संदर्भ:
● खेल कूटनीति, जिसे विदेश नीति के नजरिए से राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने वाले एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में परिभाषित किया गया है; ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया है। यह तो सर्वविदित है, कि खेल क्षमता को अधिकतम करने के लिए, ठोस नीतियों और कूटनीतिक कार्यों की आवश्यकता होती है। इस लेख में, इस बात की समीक्षा का प्रयास किया गया है, कि कैसे विभिन्न देशों ने ऐतिहासिक रूप से वर्तमान समय में खेल कूटनीति को नियोजित किया है। इसके साथ ही इस बात का भी मूल्याङ्कन किया गया है, कि क्या एक गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका और खेल कूटनीति राष्ट्रों के बीच विभाजन को समाप्त कर सकती है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन में खेल कूटनीति का उदय
● हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सभी मुख्य विषयों में खेल कूटनीति को काफी महत्व दिया जा रहा है। दो महत्वपूर्ण घटनाओं ने कूटनीति और शासन के भविष्य को आकार देने में इसकी बढ़ती हुई भूमिका और क्षमता को रेखांकित किया है।
○ मिलकन ग्लोबल कॉन्फ्रेंस पैनल चर्चा:
■ मिलकन ग्लोबल कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रमुख राजनयिकों की एक पैनल चर्चा में विभिन्न राष्ट्रों के बीच सहयोग और संयुक्त कार्रवाई को बढ़ावा देने में खेल और स्वास्थ्य की भूमिका पर चर्चा की गई। पैनलिस्टों ने इस बात का पता लगाया, कि इन क्षेत्रों का उपयोग कर कूटनीतिक प्रयासों को कैसे मजबूत किया जा सकता है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के भविष्य में कैसे योगदान दिया जा सकता है।
○ सऊदी अरब और फीफा साझेदारी:
■ सऊदी अरब की सरकारी तेल और गैस कंपनी, अरामको, वर्ष 2027 तक फीफा की एक प्रमुख वैश्विक साझेदार कम्पनी बन गई है। इस साझेदारी में आगामी प्रतिष्ठित फीफा आयोजनों, जैसे कि 2026 फीफा विश्व कप और 2027 फीफा महिला विश्व कप के लिए प्रायोजन अधिकार शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सऊदी अरब इंग्लिश प्रीमियर लीग क्लब न्यूकैसल यूनाइटेड का मालिक भी है और वर्ष 2034 और 2035 में फीफा विश्व कप की मेजबानी करने की दौड़ में सबसे आगे है। उन्होंने टेनिस, बॉक्सिंग, फॉर्मूला 1, गोल्फ और घुड़दौड़ सहित विभिन्न खेलों में अरबों डॉलर का निवेश किया है।
खेल कूटनीति की ऐतिहासिक जड़ें और समकालीन प्रासंगिकता:
● खेल कूटनीति सांस्कृतिक कूटनीति का ही एक उपखंड है, जिसने निस्संद रूप से सीमाओं को पारगम्य बनाकर देशों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
● खेल कूटनीति के ऐतिहासिक उदाहरण: इतिहास में, खेलों को अक्सर एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
○ उदाहरण:
■ उरुग्वे ने 1930 में पहला फीफा विश्व कप की मेजबानी की और जीता भी।
■ 1934 में, इटली ने तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के अधीन फीफा विश्व कप की मेजबानी की और इसे जीता भी।
■ 2026 फीफा विश्व कप का संयुक्त रूप से उत्तरी अमेरिकी देशों - कनाडा, मैक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आयोजन किया जाएगा।
■ कतर ने फीफा विश्व कप की मेजबानी करके महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया और टूर्नामेंट के दौरान कतर के अमीर द्वारा लियोनेल मेस्सी को 'बिष्ट' भेंट करने की घटना ने वैश्विक चर्चा को जन्म दिया, जो कतर की संस्कृति में उच्च सम्मान और प्रशंसा का प्रतीक है।
● ओलंपिक और वैश्विक प्रभाव:
○ ओलंपिक खेल, खेल कूटनीति का एक अन्य प्रमुख उदाहरण है। चीन ने 2008 ओलंपिक का इस्तेमाल अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने और वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के लिए किया। ओलंपिक आयोजनों का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय युवाओं में शांति के प्रेम और जीवन के सम्मान को जगाना था। ओलंपिक की मेजबानी करने से भी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षणिक प्रभाव पड़ते हैं। इस सन्दर्भ में कई चीनी नागरिकों ने अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों का स्वागत करने के लिए राज्य द्वारा संचालित अंग्रेजी और शिष्टाचार कक्षाओं में न्क्मकन कराया। इसके अलावा USA का समर्थन करने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश की बीजिंग में उपस्थिति ने इस आयोजन के कूटनीतिक महत्व को रेखांकित किया।
समकालीन खेल कूटनीति:
● भारत की क्रिकेट कूटनीति:
○ भारत ने क्रिकेट के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें गैर-सरकारी संस्थाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरणस्वरुप इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) इस समय एक वित्तीय महाशक्ति बन गया है, जिसके प्रसारण अधिकारों का अनुबंध पांच सीज़न (2023-2027) के लिए 6.02 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है। आईपीएल को वैश्विक स्तर पर 300 मिलियन से अधिक दर्शक देखते हैं और इसने कई घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय टी20 लीगों को प्रेरित किया है। साथ ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अफगानिस्तान क्रिकेट टीम, नेपाल को समर्थन और पोषण दिया है और मालदीव के साथ 'क्रिकेट कूटनीति' को अपनाया है। अमूल और नंदिनी जैसी भारतीय डेयरी कंपनियां दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, श्रीलंका और स्कॉटलैंड सहित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीमों को प्रायोजित करती हैं। यह उल्लेखनीय है, कि इस वर्ष का वर्ल्ड टी 20 पहली बार वेस्टइंडीज और अमेरिका में आयोजित किया जाएगा।
● शतरंज कूटनीति:
○ भारतीय शतरंज कोच भी रोमानिया और नॉर्वे जैसे देशों में विदेशी नागरिकों को प्रशिक्षण देकर खेल कूटनीति में योगदान दे रहे हैं। यह इस बात को रेखांकित करता है कि खेल किस प्रकार से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सद्भावना को बढ़ावा दे सकते हैं।
● पिंग पोंग कूटनीति:
○ अमेरिका और चीन के बीच पिंग पोंग कूटनीति खेल कूटनीति के माध्यम से ठोस नीतिगत लाभ प्राप्त करने का एक प्रसिद्ध उदाहरण है। वर्ष 1971 में, चीनी सांस्कृतिक क्रांति के बाद, चीन ने अमेरिकी टेबल टेनिस खिलाड़ियों को आमंत्रित किया, जिससे राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की यात्रा का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस कार्यक्रम ने अमेरिका और चीन के बीच आधिकारिक राजनयिक संबंध स्थापित करने की आधारशिला रखने में मदद की। अमेरिका विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए खेल कूटनीति को एक उपकरण के रूप में देखना जारी रखता है।
● ऑस्ट्रेलिया की खेल कूटनीति 2030:
○ ऑस्ट्रेलिया की 'खेल कूटनीति 2030' योजना अपने कूटनीतिक कार्यों में खेल कूटनीति को एकीकृत करती है। यह रणनीति ऑस्ट्रेलिया के प्रभाव और प्रतिष्ठा को बढ़ाने, राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने और पड़ोसियों के साथ घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्र की खेल उत्कृष्टता का लाभ उठाने का लक्ष्य रखती है। यह रणनीति चार रणनीतिक प्राथमिकता क्षेत्रों पर केंद्रित है: वैश्विक स्तर पर ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई खेल को सशक्त बनाना, पड़ोसियों के साथ संबंध बनाना, व्यापार, पर्यटन और निवेश के अवसरों को अधिकतम करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुदायों को मजबूत करना।
