सन्दर्भ: विरासत मानव सभ्यता का एक अभिन्न अंग है, जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक संपदाओं का प्रतिनिधित्व करती है और समाज की पहचान व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन अमूल्य धरोहरों के संरक्षण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, यूनेस्को (UNESCO) अपने विश्व धरोहर कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे स्थलों की पहचान करता है जो उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य (Outstanding Universal Value - OUV) रखते हैं और राष्ट्रीय सीमाओं से परे भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में भारत की छह नई संपत्तियाँ शामिल की गईं, जिससे वैश्विक धरोहर मानचित्र पर देश की उपस्थिति और अधिक सुदृढ़ होगी। इन स्थलों में मुदुमल शामिल है- मुदुमल मेगालिथिक मेन्हिर(तेलंगाना), छत्तीसगढ़ का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, कई राज्यों में अशोक के शिलालेख स्थल, मध्य प्रदेश और ओडिशा में चौसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर (उत्तर भारत के विभिन्न राज्य) और बुंदेला राजवंश के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश)। इनका समावेश भारत की अपनी समृद्ध और विविध विरासत की रक्षा के लिए चल रहे प्रयासों को उजागर करता है, साथ ही वैश्विक संरक्षण में यूनेस्को की भूमिका के महत्व पर भी जोर देता है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के बारे में:
· विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) एक उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य वाला स्थान होता है, जिसका सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या प्राकृतिक महत्व (Cultural, Historical, or Natural Significance) राष्ट्रीय सीमाओं से परे जाकर पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण होता है। यूनेस्को 1972 के "विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण संबंधी कन्वेंशन" (Convention Concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage) के तहत इन स्थलों की पहचान करता है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है, ताकि वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सकें।
विरासत स्थलों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
1. सांस्कृतिक विरासत - वे स्मारक, पुरातात्विक स्थल और सांस्कृतिक परिदृश्य जो मानव सभ्यता और उसके विकास को प्रदर्शित करते हैं।
उदाहरण: ताज महल (भारत), स्टोनहेंज (यूके), माचू पिचू (पेरू)।
2. प्राकृतिक विरासत - वे क्षेत्र जो असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य, भूवैज्ञानिक महत्व या पारिस्थितिकीय विशेषताओं के कारण महत्वपूर्ण हैं।
3. मिश्रित विरासत (Mixed Heritage) – वे स्थल जो सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोनों महत्व रखते हैं।
उदाहरण: माचू पिचू (पेरू), कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (भारत)।
2024 तक, यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची (UNESCO World Heritage List) में 168 देशों के कुल 1,223 स्थल शामिल हैं, जिनमें—
- 952 सांस्कृतिक स्थल (Cultural Sites)
- 231 प्राकृतिक स्थल (Natural Sites)
- 40 मिश्रित स्थल (Mixed Sites)
ये संख्याएँ लगातार बढ़ रही हैं, क्योंकि अधिक स्थल यूनेस्को के सख्त चयन मानदंडों (Stringent Selection Criteria) को पूरा कर रहे हैं और वैश्विक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहे हैं।
साइट चयन के लिए मानदंड:
विश्व धरोहर समिति (World Heritage Committee) में 196 सदस्य देशों में से चुने गए 21 देश शामिल होते हैं, जिन्होंने विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत संरक्षण सम्मेलन, 1972 (World Heritage Convention, 1972) की पुष्टि की होती है। यह समिति प्रत्येक वर्ष बैठक आयोजित करती है, जिसमें—
- नए नामांकनों (Nominations) की समीक्षा की जाती है।
- पहले से सूचीबद्ध स्थलों की स्थिति (State of Conservation of Existing Sites) का मूल्यांकन किया जाता है।
किसी स्थल को विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए, उसे उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य (Outstanding Universal Value - OUV) प्रदर्शित करना आवश्यक होता है। इसके लिए उसे यूनेस्को द्वारा निर्धारित 10 चयन मानदंडों (10 Selection Criteria) में से कम से कम एक मानदंड को पूरा करना आवश्यक है।
प्रारंभ में इन मानदंडों को 6 सांस्कृतिक (Cultural) और 4 प्राकृतिक (Natural) पहलुओं में विभाजित किया गया था, लेकिन 2004 में एक एकीकृत मूल्यांकन प्रक्रिया (Integrated Evaluation Process) लागू करने के लिए इन्हें एक ही सेट में विलय (Merged into a Single Set) कर दिया गया।
सांस्कृतिक मानदंडों के लिए, कोई साइट योग्य हो सकती है यदि वह:
· मानव रचनात्मक प्रतिभा (Human Creative Genius) की एक उत्कृष्ट कृति को प्रदर्शित करता हो। (उदाहरण: अजंता गुफाएँ, भारत)
· वास्तुकला, कला या शहरी नियोजन में मानवीय मूल्यों के आदान-प्रदान को दर्शाता हो। (उदाहरण: जयपुर शहर, भारत)
· किसी सांस्कृतिक परंपरा या सभ्यता का अद्वितीय प्रमाण प्रस्तुत करता हो, चाहे वह जीवित हो या विलुप्त। (उदाहरण: मोहनजो-दाडो, पाकिस्तान)
· किसी महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प या तकनीकी उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता हो, जो मानव इतिहास के प्रमुख चरणों को दर्शाता हो। (उदाहरण: फतेहपुर सीकरी, भारत)
· पारंपरिक मानव बस्ती या भूमि उपयोग (Human Settlement or Land Use) का एक असाधारण उदाहरण हो, विशेष रूप से उन परिस्थितियों में जहां यह पर्यावरणीय चुनौतियों का उत्तर हो। (उदाहरण: चोल मंदिर, भारत)
· किसी स्थल का संबंध ऐतिहासिक घटनाओं, परंपराओं, कलात्मक आंदोलनों या उत्कृष्ट साहित्यिक कृतियों से हो। (उदाहरण: एलोरा गुफाएँ, भारत)
किसी स्थल को प्राकृतिक धरोहर (Natural Heritage Site) के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है, यदि वह:
· असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य और सौंदर्यात्मक महत्व रखता हो। (उदाहरण: पश्चिमी घाट, भारत)
· पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास के प्रमुख चरणों को दर्शाता हो, जिसमें भू-आकृति विज्ञान और स्थलाकृति विकास शामिल हो। (उदाहरण: ग्रैंड कैन्यन, अमेरिका)
· भूमि और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने वाली महत्वपूर्ण पारिस्थितिक और जैविक प्रक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता हो। (उदाहरण: अमेज़न वर्षावन, दक्षिण अमेरिका)
· इसमें जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण आवास शामिल हों, जिनमें उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य वाली लुप्तप्राय प्रजातियाँ पाई जाती हों। (उदाहरण: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, भारत)
विश्व धरोहर सूची में भारत का योगदान:
1977 में विश्व विरासत सम्मेलन की पुष्टि करने के बाद से भारत वैश्विक विरासत संरक्षण में एक सक्रिय भागीदार रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने विश्व विरासत सूची (World Heritage List) में एक महत्वपूर्ण स्थान अर्जित किया है, जिसमें 43 मान्यता प्राप्त स्थल शामिल हैं, जो इसकी विविध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
· मान्यता प्राप्त स्थलों के अतिरिक्त, 62 स्थल वर्तमान में यूनेस्को की संभावित सूची (Tentative List of UNESCO World Heritage Sites) में शामिल हैं, जिन्हें पूर्ण मान्यता (Final Recognition) मिलने की प्रतीक्षा है।
भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल हैं—
- सांस्कृतिक स्थल: ताज महल, ऐतिहासिक शहर जयपुर , लाल किला , खजुराहो मंदिर और रानी की वाव ,ये सभी देश की समृद्ध कलात्मक और स्थापत्य विरासत को दर्शाते हैं ।
· प्राकृतिक स्थल :
o सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान ,जोकि रॉयल बंगाल टाइगर का निवास स्थान है।
o काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ,जोकि एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध है।
o नंदा देवी एवं फूलों की घाटी,जोकि अपने अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
- मिश्रित स्थल : कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान अपनी सांस्कृतिक महत्ता और अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध, जो इसे उन गिने-चुने स्थलों में से एक बनाता है जिन्हें सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत दोनों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थिति का महत्व:
1. संवर्धित सुरक्षा और संरक्षण:
· यूनेस्को द्वारा नामित किए जाने से विरासत संरक्षण के लिए जागरूकता और वित्तपोषण बढ़ता है । सरकारें और स्थानीय समुदाय अपने स्थलों के संरक्षण में अधिक निवेश करते हैं , जिससे संरक्षण नीतियाँ सख्त हो जाती हैं।
2. वित्तीय सहायता और विशेषज्ञ मार्गदर्शन:
· विश्व धरोहर कोष देशों को उनके धरोहर स्थलों के रखरखाव और जीर्णोद्धार में मदद करने के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करता है । संरक्षण संबंधी तत्काल चुनौतियों का सामना कर रहे देश आपातकालीन सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
3. पर्यटन और आर्थिक विकास में वृद्धि:
· विश्व धरोहर का दर्जा वैश्विक पर्यटन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देता है , जिससे स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ होता है । पर्यटकों की बढ़ती गतिविधि से रोजगार के अवसर, बुनियादी ढांचे का विकास और अधिक अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिलती है ।
4. अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और कूटनीतिक प्रभाव:
· यूनेस्को की सूची में शामिल होने से वैश्विक मंच पर किसी देश की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय प्रतिष्ठा बढ़ती है। इससे विरासत संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी भी मजबूत होती है ।
विश्व धरोहर स्थलों से जुड़ी चुनौतियाँ और जिम्मेदारियाँ:
विश्व धरोहर स्थल होने के अनेक लाभ हैं, लेकिन इसके साथ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ और चुनौतियाँ भी जुड़ी होती हैं। सरकारों और स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इन स्थलों का सुनियोजित संरक्षण और रखरखाव किया जाए तथा उन्हें निम्नलिखित खतरों से बचाया जाए—
- शहरीकरण और बुनियादी ढांचे का अनियंत्रित विस्तार
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण
- अनियमित पर्यटन और अत्यधिक भीड़भाड़
- संरक्षण प्रयासों की कमी, उपेक्षा और प्रदूषण
यूनेस्को नियमित रूप से साइटों की निगरानी और ऑडिट करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनका उचित रखरखाव हो रहा है। यदि किसी साइट को गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है, तो उसे खतरे में विश्व धरोहर की सूची में रखा जा सकता है । चरम मामलों में, यदि किसी साइट का उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य नहीं रह जाता है , तो यूनेस्को के पास इसे पूरी तरह से सूची से हटाने का अधिकार है।
मुख्य प्रश्न: "किसी स्थल को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने से अवसर और चुनौतियाँ दोनों आती हैं।" किसी स्थल के लिए यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने के महत्व पर चर्चा करें और उसके संरक्षण से जुड़ी चुनौतियों का परीक्षण करें। |