संदर्भ:
- वायरल हेपेटाइटिस इस समय एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है, जिसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को, जन जागरूकता और सार्वजनिक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, एक अलर्ट जारी करने के लिए प्रेरित किया है। वर्ष 2024 की WHO वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट, जिसका उद्देश्य इस परिस्थिति की गंभीरता को रेखांकित करना है, यह स्पष्ट करती है कि इस समय वायरल हेपेटाइटिस, विशेष रूप से टाइप B और C, एक व्यापक और घातक बीमारी बनी हुई है। यह रिपोर्ट एक सचेतक के रूप में कार्य करती है, जिसके अनुसार हेपेटाइटिस दुनिया भर में संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों के एक महत्वपूर्ण हिस्से के लिए जिम्मेदार है, जो तपेदिक के समान मृत्यु दर को दर्शाता है। प्रतिवर्ष अनुमानित 1.3 मिलियन मौतों के साथ हेपेटाइटिस B और C संक्रमण को जिम्मेदार ठहराया जाता है, अतः इस प्रकार की स्थिति की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जान चाहिए।
वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट 2024 के निष्कर्ष:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2024 की वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट; वायरल हेपेटाइटिस के वैश्विक बोझ का एक गंभीर विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और जनसांख्यिकीय समूहों में वायरल हेपेटाइटिस के प्रभाव का व्यापक मूल्यांकन भी करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हेपेटाइटिस B संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या सर्वाधिक है। यद्यपि हेपेटाइटिस C भी एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है। रिपोर्ट यह भी उजागर करती है कि प्रतिदिन लगभग 3,500 लोगों की मृत्यु हेपेटाइटिस B और C के कारण होती है। इसके अलावा एक अन्य गंभीर मुद्दा यह है कि क्रोनिक हेपेटाइटिस का वैश्विक दवाब उत्पादक आयु वर्ग को असमान रूप से प्रभावित करता है। चूँकि यह जनसंख्या समूह आर्थिक रूप से सक्रिय होता है और समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। अतः इस आयु वर्ग में हेपेटाइटिस का प्रकोप न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
हेपेटाइटिस क्या है ?
- हेपेटाइटिस, यकृत की सूजन वाली, एक व्यापक स्वास्थ्य समस्या है। इसके लक्षण हल्के बीमारी से लेकर जानलेवा जटिलताओं तक हो सकते हैं। हेपेटाइटिस के विभिन्न कारक हो सकते हैं, जिनमें संक्रामक वायरस और गैर-संक्रामक कारक दोनों शामिल हैं। संक्रामक विषाणुओं में से, हेपेटाइटिस B और C पुरानी बीमारी को जन्म देने की प्रवृत्ति के लिए जाने जाते हैं, जो अक्सर यकृत सिरोसिस और कैंसर जैसे गंभीर परिणामों का कारण बनते हैं। वैश्विक स्तर पर अनुमानित 35.4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस B या C के साथ जी रहे हैं, जिसके लिए व्यापक रोकथाम और उपचार रणनीतियों की आवश्यकता अनिवार्य हो जाती है। हालांकि, चिकित्सा विज्ञान में प्रगति के बावजूद, अधिकांश प्रभावित व्यक्तियों के लिए उपचार अभी भी दुर्गम ही है। यह दुर्गमता रुग्णता और मृत्यु दर के चक्र को बनाए रखती है।
भारत में क्यों है भारी दवाब:
- भारत इस समय विशेष रूप से, वायरल हेपेटाइटिस के दचाब से असमान रूप से प्रभावित है। रोग की व्यापकता के मामले में यह चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत की इस संवेदनशीलता के पीछे कई कारक हैं, जिनमें जनसंख्या घनत्व से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में व्यवस्थागत बाधाएं जैसे कारक शामिल हैं। इनमें सबसे प्रमुख है क्रोनिक वायरल हेपेटाइटिस B और C संक्रमणों की व्यापकता। ये संक्रमण अक्सर बीमारी के शुरुआती चरणों में पता नहीं चल पाते और उन्नत अवस्थाओं तक पहुंचने पर ही सामने आते हैं। इस सम्बन्ध में जांच परीक्षणों की कमी और सीमित जागरूकता स्वास्थ्य समस्या को और बढ़ा देती है, जिससे संचरण को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, गैर-वायरल हेपेटाइटिस के रूपों, जैसे कि अल्कोहलिक लीवर रोग (ALD) और गैर-अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (NAFLD) का बढ़ना भारत के रोग दवाब को और जटिल बना देता है। शराब का अधिक सेवन और निष्क्रिय जीवनशैली जैसे कारक लीवर रोग की बढ़ती महामारी में योगदान देते हैं, जो वायरल हेपेटाइटिस के रोकथाम संबंधी उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
उच्च जोखिम व्यवहार और लैंगिक असमानताएं:
