भारत विविध जनजातीय आबादी का घर है, जिसमें अनुसूचित जनजाति (एसटी)की संख्या 10.45 करोड़ है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल आबादी का 8.6% है। 705 से अधिक विभिन्न समूहों से मिलकर बने ये समुदाय अक्सर दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में निवास करते हैं। जनजातीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से, 2 अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री ने झारखंड यात्रा के दौरान जनजातीय विकास के लिए कई पहलें शुरू की हैं।
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान:
2 अक्टूबर, 2024 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के हजारीबाग में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरुआत की। 79,150 करोड़ रुपये के बजट वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य लगभग 63,000 आदिवासी गाँवों में सामाजिक बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका में सुधार करना है। इससे 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों में 5 करोड़ से अधिक आदिवासी लोगों को लाभ मिलेगा। इस पहल में आदिवासी विकास में आने वाली विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए 17 मंत्रालयों के बीच समन्वित 25 हस्तक्षेप शामिल हैं।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS):
हाल ही में, 40 नए EMRS का उद्घाटन किया गया और 25 अतिरिक्त विद्यालयों की नींव रखी गई, जिसकी कुल लागत ₹2,800 करोड़ से अधिक है। ये विद्यालय खेल और कौशल विकास को बढ़ावा देते हुए स्थानीय आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने को प्राथमिकता देते हैं।
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) दूरदराज के क्षेत्रों में एसटी (ST) बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
- प्रत्येक विद्यालय में कक्षा VI से XII तक के 480 छात्र अध्ययन करते हैं, जो उनके शैक्षणिक और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए उचित वातावरण उपलब्ध कराते हैं।
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN):
धरती आबा कार्यक्रम के साथ, सरकार ने प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) के तहत भी कई परियोजनाएँ शुरू की हैं। 1,360 करोड़ रुपये के बजट वाली इन परियोजनाओं का उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में सड़क संपर्क बढ़ाना, आंगनवाड़ी और बहुउद्देशीय केंद्रों का निर्माण करना, तथा स्कूल छात्रावासों की स्थापना करना है। उल्लेखनीय रूप से, 75,800 से अधिक विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के घरों में बिजली पहुंचाई गई है, और स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में सुधार के लिए 500 आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ 275 मोबाइल मेडिकल यूनिट स्थापित की गई हैं।
जनजातीय कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता:
भारत सरकार की आदिवासी विकास के प्रति प्रतिबद्धता 1974-75 में जनजातीय उप-योजना (TSP) के आरंभ से है, जिसे बाद में अनुसूचित जनजाति घटक (STC) और अनुसूचित जनजातियों के विकास योजना (DAPST) में परिवर्तित किया गया। इन योजनाओं का उद्देश्य मंत्रालयों के बीच समन्वय स्थापित कर जनजातीय कल्याण सुनिश्चित करना है। वित्तीय प्रतिबद्धता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जहां DAPST का बजट सालाना 25,000 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 1.2 लाख करोड़ हो गया। 2024-25 के केंद्रीय बजट में जनजातीय मामलों के मंत्रालय का आवंटन 13,000 करोड़ रखा गया है, जो पिछले वर्ष के अनुमान से 73.60% अधिक है।
आदिवासी सशक्तिकरण के लिए प्रमुख सरकारी योजनाएँ:
भूमि का वितरण:
- कुल वितरित: 31 अक्टूबर, 2023 तक वन अधिकार अधिनियम के तहत 23.43 लाख भूमि के शीर्षक वितरित किए गए, जो 1.8 करोड़ एकड़ भूमि को कवर करते हैं।
रोज़गार प्रोत्साहन:
- रोजगार मेला: आदिवासी युवाओं के लिए 'कौशल महोत्सव' का आयोजन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप नियुक्तियाँ प्राप्त हुई।
- कौशल विकास: आदिवासी उत्पादों और कौशल संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनायें चलायी गयी हैं।
राष्ट्रीय विदेश स्कॉलरशिप योजना:
- यह योजना मेधावी अनुसूचित जनजाति (एसटी)छात्रों को विदेश में उच्च शिक्षा (पोस्ट-ग्रेजुएट, डॉक्टरेट, पोस्ट-डॉक्टरेट) हासिल करने के अवसर प्रदान करती है। हर वर्ष कुल 20 लोगो को प्रदान की जाती हैं, जिनमें 30% महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) विकास कार्यक्रम:
- यह कार्यक्रम सबसे कमजोर जनजातीय समूहों की भलाई पर केंद्रित है, जिसमें लगभग 7 लाख परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, स्वच्छ पानी और बिजली तक पहुँच प्रदान की जाती है, जोकि 22,000 बस्तियों में फैले हुए हैं।
आदिवासी अनुसंधान संस्थानों (TRIs) को समर्थन:
- इसका उद्देश्य आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करना और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करना है।
अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST):
- यह सुनिश्चित करता है कि सभी मंत्रालय आदिवासी समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करें।
अनुसूचित जनजातियों के छात्रों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति:
- यह योजना उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जनजातियों के छात्रों को छात्रवृत्तियाँ प्रदान करती है, जिसमें पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया द्वारा समय पर वित्तीय सहायता डिजीलॉकर माध्यम से शिकायत निवारण सुनिश्चित किया जाता है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (NSTFDC):
- यह अनुसूचित जनजातियों के लाभार्थियों को आय उत्पन्न करने वाली गतिविधियों के लिए रियायती वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
सांस्कृतिक प्रचार:
