सन्दर्भ : हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेल, 2025 का शुभारंभ 28 जनवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। इस संस्करण की मेजबानी उत्तराखंड कर रहा है, जोकि राष्ट्र के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अपनी क्षमता प्रदर्शित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा। यह आयोजन 14 फरवरी 2025 तक जारी रहेगा, जिसमें संपूर्ण भारत से 11,340 से अधिक एथलीट विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले रहे हैं।
38वें राष्ट्रीय खेलों की मुख्य बातें:
1. तारीख और समय – ये खेल 28 जनवरी 2025 से शुरू होकर 14 फरवरी 2025 तक चलेंगे।
2. मेजबान राज्य – उत्तराखंड इस बार मेजबान है और उद्घाटन समारोह देहरादून के राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में हुआ।
3. मास्कॉट (प्रतीक चिन्ह) – इन खेलों का शुभंकर "मौली" है, जो खेल भावना, एकता और उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को दर्शाता है।
4. प्रतिभागी खिलाड़ी – कुल 11,340 से ज्यादा खिलाड़ी भाग ले रहे हैं और 36 खेलों में प्रतिस्पर्धा करेंगे। इनमें कालारिपयट्टु, मल्लखंब, राफ्टिंग और योगासन जैसे चार विशेष खेल भी शामिल हैं।
5. स्थान – पूरे उत्तराखंड के 11 शहरों में ये खेल आयोजित किए जाएंगे। मुख्य आयोजन स्थल देहरादून का महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज है। समापन समारोह 14 फरवरी 2025 को हल्द्वानी में होगा।
6. थीम (विषय) – आधिकारिक थीम "संकल्प से शिखर तक" दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम के माध्यम से सर्वोच्च लक्ष्यों की प्राप्ति के विचार को दर्शाती है।
राष्ट्रीय खेलों का इतिहास:
राष्ट्रीय खेलों की शुरुआत 1924 में लाहौर में हुई थी, जो उस समय ओलंपिक से प्रेरित थे। स्वतंत्रता पूर्व इन खेलों का आयोजन अनियमित रूप से किया जाता था, किंतु 1940 के पश्चात इनका आयोजन अधिक नियमित हो गया। स्वतंत्रता उपरांत, प्रथम राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लखनऊ ने की, जबकि 1985 में नई दिल्ली ने पहली बार ओलंपिक शैली के राष्ट्रीय खेलों का आयोजन किया, जिससे इन खेलों को अधिक संरचित एवं व्यापक स्वरूप प्राप्त हुआ।
38वें राष्ट्रीय खेल 2025 का महत्व:
1. खेलों का प्रचार – 38वें राष्ट्रीय खेल पूरे भारत में खेलों के प्रचार-प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करते हैं। विविध खेल प्रतियोगिताओं और क्षेत्रीय खेलों को शामिल करके, देश की व्यापक खेल प्रतिभा के समुचित प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करते हैं।
2. संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव – कालारिपयट्टु और मल्लखंब जैसे प्रदर्शनी खेलों को शामिल करना इन खेलों को भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक खेल विरासत से जोड़ता है।
3. खेल सुविधाओं का विकास – राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से मेजबान राज्य में खेल अवसंरचना के विकास को गति मिली है। उत्तराखंड में इन खेलों के लिए विकसित की गई सुविधाएं, जैसे महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, राज्य के खेल पारिस्थितिकी तंत्र पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेंगी।