संदर्भ :- दो लोकतंत्र, दो चुनाव और दो अभूतपूर्व नतीजे। इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय इतिहास में लगातार तीसरी बार जीतने वाले दूसरे नेता बने और जुलाई में सर कीर स्टारमर के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने यूनाइटेड किंगडम में शानदार जीत हासिल की, जिसने यूके-भारत साझेदारी का एक नया अध्याय जोड़ा।
संबंधों में सकारात्मक संकेत
लेबर पार्टी की प्रतिज्ञा / संकल्प
लेबर पार्टी ने भारत के साथ "नई रणनीतिक साझेदारी" को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। इसमें यूके-भारत मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के शीघ्र समाधान के साथ सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा जैसे विभिन्न मोर्चों पर गहन सहयोग शामिल है। पदभार ग्रहण करने के एक महीने के भीतर यूके के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास मामलों के सचिव डेविड लैमी ने भारत की यात्रा की, और आने वाले समय में जुड़ाव का एक सकारात्मक संकेत दिया।
वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
द्विपक्षीय व्यापार के तहत '2030 का रोडमैप' कारगर रहा है, यथा 2023 में ही द्विपक्षीय व्यापार 39 बिलियन पाउंड पर पहुंच गया है। विदित है कि दोनों देश एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण निवेश कर रहे हैं और इससे दोनों देशों में लगभग आठ लाख लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। हालाँकि, इस साझेदारी के पूर्ण लाभों को प्राप्त करने के लिए दोनों सरकारों को 2047 तक के लिए एक नए रोडमैप पर सहमत होना आवश्यक होगा। इससे आने वाले समय में दोनों देशों में विश्वास बहाल होने के साथ रोजगार और विकास की संभावना में एक अलग उत्थान देखने को मिलेगा।
भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए)
वर्तमान स्थिति एवं चुनौतियाँ
दोनों सरकारों के लिए तत्काल कार्यों में से एक भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता को आगे बढ़ाना है। 26 में से 14 अध्याय पूरे होने के बावजूद, कई विवादास्पद मुद्दे वर्तमान में बने हुए हैं। इनमें ब्रिटिश व्हिस्की और कारों पर ब्रिटिश सरकार के द्वारा भारतीय टैरिफ में कमी की बात और वस्त्रों पर कम टैरिफ की भारत की मांग शामिल है, भारत को मुख्य तौर पर बांग्लादेश जैसे कम विकसित देश (एलडीसी) का दर्जा प्राप्त उत्पादों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
वीज़ा व्यवस्था और निवेश के अवसर
लेबर पार्टी की ब्रिटेन में बने सरकार के कारण भारत को अपने कुशल कामगारों के लिए वीज़ा व्यवस्था के अंतर्गत कम प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा(लेबर पार्टी के उदार व्यवहार के कारण)। जो आव्रजन(प्रवासी) विरोधी बयानबाजी पर जोर नहीं देती है। वर्तमान पहलू पर जोर दिया जाए तो निवेश परिदृश्य भी आशाजनक है, यथार्थ कम से कम 850 भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में काम कर रही हैं और सेमीकंडक्टर और हरित ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण ब्रिटिश निवेश किए जा रहे हैं।
रणनीतिक लाभ और आर्थिक प्रभाव
FTA(मुक्त व्यापार समझौता) का उद्देश्य
भारत के संदर्भ में:- द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना और भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
ब्रिटेन के संदर्भ में :- ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की सहायता करना है, जिसका 2023 में भारत के साथ व्यापार घाटा 7.3 बिलियन पाउंड था। लेबर सरकार के स्थिर बहुमत मिलने के साथ, FTA को सफलतापूर्वक समाधान करने की अधिक संभावना बढ़ी है।
भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव
भारत की उभरती स्थिति
भारत की वैश्विक स्थिति तेजी से मुखर हो रही है। 2023 में इसकी G-20 की सफल अध्यक्षता से, उल्लेखनीय चंद्रमा लैंडिंग से, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में नेतृत्व और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में सामने आई हैं। दोनों देशों के हित के तहत यू.के. इंडिया बिजनेस काउंसिल का गठन किया गया,जिसका उद्देश्य यू.के. कंपनियों को भारतीय अवसर को समझने और उसका लाभ उठाने में मदद करना है साथ ही भारत को न केवल एक बाजार के रूप में बल्कि एक रणनीतिक भागीदार के रूप में देखना है।
आर्थिक और रणनीतिक अवसर
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की उपलब्धियों के मद्देनजर भारत अनुसंधान और विकास पर काफी अच्छा व्यय कर रहा है, जो भारत की महत्ता को रेखांकित करता है। साथ ही भारतीय फर्म यू.के. कंपनियों के साथ सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं जो भारत में यू.के. के नैदानिक परीक्षणों को बढ़ाने, स्वास्थ्य सेवा अनुसंधान को साझा करने और ज्ञान हस्तांतरण का समर्थन करने के अवसर को रूपरेखा प्रदान करते हैं।
सहभागिता के प्रमुख क्षेत्र
सहयोगी प्रयास और निवेश
