सन्दर्भ :
निरंतर प्रौद्योगिकी-संचालित भविष्य की ओर बढ़ती दुनिया में, डेटा को उभरते खतरों से सुरक्षित रखना अत्यधिक आवश्यक हो गया है। इन खतरों में सबसे गंभीर चुनौती क्वांटम कंप्यूटर से उत्पन्न होती है, जोकि वर्तमान एन्क्रिप्शन विधियों को तोड़ने की क्षमता रखते हैं। इस खतरे का समाधान करने के लिए भारत ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) की शुरुआत की है। यह मिशन संचार और कंप्यूटिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल है। 6,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ 2023 में स्वीकृत इस मिशन की अवधि 2031 तक निर्धारित की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य अगली पीढ़ी की संचार प्रणालियों को विकसित करने के लिए क्वांटम तकनीकों का उपयोग करना है।
· मिशन के तहत भारत की क्वांटम सैटेलाइट पहल को प्राथमिकता दी गई है, जिसके माध्यम से एक क्वांटम संचार नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। यह नेटवर्क क्वांटम क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करेगा, जोकि डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में एक अत्याधुनिक तकनीक है। यह संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा समाधान प्रदान करेगा। क्वांटम अनुसंधान और नवाचार में निवेश करके, भारत भविष्य के लिए सुरक्षित, अत्याधुनिक तकनीकों के विकास में खुद को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर रहा है।
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन क्या है?
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा विकसित एक महत्वाकांक्षी पहल है। इसका उद्देश्य क्वांटम यांत्रिकी के व्यावहारिक उपयोग को बढ़ावा देना है। क्वांटम यांत्रिकी वह विज्ञान है जोकि बेहद छोटे स्तर पर मात्रा और ऊर्जा के व्यवहार को नियंत्रित करता है। इस विज्ञान का उपयोग करके कंप्यूटिंग, संचार, और संवेदन जैसे क्षेत्रों में नई और शक्तिशाली तकनीकों को विकसित करने की उम्मीद की जा रही है। मिशन का उद्देश्य यह समझना है कि क्वांटम भौतिकी शास्त्रीय भौतिकी की सीमाओं को कैसे पार कर सकती है। शास्त्रीय भौतिकी ने दूरसंचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और मौसम पूर्वानुमान जैसी तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, जैसे-जैसे शास्त्रीय प्रौद्योगिकियां अपनी सैद्धांतिक सीमाओं के करीब पहुंच रही हैं, क्वांटम उपकरण सुपरपोजिशन और उलझाव (Entanglement) जैसी क्वांटम घटनाओं का उपयोग करके संभावित समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं।
भारत का क्वांटम उपग्रह: सुरक्षित संचार की दिशा में एक कदम
· राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) का एक मुख्य उद्देश्य सुरक्षित संचार के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना है। इसके तहत, एक क्वांटम उपग्रह का प्रक्षेपण किया जाएगा। यह उपग्रह क्वांटम क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करके सुरक्षित रूप से सूचना प्रसारित करने में सक्षम क्वांटम संचार नेटवर्क स्थापित करेगा।
· क्वांटम उपग्रह, क्वांटम यांत्रिकी पर आधारित एन्क्रिप्शन विधियों का उपयोग करता है, जोकि पारंपरिक तरीकों की तुलना में स्वाभाविक रूप से अधिक सुरक्षित हैं। मौजूदा एन्क्रिप्शन तकनीकों को तोड़ने की क्षमता रखने वाले क्वांटम कंप्यूटरों के बढ़ते खतरे के बीच, यह उपग्रह डेटा की अखंडता और गोपनीयता सुनिश्चित करने का एक प्रभावी समाधान प्रदान करेगा।