- नशीली दवाओं के उपयोग और असुरक्षित यौन व्यवहार जैसे उच्च जोखिम वाले व्यवहारों के कारण पुरुषों पर हेपेटाइटिस संक्रमण का अनुपातहीन बोझ पड़ता है। इस असमानता में कई कारक योगदान करते हैं, जिनमें नशीली दवाओं के उपयोग के दौरान सुइयों को साझा करना और कई भागीदारों के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाना शामिल है। पुरुषों में हेपेटाइटिस की व्यापकता व्यवहार संबंधी जोखिम कारकों को संबोधित करने और सुरक्षित प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित करती है। इसके अलावा, निवारक और उपचार सेवाओं के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और उपयोग में लैंगिक असमानताओं को संबोधित करना आवश्यक है।
रोकथाम और उपचार रणनीतियाँ:
- हेपेटाइटिस बी संक्रमणों को रोकने के लिए व्यापक टीकाकरण प्रयासों की आवश्यकता है, जबकि हेपेटाइटिस C एंटीवायरल दवाओं से ठीक हो सकता है। भारत ने हेपेटाइटिस की रोकथाम और उपचार सेवाओं तक पहुंच का विस्तार करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें सरकार के वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता ने उपचार को अधिक किफायती बना दिया है, जो रोग के बोझ को कम करने के प्रयासों को और मजबूत करता है। इसके अतिरिक्त, बचपन के टीकाकरण कार्यक्रमों में हेपेटाइटिस B के टीकाकरण को शामिल करना भविष्य में होने वाले संक्रमणों को रोकने की दिशा में एक सक्रिय कदम है। हालांकि, चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिनमें उच्च जोखिम वाली आबादी का पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में व्यवस्थागत बाधाओं को दूर करना शामिल है।
वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट का महत्व:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2024 की वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट का जारी होना; वायरल हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई में एक सक्रीय प्रयास है। यह रिपोर्ट दुनिया भर में रोग के दवाब और सेवा कवरेज का व्यापक अवलोकन प्रदान करती है। 187 देशों के आंकड़ों को एकत्रित करके, रिपोर्ट हेपेटाइटिस की महामारी विज्ञान और निदान एवं उपचार के लिए वैश्विक लक्ष्यों की दिशा में प्रगति दर्शाती है। साथ ही कवरेज दरों में वृद्धि के बावजूद, यह रिपोर्ट 2030 तक हेपेटाइटिस के उन्मूलन के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। इसके अलावा, यह देखभाल तक पहुंच में लगातार बनी हुई असमानताओं और महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संसाधनों के समान वितरण की आवश्यकता को भी उजागर करती है।
निष्कर्ष:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2024 की वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट; वायरल हेपेटाइटिस द्वारा उत्पन्न कठिन चुनौतियों और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है। प्रतिवर्ष हेपेटाइटिस B और C संक्रमणों से लाखों लोगों की जान चली जाती है। इस गंभीर परिस्थिति से निपटने के लिए रोकथाम, निदान और उपचार सेवाओं तक पहुंच का विस्तार करने हेतु ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। भारत, जो वायरल हेपेटाइटिस के भारी दवाब से जूझ रहा है; को लक्षित हस्तक्षेपों और व्यवस्थागत सुधारों के माध्यम से हेपेटाइटिस से निपटने के अपने प्रयासों को दोगुना करना चाहिए। टीकाकरण कार्यक्रमों का लाभ उठाकर, उपचार तक पहुंच का विस्तार करके और व्यवहारिक जोखिम कारकों को संबोधित करके भारत हेपेटाइटिस उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है। हालांकि, सफलता निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और स्वास्थ्य समानता के लिए प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है। चूंकि विश्व वायरल हेपेटाइटिस से मुक्त भविष्य की ओर अग्रसर है, अतः 2024 की वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट से प्राप्त सीख को इस खामोश महामारी की रोकथाम के लिए किए जाने वाले कार्यों का खाका तैयार करना चाहिए।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न: 1. WHO की वैश्विक हेपेटाइटिस रिपोर्ट 2024 के प्रमुख निष्कर्षों पर चर्चा करें और वायरल हेपेटाइटिस से निपटने के लिए वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों पर रिपोर्ट के निहितार्थ का विश्लेषण करें। (10 अंक, 150 शब्द) 2. "भारत वायरल हेपेटाइटिस के एक महत्वपूर्ण बोझ का सामना कर रहा है, जिसका कारण क्रोनिक संक्रमण, जीवनशैली से संबंधित बीमारियों और प्रणालीगत स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों सहित कारकों की एक जटिल परस्पर क्रिया है।" भारत में हेपेटाइटिस B और C के उच्च रोग भार के पीछे के कारणों को स्पष्ट करें और महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए व्यापक रणनीतियों का प्रस्ताव करें। (15 अंक, 250 शब्द) |
स्रोत- द हिंदू