यू.के. नई स्थिर प्रौद्योगिकी में निवेश कर रहा है, जिसके तहत ब्रिटिश बैंक भारत को महत्वपूर्ण जलवायु वित्तपोषण प्रदान कर रहा हैं। इसके साथ ही यू.के. के अनेकों विश्वविद्यालय प्रतिभा विकसित करने और नई ट्रांसनेशनल शिक्षा मार्गों के माध्यम से विश्व स्तरीय उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय उद्योग के साथ सहयोग कर रहे हैं।
विज्ञान और नवाचार
विज्ञान और नवाचार पर सहयोग करने के लिए ऐतिहासिक जी2जी समझौता एक सकारात्मक मिसाल कायम करता है। विदित हैं कि यू.के. और भारत रक्षा और सुरक्षा में स्वाभाविक भागीदार हैं, यू.के. का परिष्कृत रक्षा उद्योग भारत के स्वदेशीकरण और प्रौद्योगिकी पर फोकस का समर्थन करता है।
गतिशीलता और छात्र वीजा
गतिशीलता सहभागिता का एक और क्षेत्र है, जिसमें पिछले वर्ष भारतीय नागरिकों को काम, शिक्षा या आश्रितों के रूप में लगभग 3,50,000 वीजा जारी किए गए। इस ‘जीवित पुल’ को और आगे बढ़ाने से आपसी विश्वास और आत्मविश्वास में जरूर वृद्धि होगी।
सुरक्षा और रक्षा सहयोग
इंडो-पैसिफिक फोकस और रणनीतिक हित
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, यू.के. के वाणिज्यिक और सुरक्षा हितों के लिए महत्वपूर्ण है, जैसा कि इसकी एकीकृत समीक्षा ताज़ा रणनीति में उल्लिखित है। यह दृष्टिकोण समुद्री और अन्य साधनों के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत जैसे देशों के साथ सहयोग पर जोर देता है। क्वाड और ऑकस में दोनों देशों की सदस्यता बीजिंग के प्रभाव का मुकाबला करने के लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ते हुए दिख रहे है, हालांकि लेबर पार्टी के मिश्रित संकेतों ने ब्रिटेन की भविष्य की प्रतिबद्धता के बारे में संदेह भी पैदा किया है।
रक्षा सौदे और साइबर सुरक्षा
रक्षा सहयोग की संभावनाएँ दोनों देशों में मजबूत हैं, खासकर जब भारत अपने रक्षा आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाना चाहता है। वीएसएचओआरएडी(VSHORAD) मिसाइलों और लड़ाकू जेट इंजनों के सह-उत्पादन सहित प्रमुख समझौते प्रगति पर हैं, जिन्हें 2+2 तंत्र और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की लंदन यात्रा का समर्थन प्राप्त है। इसके साथ ही भारतीय नौसेना के जहाजों को इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन के साथ आगे बढ़ाना भी मकसद के रूप में देखा जा रहा है। उपरोक्त के अलावा साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी उभरती हुई तकनीकें भी निरंतर सहयोग के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए दिख रहे हैं।
लेबर सरकार का संभावित प्रभाव
लेबर सरकार के दृष्टिकोण से भारत की कश्मीर नीति की पिछली आलोचनाओं को संबोधित करने और भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होने की उम्मीद है। हालाँकि, अल्पसंख्यक सांसदों से चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं जो विवादास्पद मुद्दों को उजागर करना जारी रखते हैं।
पूर्ण क्षमता प्राप्ति की कोशिश
व्यापारिक वातावरण और नीति सुधार
यू.के.- भारत आर्थिक साझेदारी को गहरा करने के लिए, भारत में और अधिक व्यावसायिक वातावरण सुधारों की आवश्यकता है। ब्रिटिश कंपनियाँ ऐसी नीतियाँ चाहती हैं जो आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण, निष्पक्ष कराधान व्यवस्था, बौद्धिक संपदा (आईपी) के लिए सुरक्षा और व्यापार करने में आसानी हो सकें।
भविष्य का दृष्टिकोण
यू.के.- भारत आर्थिक साझेदारी को गहरा करने की संभावना बहुत अधिक है, जिसके लिए दोनों देशों की ओर से ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। यथा वैश्विक आर्थिक और सामाजिक विकास को लाभ पहुँचाने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
निष्कर्ष
भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थित है, और यू.के.-भारत साझेदारी एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतिनिधित्व करती है। जैसा कि श्री मोदी ने कहा, "भारत के साथ आपकी मित्रता जितनी अधिक गहरी होगी, दोनों के लिए उतनी ही अधिक समृद्धि आएगी।" दोनों देश सहयोग के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ने की संभावना है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के संभावित प्रश्न 1. भारत-यू.के. मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता और व्यापक द्विपक्षीय संबंधों के निहितार्थों पर चर्चा करें। सरकार की नीतियाँ FTA की प्रगति और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को कैसे प्रभावित कर सकती हैं? 2. भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव के महत्व और यू.के.-भारत साझेदारी पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करें, विशेष रूप से सुरक्षा और रक्षा सहयोग के संदर्भ में। दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और साझा भू-राजनीतिक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने रणनीतिक सहभागिता का लाभ कैसे उठा सकते हैं? |
स्रोत: द हिंदू