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Daily-current-affairs / 19 Feb 2025

महाकुंभ मेला : ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन और भीड़ प्रबंधन चुनौतियां

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सन्दर्भ : महाकुंभ मेला, जोकि भारत के प्रयागराज में आयोजित होता है, ने वैश्विक रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह दुनिया का पहला ऐसा आयोजन बन गया है जिसमें 50 करोड़ (500 मिलियन) से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुए हैं। महाकुंभ का आयोजन गंगा, यमुना और  पौराणिक सरस्वती नदी के संगम स्थल पर होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है।  यह आयोजन न केवल भारत की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी मानव सभा भी है। इसकी तुलना यदि विश्व के विभिन्न देशों की जनसंख्या से की जाए, तो यह अमेरिका, रूस, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक हो जाता है। इतनी विशाल जनसंख्या का एक स्थान पर एकत्रित होना प्रशासन के लिए भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, यातायात नियंत्रण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी लेकर आता है।

महाकुंभ मेला:

महाकुंभ हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला एक भव्य धार्मिक मेला है, जो दुनिया भर से लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। यह आयोजन गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर आयोजित होता है, जहाँ श्रद्धालु पवित्र स्नान कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से एकत्रित होते हैं।

हालाँकि, अत्यधिक भीड़ के दबाव के कारण अव्यवस्था फैल गई, जब कुछ श्रद्धालुओं ने बैरिकेड तोड़ दिए और कतारों को पार करते हुए अन्य तीर्थयात्रियों को कुचल दिया, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में कम से कम 30 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि 60 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए।

इस त्रासदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे विशाल आयोजनों में सुरक्षा रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन और आपदा प्रबंधन योजनाओं को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।

सामूहिक समारोहों के प्रबंधन की चुनौतियाँ:

महाकुंभ मेले ने अपने अभूतपूर्व आकार और श्रद्धालुओं की अत्यधिक संख्या के कारण प्रशासन के लिए असाधारण चुनौतियाँ प्रस्तुत की। राज्य सरकार द्वारा व्यापक तैयारियाँ की गई थीं, जिनमें क्षेत्र को नो-व्हीकल ज़ोन  घोषित करना और वीआईपी पहुँच को प्रतिबंधित करना शामिल था। हालाँकि, उपस्थित लोगों की विशाल संख्या ने व्यवस्थाओं को प्रभावित कर दिया। प्रशासन ने बड़ी भीड़ की संभावना को ध्यान में रखा था, फिर भी वास्तविक संख्या अपेक्षाओं से कहीं अधिक रही। इस मेले में हुई त्रासदी ने इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आगमन को सुचारु रूप से प्रबंधित करने हेतु आवश्यक योजना और बुनियादी ढाँचे की पर्याप्तता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भीड़ प्रबंधन में प्रमुख मुद्दे:

·        भीड़ के मनोवैज्ञानिक पहलू को समझना अत्यंत आवश्यक है। भय, चिंता, उत्तेजना और क्रोध जैसी भावनाएँ घबराहट और अनियंत्रित गतिविधि को बढ़ावा देती हैं। इस आयोजन में भी भीड़भाड़, अपर्याप्त निकास बिंदु और सुरक्षा उपायों की कमी ने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया।

·        मौनी अमावस्या के अवसर पर भीड़ नियंत्रण की विफलता के कारण कई लोगों की जान चली गई। यह घटना योजना और क्रियान्वयन में मौजूद महत्वपूर्ण खामियों को उजागर करती है।

·        भारत में धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन की रणनीति प्रायः प्रतिक्रियात्मक  होती है, जबकि इसे सक्रिय  बनाने की आवश्यकता है। अधिकारियों को ऐसी प्रभावी प्रणालियाँ विकसित करनी चाहिए जो

o   भीड़ के व्यवहार का पूर्वानुमान लगा सकें।

o   संभावित जोखिमों को कम कर सकें।

o   उभरते खतरों पर त्वरित प्रतिक्रिया दे सकें।

·        भीड़ के घनत्व की निगरानी के लिए ड्रोन एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही, हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने से लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।

