संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने तृतीय कार्यकाल में एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। इस परिदृश्य में, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में आर्थिक सुधारों पर ध्यान देना अत्यावश्यक है। भारत के निरंतर शहरीकरण के कारण आने वाले दशकों में लाखों कृषि श्रमिकों को औपचारिक रोजगार की तलाश में शहरों की ओर रुख करना होगा। अल्प कौशल रोजगार सृजित करने में असफलता भारत के शासन ढांचे पर अत्यधिक दबाव डाल सकती है। विनिर्माण क्षेत्र में सफलता न केवल भारत के घरेलू व्यापार को सुदृढ़ करेगी अपितु रोजगार के लक्ष्यों को भी प्राप्त करने में सहायक होगी।
विनिर्माण आधार में सुधार की आवश्यकता
- प्रारंभिक लक्ष्य और वर्तमान स्थिति : वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के पश्चात् मोदी सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण के योगदान को 2025 तक 15% से 25% तक बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई थी। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सार्थक आर्थिक सुधारों, विशेष रूप से वर्ष 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन को निर्णायक माना गया था। तथापि, विश्व बैंक के आंकड़ें विनिर्माण क्षेत्र में सापेक्षिक गिरावट की ओर संकेत करते हैं। वर्ष 2022 में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान जीडीपी का मात्र 13% रहा। यह वियतनाम (25%), बांग्लादेश (22%), मलेशिया (23%), इंडोनेशिया (18%), मेक्सिको (21%) और चीन (28%) जैसे बाजारों की तुलना में निराशाजनक है।
वर्तमान परिदृश्य में, भारत अपने विनिर्माण क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण घरेलू दबावों का सामना कर रहा है:
- रोजगार सृजन की आवश्यकता: वर्तमान में, भारतीय श्रम बल का लगभग आधा हिस्सा निम्न-उत्पादकता वाली कृषि में कार्यरत है। सफल कृषि सुधार इन श्रमिकों को कृषि क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में रोजगार के लिए प्रेरित कर सकते हैं। हालांकि, ये श्रमिक कौशल-आधारित सेवा क्षेत्र के लिए उपयुक्त नहीं हैं। अतः विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार इन श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- वस्तु व्यापार घाटा: यद्यपि यह धारणा व्याप्त है कि भारत "व्यापार विरोधी" है, पिछले 12 महीनों में भारत का वस्तु व्यापार $1 ट्रिलियन से अधिक रहा है। लेकिन इसी अवधि के दौरान, वस्तु व्यापार में $250 बिलियन का घाटा भी दर्ज किया गया। हाइड्रोकार्बन आयात भारत के कुल आयात का एक चौथाई से अधिक है। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे निर्मित सामान भी आयात का एक बड़ा हिस्सा हैं। यद्यपि सेवा व्यापार में भारत को पिछले 12 महीनों में कुल $518 बिलियन के व्यापार पर लगभग $160 बिलियन का अधिशेष प्राप्त हुआ है, किन्तु सेवा क्षेत्र अपेक्षाकृत कम श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है।
भारत की सफलता में अंतर्राष्ट्रीय हित
भारत के मजबूत विनिर्माण आधार के निर्माण में संयुक्त राज्य अमेरिका के हित के दो प्रमुख कारण हैं:
- क्षेत्रीय सुरक्षा: भारत के औद्योगिक आधार में सुधार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा में उसकी उभरती भूमिका को समर्थन मिलने में सहायता मिलेगी।
- आपूर्ति श्रृंखला की व्यवहार्यता: कुछ विनिर्माण कार्य वापस घरेलू क्षेत्रों में नहीं जाएंगे। ऐसे में मित्र देशों जैसे भारत में इस विनिर्माण को स्थापित करने से अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखलाओं की व्यवहार्यता में सुधार होगा।
राज्य-स्तरीय चुनौतियाँ और अवसर
- उत्पादन के कारक : भारत की विनिर्माण क्षेत्र में सफलता के लिए विभिन्न उत्पादन कारकों पर ध्यान देना आवश्यक है, जैसे विद्युत शक्ति, जल, स्वच्छता, श्रम विनियम, भूमि अधिग्रहण नियम और पर्यावरण नियम। इन कारकों को मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। केंद्र सरकार को इन क्षेत्रों में नीतिगत ध्यान देने की आवश्यकता है।
- राज्यों का कारोबारी माहौल : राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के मोदी सरकार के शुरुआती प्रयास फीके पड़ गए हैं। कोविड-19 महामारी के बाद से राज्यों के कारोबारी माहौल की रैंकिंग दर्शाने वाली “बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (BRAP)” को अद्यतन नहीं किया गया है। साथ ही, यह रैंकिंग कमजोर मानी जाती है क्योंकि ये राज्य सरकारों द्वारा दी गई स्वयं की रिपोर्ट पर आधारित होती हैं, जो अक्सर वास्तविक निवेशकों के अनुभवों से मेल नहीं खातीं। राज्यों के लिए आदर्श उद्योग कानून तैयार करने की केंद्र सरकार की योजना भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही है।
- राजनीतिक परिदृश्य और औद्योगिक नीतियां : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भारत के लगभग आधे राज्यों को नियंत्रित करती है। शेष राज्यों में विभिन्न क्षेत्रीय दलों का शासन है, जो केंद्र सरकार के साथ सहयोग के स्तर में भिन्नता रखते हैं। अधिक राज्यों को विचारशील और पारदर्शी औद्योगिक नीतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन और दंड के बेहतर उपायों की आवश्यकता है। साथ ही, सरकार को सेमीकंडक्टर और रोबोटिक्स जैसे पूंजी-गहन क्षेत्रों पर लगभग विशेष रूप से ध्यान देने के बजाय, रोजगार सृजित करने वाले विनिर्माण क्षेत्रों जैसे कपड़ा, कागज मिलों और फर्नीचर पर बल देना चाहिए।
