संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए थाईलैंड का दौरा किया, जो 2018 काठमांडू शिखर सम्मेलन के बाद बिम्सटेक नेताओं की पहली व्यक्तिगत बैठक थी। कोलंबो (2022) में वर्चुअल रूप से आयोजित पिछले शिखर सम्मेलन में चार्टर को अपनाने के साथ बिम्सटेक की संस्थागत संरचना को औपचारिक रूप दिया गया था। छठे शिखर सम्मेलन की थीम "समृद्ध, लचीला और खुला बिम्सटेक (प्रो बिम्सटेक)" (Prosperous, Resilient, and Open BIMSTEC (PRO BIMSTEC)) है, जो आर्थिक एकीकरण, सुरक्षा और कनेक्टिविटी पर क्षेत्र के फोकस को दर्शाता है।
बिम्सटेक का महत्व
- बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) एक क्षेत्रीय समूह है जो बंगाल की खाड़ी से लगे देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
- यह समूह शुरुआत में 1997 में BIST-EC (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) के रूप में बना था। बाद में म्यांमार (1997), नेपाल और भूटान (2004) इसके सदस्य बने और इसे बिम्सटेक नाम मिला।
- बिम्सटेक, जो 1.8 अरब लोगों (दुनिया की 22% आबादी) का घर है और जिसकी सम्मिलित GDP $3.6 ट्रिलियन है, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक पुल की तरह कार्य करता है।
- जहां एक ओर सार्क भारत-पाक तनावों के कारण निष्क्रिय हो गया है, वहीं बिम्सटेक व्यापार, कनेक्टिविटी और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग का एक अधिक व्यावहारिक मंच प्रदान करता है।
भारत की भूमिका और रणनीतिक हित
भारत बिम्सटेक को अपनी पड़ोसी प्रथम (Neighbourhood First) और एक्ट ईस्ट (Act East) नीतियों के तहत प्राथमिकता देता है। 2016 में सार्क में गतिरोध के बाद, भारत ने बिम्सटेक पर ध्यान केंद्रित किया और ब्रिक्स सम्मेलन (गोवा, 2016) के साथ एक विशेष बिम्सटेक आउटरिच शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की।
भारत बिम्सटेक में 4S दृष्टिकोण को अपनाता है:
• सम्मान
• संवाद
• शांति
• समृद्धि
छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन (2024) में भारत के प्रमुख प्रस्ताव
1. आर्थिक और डिजिटल कनेक्टिविटी
• बिम्सटेक चैंबर ऑफ कॉमर्स और वार्षिक बिजनेस समिट की स्थापना।
• भारत के UPI को बिम्सटेक भुगतान प्रणालियों से जोड़ना।
• स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देना ताकि बाहरी अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता कम हो।
2. समुद्री और परिवहन सहयोग
• नीतिगत समन्वय के लिए सतत समुद्री परिवहन केंद्र की स्थापना।
• ऊर्जा सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए क्षेत्रीय विद्युत ग्रिड इंटरकनेक्शन को मजबूत करना।
3. आपदा प्रबंधन और जलवायु सहनशीलता
• भारत में बिम्सटेक आपदा प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना।
• 2024 में चौथा संयुक्त आपदा प्रबंधन अभ्यास आयोजित करना।
4. शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास-
• BODHI (BIMSTEC for Organised Development of Human Resource Infrastructure) पहल शुरू करना, जिसके तहत बिम्सटेक देशों के 300 युवाओं को प्रतिवर्ष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
• नालंदा विश्वविद्यालय और वन अनुसंधान संस्थान में छात्रवृत्तियों का विस्तार।
• कृषि, पारंपरिक चिकित्सा और कैंसर देखभाल में उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना।
5. अंतरिक्ष और तकनीकी सहयोग-
• उपग्रह आधारित अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए बिम्सटेक ग्राउंड स्टेशन की स्थापना।
• नैनो-सेटेलाइट विकास और रिमोट सेंसिंग सहयोग को प्रोत्साहित करना।
6. सांस्कृतिक और खेल आदान-प्रदान-
• बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव और युवा नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित करना।
• बिम्सटेक एथलेटिक्स मीट (2024) और पहले बिम्सटेक गेम्स (2027) का आयोजन।
निष्कर्ष:
बिम्सटेक एक उभरता हुआ क्षेत्रीय संगठन बन रहा है जो आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है। भारत की सक्रिय नेतृत्व भूमिका के साथ, बिम्सटेक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि का एक स्तंभ बन सकता है। यदि संस्थागत चुनौतियों का कुशलता से समाधान किया जाए, तो बिम्सटेक 21वीं सदी में क्षेत्रीय एकीकरण का एक मॉडल बन सकता है।