प्रासंगिकता/ पाठ्यक्रम से सम्बद्धता : की वर्ड्स :- थोक मूल्य सूचकांक, प्राथमिक वस्तु, विनिर्मित उत्पाद, खाद्य वस्तुएं, ईंधन और शक्ति
चर्चा में क्यों ?
दिसंबर 2021 में भारत का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) 13.56 % दर्ज किया गया। यद्यपि यह पिछले वर्ष के नवम्बर माह के रिकॉर्ड-उच्च स्तर 14.23% की अपेक्षा थोड़ा कम है। फिर भी पिछले क्रमागत 9 माह से थोक मूल्य सूचकांक दोहरे अंको में दर्ज किया गया है। विषेशज्ञों के अनुसार वित्त वर्ष 2022 की समाप्ति तक थोक मूल्य सूचकांक के दोहरे अंको में रहने की सम्भावना है।
थोक मूल्य सूचकांक एक नज़र में:-
- थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) उपभोक्ता पूर्व चरण में (उपभोग्ताओ तक पहुंचने के पूर्व ) वस्तुओं के मूल्य में हुए परिवर्तनों का मापन करता है अर्थात यह थोक में विक्रय होने वाले वस्तुओं के मूल्य का मापन करता है। जिसका व्यापार संस्थाओ तथा व्यावसायिकों (उपभोगकर्ता नहीं) के मध्य होता है।
- थोक मूल्य सूचकांक (WPI) देश की मुद्रास्फीति स्तर का एक संकेतक हैं।
- यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार द्वारा जारी किया जाता है।
- अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों जैसे "जीडीपी और आईआईपी" के आधार वर्ष के साथ थोक मूल्य सूचकांक को संरेखित करने के लिए, अप्रैल 2017 से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) की नई श्रृंखला हेतु 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया है। इसके पूर्व इस सूचकांक का आधारवर्ष 2004-05 था।
थोक मूल्य सूचकांक के घटक
- प्राथमिक वस्तुऐं थोक मूल्य सूचकांक का एक प्रमुख घटक हैं इन्हे पुनः खाद्य वस्तुओं और गैर-खाद्य वस्तुओं में विभाजित किया गया है।
- खाद्य वस्तुओं में अनाज, धान, गेहूं, दालें, सब्जियां, फल, दूध, अंडे, मांस और मछली आदि जैसी वस्तुएं सम्मिलित हैं। वहीं गैर-खाद्य वस्तुओं में तिलहन, खनिज और कच्चे पेट्रोलियम इत्यादि सम्मिलित हैं।
- थोक मूल्य सूचकांक का अगला प्रमुख घटक ईंधन और विद्युत् है। यह पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के मूल्यों में हो रहे परिवर्तन का मापन करता है।
- थोक मूल्य सूचकांक में तीसरा तथा सबसे बड़ा घटक विनिर्मित वस्तुओं का है। यह कपड़ा, परिधान, कागज, रसायन, प्लास्टिक, सीमेंट, धातु, इत्यादि विनिर्मित उत्पादों के मूल्य परिवर्तन का मापन करता है।
- विनिर्मित वस्तुओं की श्रेणी में कुछ खाद्य उत्पाद यथा चीनी, तंबाकू उत्पाद, वनस्पति और पशु तेल, और वसा भी सम्मिलित होते हैं।
उच्च थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति के कारण:-
- दिसंबर 2021 में उच्च मुद्रास्फीति दर का मुख्य कारण पिछले वर्ष (इसी माह) की तुलना में खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, रसायन और रासायनिक उत्पादों, खाद्य उत्पादों, कपड़ा और कागज और कागज उत्पादों के मूल्य में हो रही वृद्धि है।