सरकारी पहलें
भारत सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं:
- राष्ट्रीय विनिर्माण नीति: इस नीति का लक्ष्य 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण का योगदान 25% तक बढ़ाना है।
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP): यह पहल आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए अवसंरचना विकास पर केंद्रित है।
- विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना: 2022 में शुरू की गई यह योजना भारत के मूल विनिर्माण क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने का लक्ष्य रखती है।
- मेक इन इंडिया कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना और उसकी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करना है। साथ ही, इसका लक्ष्य 2022 तक विनिर्माण क्षेत्र में 100 मिलियन नए रोजगार सृजित करना है।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान: 2020 में शुरू किया गया यह अभियान स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखता है।
- प्रधानमंत्री गति शक्ति - राष्ट्रीय मास्टर प्लान: यह एक बहु-आयामी संपर्क अवसंरचना परियोजना है, जिसे लॉजिस्टिक्स और परिवहन को सुव्यवस्थित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
मेगा निवेश टेक्सटाइल पार्क (पीएम मित्रा) योजना:
यह योजना तीन वर्षों में विश्वस्तरीय टेक्सटाइल पार्कों का निर्माण करने की परिकल्पना करती है। इन पार्कों के माध्यम से अर्थव्यवस्था के पैमाने और समूहिकता (agglomeration) का लाभ उठाकर वैश्विक स्तर पर अग्रणी टेक्सटाइल उद्योगों को स्थापित किया जाएगा।
- सामर्थ उद्योग भारत 4.0: यह भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक पहल है। इसका उद्देश्य उन्नत विनिर्माण और तीव्र परिवर्तन केंद्रों के माध्यम से विनिर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है।
- भविष्य की दिशा : विदेशी विनिर्माण उद्यमों के लिए भारत एक आकर्षक गंतव्य के रूप में उभर रहा है। लक्जरी वस्तुओं, ऑटोमोबाइल और मोबाइल फोन उद्योगों की कई कंपनियां भारत में पहले से ही स्थापित हैं या अपना कारोबार स्थापित करने की योजना बना रही हैं।
क्षमता और बाजार का आकार
- राजस्व क्षमता: भारत के विनिर्माण उद्योग में 2025 तक $1 ट्रिलियन का राजस्व उत्पन्न करने की क्षमता है।
- बाजार का आकर्षण: $2.5 ट्रिलियन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और 1.32 बिलियन की आबादी के साथ, भारत एक महत्वपूर्ण बाजार का प्रतिनिधित्व करता है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन से एक एकीकृत बाजार का निर्माण हुआ है, जो निवेशकों के लिए भारत को और अधिक आकर्षक बनाता है।
उद्योग-विशिष्ट विकास
- इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण: भारतीय सेल्युलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अनुसार, विनियामक परिवर्तन से भारत की लैपटॉप और टैबलेट उत्पादन क्षमता 2025 तक $100 बिलियन तक बढ़ सकती है।
बुनियादी ढांचा विकास
- औद्योगिक गलियारे और स्मार्ट सिटी: सरकार उन्नत विनिर्माण तकनीकों का समर्थन करने और औद्योगिक प्रगति के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट शहरों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- गुणवत्ता और पहुंच में सुधार: बंदरगाहों, राजमार्गों और बिजली आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार अधिक निवेश और उद्यमों को आकर्षित कर सकता है। इसमें नए बुनियादी ढांचे का निर्माण और मौजूदा सुविधाओं का उन्नयन शामिल है।
निर्यात-उन्मुख विकास
- निर्यात-उन्मुख विनिर्माण को समर्थन: निर्यात-उन्मुख विनिर्माण के विकास को प्रोत्साहित करने से भारतीय कंपनियों को नए बाजारों में विस्तार करने और विश्व स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
इन उपायों को लागू करने से भारत को अपनी विनिर्माण क्षमता को मजबूत करने, रोजगार के अवसर उत्पन्न करने, और एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी।। हालांकि, मौजूदा विनिर्माण प्रयास को गति देने वाले मूलभूत कारक - रोजगार सृजन, व्यापार और सुरक्षा - अपरिवर्तित हैं। बाजार का आकार और वर्तमान विकास दर निवेशकों के लिए आकर्षक हैं, लेकिन “मेक इन इंडिया” पहल को और गति देने के लिए, विशेष रूप से राज्य स्तर पर, और अधिक कार्रवाई की आवश्यकता है।
नई भारत सरकार को राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित उत्पादन के कारकों पर नीतिगत ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। इसके साथ ही, विचारशील औद्योगिक नीतियों को प्रोत्साहित करने और विनिर्माण क्षेत्र में व्यापक सफलता प्राप्त करने के लिए प्रमुख शहरों से परे व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-
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Source- The Hindu