क्वांटम कंप्यूटिंग: सूचना प्रसंस्करण में क्रांतिकारी बदलाव:
क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करके सूचना प्रसंस्करण को पूरी तरह बदल रही है। शास्त्रीय कंप्यूटरों, जो केवल बाइनरी बिट्स (0 या 1) पर काम करते हैं, के विपरीत, क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) का उपयोग करते हैं। क्यूबिट्स एक साथ कई अवस्थाओं (0 और 1) में मौजूद हो सकते हैं, जिससे क्वांटम कंप्यूटरों को शास्त्रीय कंप्यूटरों की तुलना में कई समस्याओं को बेहद तेजी से हल करने की क्षमता मिलती है।
क्वांटम कंप्यूटरों की सटीकता और कार्यक्षमता उनके विशेष घटकों पर निर्भर करती है, जैसे:
- क्यूबिट्स: ये सुपरकंडक्टिंग सर्किट, फंसे हुए आयन जैसी तकनीकों से बनाए जाते हैं।
- क्वांटम लॉजिक गेट्स: हैडामार्ड, CNOT और स्वैप गेट्स, यह क्यूबिट्स में हेरफेर करते हैं। इन गेट्स को लेजर या माइक्रोवेव पल्स द्वारा सटीक रूप से नियंत्रित किया जाता है।
क्वांटम कंप्यूटिंग के प्रमुख सिद्धांत:
1. सुपरपोजिशन : शास्त्रीय बिट्स के विपरीत, क्यूबिट एक साथ कई अवस्थाओं में मौजूद रह सकते हैं, जिससे क्वांटम कंप्यूटर जटिल समानांतर गणना कर सकते हैं।
2. क्वांटम उलझावव् (Entanglement) : जब क्यूबिट उलझ जाते हैं, तो एक क्यूबिट की स्थिति दूसरे को प्रभावित करती है, जिससे शास्त्रीय प्रणालियों की पहुंच से परे जटिल गणनाएं संभव हो जाती हैं।
3. क्वांटम हस्तक्षेप (Interference) : क्वांटम कण एक दूसरे के साथ हस्तक्षेप करके सही समाधान को बढ़ाते हैं और गलत समाधानों को रद्द करते हैं, जिससे गणना प्रक्रिया अनुकूलित होती है।
4. क्वांटम टनलिंग (Tunneling) : क्वांटम कण उन बाधाओं को पार कर सकते हैं जोकि शास्त्रीय भौतिकी में दुर्गम हैं, जो कुछ क्वांटम कंप्यूटिंग हार्डवेयर के लिए महत्वपूर्ण हैं।
क्वांटम बनाम शास्त्रीय कंप्यूटिंग:
पहलू |
शास्त्रीय कंप्यूटिंग |
क्वांटम कम्प्यूटिंग |
मूल इकाई |
बाइनरी बिट (0 या 1) |
क्यूबिट (0, 1, या दोनों का सुपरपोजिशन) |
समानता |
अनुक्रमिक प्रसंस्करण (Sequential Processing) |
सुपरपोजिशन के माध्यम से विशाल समांतरता |
हार्डवेयर |
कमरे के तापमान पर सिलिकॉन चिप्स |
क्रायोजेनिक क्वांटम प्रोसेसर |
प्रोग्रामिंग |
चरण-दर-चरण निर्देश |
उच्च संभावना समाधान के लिए हस्तक्षेप |
रफ़्तार |
निश्चित दर |
घातीय गतिवृद्धि की संभावना (Potential for Exponential Speed-up) |
शुद्धता |
सटीक आउटपुट |
क्वांटम त्रुटि सुधार के साथ एनालॉग व्यवहार |
क्वांटम वर्चस्व (Quantum Supremacy):
क्वांटम वर्चस्व का अर्थ है क्वांटम कंप्यूटर द्वारा ऐसे कार्य करना जोकि पारंपरिक कंप्यूटर नहीं कर सकते। 2019 में, गूगल के साइकामोर(Sycamore) प्रोसेसर ने 200 सेकंड में एक समस्या को हल करके यह उपलब्धि हासिल की , जिसे हल करने में पारंपरिक सुपर कंप्यूटर को 10,000 साल लगते ।
क्वांटम कंप्यूटिंग के अनुप्रयोग:
- खोज और अनुकूलन : ग्रोवर के एल्गोरिदम की तरह क्वांटम एल्गोरिदम , डेटा पुनर्प्राप्ति और अनुकूलन कार्यों को गति दे सकते हैं।
- अनुकरण : क्वांटम कंप्यूटिंग जटिल रासायनिक प्रतिक्रियाओं का सटीक अनुकरण कर सकती है, जिससे फार्मास्यूटिकल्स और सामग्री विज्ञान जैसे उद्योगों में बदलाव आ सकता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता : क्वांटम मशीन लर्निंग में पैटर्न पहचान और निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुधार करने की क्षमता है।
