत्ति और उनके विकास को समझने में महत्वपूर्ण सहायता मिलती है।

     SoLEXS (Solar Low Energy X-ray Spectrometer) और HEL1OS (High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer): ये उपकरण सौर ज्वाला के दौरान उत्सर्जित एक्स-रे विकिरण की निरंतर निगरानी करते हैं, जिससे इन विस्फोटों के ऊर्जा प्रवाह को ट्रैक किया जा सकता है।

Unveiling the Sun's Secrets: ISRO's Aditya-L1 Mission

सौर ज्वाला का अवलोकन:

·        आदित्य-एल1 पर स्थापित सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) ने हाल ही में X6.3-श्रेणी की सौर ज्वाला का सफलतापूर्वक अवलोकन किया है, जो सौर विस्फोटों की सबसे तीव्र श्रेणियों में से एक मानी जाती है। इस घटना को निकट-पराबैंगनी (200-400 एनएम) स्पेक्ट्रम में दर्ज किया गया, जो अब तक इस स्तर की स्पष्टता के साथ पहले कभी दर्ज नहीं किया गया था।

सौर ज्वालाओं का वर्गीकरण और प्रभाव

·        सौर ज्वालाओं को उनकी तीव्रता के आधार पर A, B, C, M और X श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें X-क्लास ज्वालाएँ सबसे शक्तिशाली मानी जाती हैं। इनका प्रभाव वैश्विक स्तर पर व्यापक हो सकता है, जैसे:

रेडियो ब्लैकआउट, जिससे संचार नेटवर्क प्रभावित होते हैं।
उपग्रहों पर तीव्र विकिरण का प्रभाव, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।
पृथ्वी पर बिजली ग्रिड और जीपीएस सिस्टम में गड़बड़ी।
अंतरिक्ष यात्रियों और उच्च ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले विमानों के लिए विकिरण जोखिम।

इन सौर ज्वालाओं का गहन अध्ययन वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष मौसम के सटीक पूर्वानुमान में सुधार करने और पृथ्वी के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे प्रौद्योगिकी को सुरक्षित रखने के उपायों को मजबूत करने में सहायता करता है।

निष्कर्ष:

SUIT द्वारा X6.3-श्रेणी की सौर ज्वाला का सफलतापूर्वक पता लगाया जाना, भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ी उपलब्धि है। आदित्य-एल1 के सभी उपकरणों के सक्रिय संचालन के साथ, यह मिशन भविष्य में सूर्य की गतिविधियों पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध कराएगा।