- दिसंबर 2021 में खाद्य वस्तुओं के घटक में 9.56 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले वर्ष के दिसंबर माह में 4.88 प्रतिशत था। सब्जियों के मूल्य में तीव्र वृद्धि के लिए स्पाइक को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- दिसंबर में सब्जियों के मूल्य में 31.56 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जबकि नवम्बर में सब्जियों में मात्र 3.91 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। आलू की कीमतों में (-)42.10% की कमी आई, जबकि प्याज की कीमतों में (-)19.08%की गिरावट आई। वहीं दूसरी तरफ, फलों की कीमतों में पिछले माह 15.09% की वृद्धि हुई, जबकि गेहूं की कीमतों में 11.41% की वृद्धि हुई। अंडे, मांस और मछली के मूल्य दिसंबर में 6.68% बढ़े जबकि अनाज के मूल्य में 5.10% की वृद्धि हुई।
- दिसंबर में ईंधन तथा विद्युत घटक की मुद्रास्फीति में 7.51% की गिरावट दर्ज की गयी। इस गिरावट के साथ ईंधन तथा विद्युत घटक में मुद्रास्फीति 32.30% रही। जबकि 1 माह पूर्व यह आंकड़ा 39.81% था। वहीं पेट्रोल की कीमत 72.11%, एचएसडी (हाई-स्पीड डीजल) में 68.05% और एलपीजी की कीमतों में 53.28% की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष के दिसंबर की तुलना में)।
- दिसंबर 2021 में विनिर्मित उत्पादो में 10.42% की वृद्धि दर्ज की जबकि नवंबर में विनिर्मित उत्पादों में 11.92% की मूल्य वृद्धि हुई थी।
थोक मूल्य सूचकांक की कमियां (गणना में चुनौतियां) :-
2021 में "थोक मूल्य सूचकांक की प्रासंगिकता" पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के में बताया गया कि यद्यपि थोक मूल्य सूचकांक अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक बहुचर्चित अवधारणा है, परन्तु इसमें कुछ कमियां भी हैं। रिपोर्ट द्वारा बताई गई कमियों का वर्णन निम्नवत है-
- मुख्य रूप से, थोक मूल्य सूचकांक मात्र उन वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करता है जो थोक में खरीदी जाती हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण कमी यह है कि थोक मूल्य सूचकांक की गणना में सेवाओं को सम्मिलित नहीं किया जाता जबकि वर्तमान में सेवाएं अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख भाग हैं। इस प्रकार यह समग्र दृष्टिकोण प्रदान नहीं कर पाता।
- थोक मूल्य सूचकांक मात्र एक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था द्वारा की गई सकल खरीद को दर्शाता है। यह उपभोक्ता तथा उत्पादक के स्तर पर गणना नहीं करता। जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की वास्तविक गणना नहीं हो पाती।
- तेजी से परिवर्तित हो रही अर्थव्यवस्था के कारण थोक मूल्य सूचकांक के आधार वर्ष को नियमित रूप से संशोधित करने की आवश्यकता होती है। लंबे समय तक एक आधार वर्ष को मानने से गलत आंकड़ों की संभावना हो सकती है ।
आगे की राह :-
थोक मूल्य सूचकांक का प्रयोग 1942 से हो रहा है। राजकोषीय नीतियों तथा आर्थिक मॉडल तैयार करने में थोक मूल्य सूचकांक की गणना एक प्रभावी आधार है। यद्यपि आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति की निर्धारण के लिए सीपीआई का प्रयोग किया जाने लगा है, फिर भी थोक मूल्य सूचकांक की अवधारणा अभी भी आर्थिक विकास के मूल्यांकन और आर्थिक प्रवृत्तियों को प्रतिबिंबित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल है।
स्रोत: Livemint
- भारतीय अर्थव्यवस्था
मुख्य परीक्षा प्रश्न:
- दिसंबर 2021 के लिए भारत का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पिछले नवंबर में रिकॉर्ड-उच्च 14.23% की तुलना में मामूली रूप से 13.56% तक कम हो गया, इस कथन के आलोक में थोक मूल्य सूचकांक की व्याख्या करिए? थोक मूल्य सूचकांक में वर्णित कमियों का वर्णन करें?