क्वांटम भौतिकी संचार को कैसे सुरक्षित करती है:
क्वांटम क्रिप्टोग्राफी , विशेष तौर पर क्वांटम कुंजी वितरण (QKD) , संचार को सुरक्षित करने के लिए एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण है। शास्त्रीय एन्क्रिप्शन के विपरीत, जोकि एल्गोरिदम की जटिलता पर निर्भर करता है, क्वांटम एन्क्रिप्शन क्वांटम कानूनों के आधार पर सुरक्षा की गारंटी देता है। इस तकनीक में एन्क्रिप्शन कुंजी को क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) के रूप में कोड किया जाता है और इसके लिए आमतौर पर फोटॉन (प्रकाश कण) का उपयोग किया जाता है।
क्वांटम कुंजी वितरण (Quantum Key Distribution) की भूमिका:
क्यूकेडी क्वांटम माप का उपयोग करके काम करता है, जो बताता है कि क्वांटम सिस्टम को मापने से इसकी स्थिति बदल जाती है। यदि कोई कुंजी ट्रांसमिशन को रोकने का प्रयास करता है, तो वे सिस्टम को बाधित करते हैं, जिससे उनकी उपस्थिति का पता चलता है। यह सिद्धांत पारंपरिक क्रिप्टोग्राफ़िक विधियों से परे सुरक्षा का एक स्तर प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, क्वांटम उलझाव (Entanglement) यह सुनिश्चित करता है कि एक उलझे हुए कण में कोई भी परिवर्तन तुरंत दूसरे को प्रभावित करता है, जिससे गुप्तचर के लिए बिना पता लगाए ट्रांसमिशन के साथ छेड़छाड़ करना लगभग असंभव हो जाता है।
क्वांटम कुंजी वितरण (Quantum Key Distribution) की चुनौतियां और सीमाएं:
अपनी सैद्धांतिक सुरक्षा के बावजूद, QKD को व्यावहारिक कार्यान्वयन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें शामिल हैं:
1. प्रमाणीकरण संबंधी मुद्दे : क्यूकेडी में क्वांटम कुंजी संचरण के स्रोत को प्रमाणित करने के लिए विश्वसनीय तरीके का अभाव है, जिससे संभावित सुरक्षा अंतराल पैदा हो सकता है।
2. बुनियादी ढांचे की बाधाएं : क्यूकेडी के लिए विशेष हार्डवेयर की आवश्यकता होती है, जिसे अपग्रेड करना महंगा और कठिन होता है।
3. बढ़ी हुई लागत : विशेष क्वांटम हार्डवेयर की आवश्यकता से क्यूकेडी के कार्यान्वयन की लागत बढ़ जाती है।
4. व्यावहारिक सुरक्षा : QKD की सुरक्षा हार्डवेयर की अखंडता पर निर्भर करती है, जिससे अभी भी समझौता किया जा सकता है।
5. सर्विस अवेलेबिलिटी पर हमले: क्यूकेडी ट्रांसमिशन पर नजर रखने से सिस्टम बाधित हो सकता है, जिससे संभवतः यह निष्क्रिय हो सकता है।
निष्कर्ष: आगे की राह
भारत का फोकस क्वांटम प्रौद्योगिकियों पर इसलिये है ताकि पारंपरिक संचार विधियों पर निर्भरता कम की जा सके, जोकि क्वांटम हमलों से प्रभावित हो सकती हैं। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत, क्वांटम सैटेलाइट सुरक्षित संचार नेटवर्क के निर्माण में मदद करेगा, जो भविष्य के क्वांटम कंप्यूटरों से होने वाली चुनौतियों का सामना कर सकेगा। यह सैटेलाइट लंबी दूरी पर क्वांटम संचार का परीक्षण करेगा, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ने और सरकारी संचार को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी।
मुख्य प्रश्न: भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर क्वांटम कंप्यूटिंग के संभावित प्रभाव की जांच करें। इस तकनीक का लाभ उठाने के लिए भारत को क्या कदम उठाने चाहिए? |