संदर्भ-
"योग भारत की देन है और यह भारत की बहुत पुरानी परंपरा है। योग कॉपीराइट, पेटेंट और रॉयल्टी भुगतान से मुक्त है। योग आपकी उम्र, लिंग और फिटनेस स्तर के अनुकूल है। योग गतिशील है और वास्तव में सार्वभौमिक है,” यह वक्तव्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 जून 2023 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में 9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दिया था । जो योग के सार और सार्वभौमिकता को संक्षेप में प्रस्तुत करता है,योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए अपनायी गई एक प्राचीन भारतीय प्रणाली है।
योग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
योग, जैसा कि ऋषि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों में समझाया है, एक आठ-स्तरीय प्रणाली है जिसमें यम (नैतिक आचरण), नियम (सही पालन), आसन (सही आसन), प्राणायाम (प्राण का नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का प्रत्याहार), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि (अति चेतना या भगवान के साथ एकता) शामिल हैं। यह प्राचीन अभ्यास राष्ट्रीयता, जाति और धर्म से परे है, और सभी मनुष्यों के स्वास्थ के लिए लाभ प्रदान करता है।
विश्व स्तर पर योग की लोकप्रियता तथा भारतीय योग गुरुओं की भूमिका
योग के वैश्विक प्रसार का श्रेय भारतीय योग गुरुओं और आध्यात्मिक शिक्षकों को जाता है जिन्होंने योगिक शिक्षाओं और प्रथाओं का दुनिया भर में प्रचार किया, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में। स्वामी विवेकानंद ने 1893 में विश्व धर्म संसद में भारतीय आध्यात्मिक सिद्धांतों को प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी सफलता ने परमहंस योगानंद जैसे अन्य योग गुरुओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया, जिन्हें 'पश्चिम में योग के पिता' के रूप में जाना जाता है। योगानंद की पुस्तक, "ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ अ योगी," ने भारतीय आध्यात्मिकता और योग-ध्यान को वैश्विक दर्शकों तक पहुँचाया।
1965 के यूएस इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्टमें हुए बदलाव के कारण 1960 के दशक में पश्चिमी दुनिया में योग की लोकप्रियता में वृद्धि हुई । इसने महर्षि महेश योगी, बी.के.एस. अयंगर, और अन्य योग गुरुओं के अमेरिका जाने की सुविधा प्रदान की। आज, योग विश्व भर में प्रचलित है, जिसमें कई इस्लामी देश भी शामिल हैं, और विश्व स्तर पर इसके समग्र लाभों को मान्यता दी गई है तथा इसे एक वैज्ञानिक, सार्वभौमिक और गैर-प्रचारक अभ्यास के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
समग्र स्वास्थ्य वार्ता में योग
20वीं सदी के अंत तक, स्वास्थ्य देखभाल की वैश्विक अवधारणा विकसित हुई, जिसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण को एकीकृत करने वाले समग्र स्वास्थ्य को शामिल किया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य केवल रोग की अनुपस्थिति से कहीं अधिक व्यापक है । वर्तमान में योग इस समग्र स्वास्थ्य आंदोलन का अभिन्न अंग बन गया है, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे उन्नत देशों में। अनुसंधान-आधारित साक्ष्य, योग के लाभों का समर्थन करते हैं, परिणामस्वरूप इसे पूरक स्वास्थ्य प्रथाओं में शामिल किया गया है। यूएस नेशनल हेल्थ इंटरव्यू सर्वेक्षणों द्वारा पुष्टि की गई है कि वर्तमान में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव: एक कूटनीतिक पहल
2014 में, मोदी सरकार की पहली कूटनीतिक पहलों में से एक संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में योग को बढ़ावा देना था। भारत ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्थापित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव का 177 देशों ने समर्थन किया । इस सफलता ने भारत की छवि को वैश्विक रूप से बढ़ाया और वैश्विक चिंताओं के समाधान के रूप में भारतीय विचारों को उजागर किया।
यूनेस्को द्वारा मान्यता
2016 में, यूनेस्को ने योग को एक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी। योग कई सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देता है, जिसमें अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण (एसडीजी 3), गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (एसडीजी 4), लैंगिक समानता (एसडीजी 5), असमानताओं को कम करना (एसडीजी 10), तथा शांति, न्याय, और मजबूत संस्थान (एसडीजी 16) शामिल हैं।
योग के संवर्धन के लिए राष्ट्रीय पहल