- आदि महोत्सव: आदिवासी संस्कृति, शिल्प और व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए प्रमुख आदिवासी उत्सव, जिसमें विभिन्न विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) की भागीदारी होगी।
- जी20 शोकेस: भारत जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ". ने जी20 शिखर सम्मेलन में आदिवासी शिल्प कौशल का प्रदर्शन किया।
जन जातीय गौरव दिवस:
- तारीख: 15 नवंबर को मनाया जाएगा।
- उद्देश्य: भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि और आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को मान्यता देना।
सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण:
- टर्म लोन योजना: व्यावसायिक उद्यमों के लिए 90% तक की आसान ऋण प्रदान करता है।
- आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना (AMSY): आदिवासी महिलाओं के लिए रियायती ऋण प्रदान करती है।
- सूक्ष्म ऋण योजना: आदिवासी स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के लिए ₹5 लाख तक के ऋण।
स्वास्थ्य पहलकदमी:
सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन
- कार्यान्वयन: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय, आईसीएमआर और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से।
- लक्ष्य: जनजातीय आबादी में सिकल सेल रोग को स्क्रीनिंग और प्रबंधन के माध्यम से हल करना।
- शुभारंभ तिथि: प्रधानमंत्री मोदी ने 1 जुलाई, 2023 को कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
- लक्ष्य: 3 वर्षों में 40 वर्ष से कम आयु के 8 करोड़ से अधिक आदिवासियों की स्क्रीनिंग करना।
आदिवासी विरासत का सम्मान:
आदिवासी संस्कृति का संरक्षण और उसका उत्सव मनाने के उद्देश्य से, उन राज्यों में 10 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों को स्वीकृति दी गई है, जहाँ आदिवासी समुदायों ने ऐतिहासिक रूप से औपनिवेशिक शासन का विरोध किया था। 1913 में सामूहिक गोलीबारी में मारे गए भील स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में एक महत्वपूर्ण स्मारक, मानगढ़ धाम का निर्माण भी किया जा रहा है।
आदिवासी लोगों के संवैधानिक अधिकार:
श्रेणी |
अनुच्छेद |
विवरण |
शैक्षिक एवं सांस्कृतिक संरक्षण |
अनुच्छेद 15(4) |
अन्य पिछड़े वर्गों, जिनमें अनुसूचित जनजातियाँ (STs) शामिल हैं, की प्रगति के लिए विशेष प्रावधान। |
अनुच्छेद 29 |
अल्पसंख्यकों, जिनमें STs शामिल हैं, के हितों की सुरक्षा। |
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अनुच्छेद 46 |
राज्य द्वारा कमजोर वर्गों, विशेषकर STs की शैक्षिक और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना। |
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अनुच्छेद 350 |
विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार। |
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अनुच्छेद 350(A) |
मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार। |
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सामाजिक संरक्षण |
अनुच्छेद 23 |
मानव व्यापार और जबरन श्रम जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध। |
अनुच्छेद 24 |
बाल श्रम पर रोक। |
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आर्थिक संरक्षण |
अनुच्छेद 244 |
अनुसूचित क्षेत्रों और STs के प्रशासन और नियंत्रण के लिए पांचवीं अनुसूची का प्रावधान। |
अनुच्छेद 275 |
पांचवीं और छठी अनुसूचियों में शामिल विशेष राज्यों के लिए अनुदान। |
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राजनीतिक संरक्षण |
अनुच्छेद 164(1) |
बिहार, मध्य प्रदेश और ओडिशा में आदिवासी मामलों के मंत्रियों की व्यवस्था। |
अनुच्छेद 330 |
लोकसभा में STs के लिए सीटों का आरक्षण। |
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अनुच्छेद 332 |
राज्य विधानसभाओं में STs के लिए सीटों का आरक्षण। |
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अनुच्छेद 334 |
10 वर्षों की अवधि के लिए आरक्षण (समय-समय पर संशोधित कर बढ़ाया गया)। |
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अनुच्छेद 243 |
पंचायतों में सीटों का आरक्षण। |
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अनुच्छेद 371 |
उत्तर-पूर्वी राज्यों और सिक्किम के लिए विशेष प्रावधान। |
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सेवा संरक्षण |
अनुच्छेद 16(4), 16(4A), 164(B), 335, और 320(4) के तहत सेवाओं में संरक्षण एवं पदोन्नति। |
आदिवासी लोगों के लिए कानूनी अधिकार:
अधिनियम |
उद्देश्य |
मुख्य प्रावधान |
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 |
अनुसूचित जातियों (SCs) और अनुसूचित जनजातियों (STs) पर अत्याचारों को रोकना। |
हिंसा, धमकी और उत्पीड़न जैसी घटनाओं को "अत्याचार" के रूप में परिभाषित करता है। |
पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (PESA) |
अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं का विस्तार। |
- आदिवासी रीति-रिवाज और परंपराओं को मान्यता। |
अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (FRA) |
अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों के वन अधिकारों को मान्यता देना। |
- वन भूमि पर स्वामित्व अधिकार प्रदान करना। |
निष्कर्ष:
भारत सरकार की जनजातीय कल्याण से जुड़ी पहलें जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के प्रति गहन प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और पीएम-जनमन जैसी रणनीतिक योजनाओं के माध्यम से सरकार विकास की खाई को पाटने और जनजातीय आबादी को भारत की विकास गाथा का अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। ये प्रयास न केवल जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाते हैं, बल्कि उनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी सम्मान करते हैं।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न: भारत में जनजातीय समुदायों के लिए विकास की खाई को पाटने में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के महत्व का विश्लेषण करें। |