खेल कूटनीति के प्रभाव, उसकी शक्ति, क्षमता और संभावनाएं:
● अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में खेल कूटनीति एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्यरत है। यह देशों को राष्ट्रीय कौशल का प्रदर्शन करने, नीतिगत लाभ प्राप्त करने और राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में सक्षम बनाती है।
● सीमाओं सीमाओं का लचीलापन और सेतु निर्माण:
○ खेल कूटनीति कूटनीति ने पारंपरिक सीमाओं को लचीला बनाकर देशों को एकजुट होने का मार्ग प्रशस्त किया है। इसे प्रभाव के सबसे सूक्ष्म रूपों में से एक माना जाता है, जिसे प्रायः "सॉफ्ट पावर के अंतर्गत सबसे सौम्य शक्ति" के रूप में संदर्भित किया जाता है। मीडिया, प्रशंसकों और युवाओं को सशक्त बनाने वाले गतिशील चैनलों के रूप में खेलों के उदय के साथ, खेल कूटनीति की उपेक्षा नहीं की जा सकती। यद्यपि इसकी कार्यप्रणाली चुनौतियों, लागतों और विवादों से मुक्त नहीं है, फिर भी यह सांस्कृतिक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण अंग बना हुआ है।
● गैर-सरकारी अभिकर्ताओं की भूमिका:
○ गैर-सरकारी अभिकर्ताओं, जैसे खेल लीग और निजी कंपनियों ने खेल कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए, भारत में आईपीएल की सफलता निजी निवेश और गैर-सरकारी अभिकर्ताओं की भागीदारी से संचालित है। इसी प्रकार, भारतीय डेयरी कंपनियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीमों को प्रायोजित करना इस बात का उदाहरण है कि कैसे गैर-सरकारी अभिकर्ता खेल कूटनीति में योगदान दे सकते हैं।
● चुनौतियाँ और विवाद:
○ वर्तमान में खेल कूटनीति चुनौतियों और विवादों से परे नहीं है। प्रमुख खेल आयोजनों की मेजबानी में अक्सर अत्यधिक लागत शामिल होती है और लाभ हमेशा व्यय को उचित नहीं ठहराते हैं। इसके अतिरिक्त, खेल कूटनीति का उपयोग कभी-कभी अंतर्निहित राजनीतिक तनावों या मानवाधिकारों के मुद्दों को छिपाने के लिए किया जा सकता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस नीतियों और कूटनीतिक कार्यों को विकसित करना महत्वपूर्ण है, कि खेल विनिमय के माध्यम से उत्पन्न सद्भावना और सहयोग ठोस परिणामों में परिवर्तित हों।
निष्कर्ष:
● ऐतिहासिक रूप से क्रीड़ा कूटनीति अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक सशक्त उपकरण के रूप में स्थापित हो चुकी है। यह राष्ट्रों को उनकी राष्ट्रीय दक्षता का प्रदर्शन करने, नीतिगत उद्देश्यों को प्राप्त करने और देशों के बीच सहयोग को सुदृढ़ करने में सक्षम बनाती है। सीमाओं के पार लोगों को एकत्रित करने और सद्भावना का निर्माण करने की इसकी क्षमता इसे कूटनीतिक कार्यों के लिए एक अत्यंत प्रभावी माध्यम बनाती है। यद्यपि, क्रीड़ा कूटनीति की क्षमता का पूर्णतः लाभ उठाने और इसे मात्र खेल के दायरे से परे ले जाने के लिए, सुदृढ़ नीतियों और कूटनीतिक उपायों का विकास आवश्यक है। यह सुनिश्चित करेगा कि खेल विनिमयों के माध्यम से निर्मित सद्भावना और सहयोग कूटनीति और शासन के व्यापक संदर्भ में ठोस परिणामों में रूपांतरित हों।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
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स्रोत- द हिंदू