मोदी सरकार ने योग के संवर्धन के लिए कई राष्ट्रीय पहलें आरंभ की हैं। 2014 में, पारंपरिक और पूरक चिकित्सा प्रणालियों की के लिए आयुष मंत्रालय की स्थापना की गई, जिसका वार्षिक बजट बढ़कर 2023-24 में ₹3,647.50 करोड़ (US$440 मिलियन) हो गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ने अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और कार्यस्थलों में योग को शामिल करने की सिफारिश की है। योग प्रमाणन बोर्ड योग प्रशिक्षण में मानकीकरण सुनिश्चित करता है, और सरकारी अस्पतालों में योग ओपीडी खोले गए हैं। मलखंभ और योगासन जैसे स्वदेशी खेलों के अधिक प्रचार के लिए इन्हें राष्ट्रीय खेलों 2022 में शामिल किया गया।
वैश्विक आउटरीच और योग पर्यटन
भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों को लागू किया है। ई-पर्यटक वीजा योजना विदेशियों को अल्पकालिक योग कार्यक्रमों के लिए भारत आने की अनुमति देती है। मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) पोर्टल पारंपरिक चिकित्सा के लिए एंड-टू-एंड ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करता है। भारत का एमवीटी बाजार उल्लेखनीय रूप से बढ़ने की उम्मीद है, जिसमें "हील बाई इंडिया" और "हील इन इंडिया" जैसी पहलों द्वारा आयुर्वेद और योग को वैश्विक रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक "नई योग अर्थव्यवस्था" की घोषणा की है, जिसमें ऋषिकेश और केरल जैसे स्थान योग पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।
योग का डिजिटल प्रचार
भारत सरकार ने योग को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है। 2017 में लॉन्च किया गया 'सेलिब्रेटिंग योग' ऐप योग के बारे में विस्तृत जानकारी को जनता के लिए सुलभ कराता है। 2021 में लॉन्च किया गया "नमस्ते योग" ऐप योग कार्यक्रमों, कक्षाओं और शारीरिक गतिविधि ट्रैकिंग पर व्यापक जानकारी प्रदान करता है। प्रमाणित योग शिक्षकों को विदेशों में भारतीय मिशनों में योग को बढ़ावा देने के लिए तैनात किया गया है।
भारत की जी20 अध्यक्षता में योग
2023 में जी20 अध्यक्षता के दौरान, भारत ने वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ाने में योग की प्रभावशीलता को प्रदर्शित किया है। बड़े पैमाने पर योग प्रदर्शन और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, और जी20 शिखर सम्मेलन स्थल पर योग स्टूडियो स्थापित किए गए। विज्ञान-20 शिखर सम्मेलन में, विशेषज्ञों ने स्वच्छ ऊर्जा और सार्वभौमिक समग्र स्वास्थ्य जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया, तथा भारत की सांस्कृतिक और योगिक परंपराओं को प्रस्तुत किया।
योग के साथ आगे बढ़ते हुए
भारत की सांस्कृतिक विरासत के रूप में योग कूटनीति में एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभरा है। वैश्विक योग बाजार के महत्वपूर्ण रूप से बढ़ने की उम्मीद है, जिसमें भारत एक लोकप्रिय स्वास्थ्य पर्यटन गंतव्य बन रहा है। हालांकि, भारत को साक्ष्य-आधारित योग प्रथाओं को एकीकृत करके तथा रोग दर को कम करके समग्र स्वास्थ्य पहल का नेतृत्व करना चाहिए l मानसिक स्वास्थ्य पर योग-ध्यान के प्रभाव पर अनुसंधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, और योग पर्यटन को भारत की पड़ोस और एक्ट ईस्ट नीतियों से जोड़ा जाना चाहिए।
योग: भारत की सॉफ्ट पावर या वैश्विक हितैषी पहल ?
योग ने भारत के सांस्कृतिक राजदूत का कार्य किया है। प्रधान मंत्री मोदी ने योग की क्षमता की मान्यता और इसे विदेश नीति प्राथमिकता के रूप में बढ़ावा देने से इसे एक अनूठा सॉफ्ट पावर उपकरण बना दिया है। योग की सार्वभौमिकता और लाभ भारतीय सभ्यता के विचारों जैसे वसुधैव कुटुंबकम (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) और सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी सुखी रहें) के साथ मेल खाते हैं। भू-राजनीतिक उथल-पुथल के समय में, भारत का संवाद और कूटनीति पर जोर शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में इसकी छवि को पूरक बनाता है। जिसमे पूर्व का सभ्यतागत ज्ञान एवं भारतीय प्रथाएँ शामिल हैं, जो दुनिया को स्थायी शांति प्रदान कर सकती हैं।
निष्कर्ष
योग, वैश्विक मान्यता और स्वीकृति प्राप्त कर चुका है। दुनिया भर में करोड़ों योग साधक इसे “भारत का उपहार” की संज्ञा देते हुए ,योग के अंतर्निहित मूल्य को स्वीकार करते हैं। विभिन्न चुनौतियों से जूझती दुनिया में, समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए योग का प्रचार वैश्विक स्तर पर भारत के कूटनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव को बढ़ाता है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न- 1. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग के प्रचार, जैसे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना और यूनेस्को की मान्यता, ने भारत की वैश्विक कूटनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति को कैसे प्रभावित किया है? (10 अंक, 150 शब्द) 2. योग को स्वास्थ्य देखभाल मुख्यधारा में एकीकृत करने और इसे समग्र कल्याण और पर्यटन के साधन के रूप में बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने कौन-कौन सी राष्ट्रीय और वैश्विक पहलें की हैं? (15 अंक, 250 शब्द) |
स्रोत- VIF