·        महाकुंभ जैसी त्रासदियों को रोकने के लिए मेला में,विशेषज्ञ बुनियादी ढांचे और आधुनिक भीड़ नियंत्रण प्रौद्योगिकियों के महत्व पर जोर देते हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और भीड़ प्रबंधन रणनीतियाँ:

NDMA की रिपोर्ट (2014) और प्रमुख निष्कर्ष:

·        राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने 2014 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें बड़े आयोजनों, विशेषकर धार्मिक समारोहों के दौरान भीड़ प्रबंधन से संबंधित विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया गया था।

·        रिपोर्ट में भगदड़ के प्रमुख कारणों की पहचान की गई, जिनमें शामिल हैं—

·         अत्यधिक भीड़

·         अपर्याप्त प्रवेश और निकास द्वार

·         कमजोर बुनियादी ढाँचा

·         प्रशासनिक समन्वय की कमी

भीड़ प्रबंधन रणनीतियाँ:

  • लोगों के आगमन को नियंत्रित करना: पंजीकरण प्रणाली का उपयोग करके कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने वाले लोगों की संख्या का प्रबंधन करना तथा प्रवेश करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या को सीमित करना ।
  • कार्यक्रम स्थल पर भीड़ को नियंत्रित करना: चौड़े मार्गों ,उचित बैरिकेडिंग और अन्य बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं की सुनियोजित आवाजाही सुनिश्चित करना चाहिए।
  • सुनियोजित निकास प्रबंधन: पर्याप्त संख्या में निकास बिंदु (Exit Points) बनाए जाएँ और यह सुनिश्चित किया जाए कि भीड़ को सुरक्षित एवं सुव्यवस्थित निकास मार्गों की ओर निर्देशित किया जाए।

भीड़ आपदाओं की रोकथाम में तकनीक की भूमिका:

भीड़ प्रबंधन में आधुनिक तकनीक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ड्रोन निगरानी और वास्तविक समय डेटा एनालिटिक्स का उपयोग प्रशासन को भीड़ के व्यवहार की सक्रिय निगरानी और त्वरित हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाता है।

तकनीकी समाधान:

·        ड्रोन निगरानी: ड्रोन भीड़ का हवाई दृश्य उपलब्ध कराते हैं, जिससे अधिकारियों को भीड़ के आवागमन पैटर्न का आकलन करने और आवश्यकतानुसार हस्तक्षेप करने में सहायता मिलती है।

·        निगरानी कैमरे और भीड़ सिमुलेशन उपकरण: भीड़ सिमुलेशन उपकरण (Crowd Simulation Tools) का उपयोग कर संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, जिससे आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।

·        वास्तविक समय निगरानी (Real-Time Monitoring): यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भीड़ के घनत्व पर नज़र रखने और खतरनाक स्थिति उत्पन्न होने से पहले हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है।

पूर्व में भगदड़ की घटनाएँ :

महाकुंभ 2025 में हुई भगदड़ ,कोई अकेली घटना नहीं है। भारत में इससे पहले भी कई  भगदड़ें हो चुकी हैं, जिनमें 2003 में नासिक कुंभ और 2005 में कालूबाई मेले के दौरान हुई भगदड़ें प्रमुख हैं। 2003 में नासिक कुंभ के दौरान अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्थित आवागमन के कारण 29 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई थी, जबकि 2005 में महाराष्ट्र के मंधारदेवी में कालूबाई मेले के दौरान संकीर्ण रास्तों, अवैध दुकानों और खराब बुनियादी ढाँचे के चलते 293 लोगों की जान चली गई। इन घटनाओं में अत्यधिक भीड़, अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और कमजोर सुरक्षा उपाय जैसे सामान्य कारक प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहे, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई।

ये घटनाएं भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए बेहतर भीड़ प्रबंधन रणनीतियों और अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता को उजागर करती हैं।

भविष्य में होने वाली त्रासदियों को रोकना: सक्रिय उपाय

भविष्य में भगदड़ और भीड़ से संबंधित घटनाओं को रोकने के लिए, विशेषज्ञ  भीड़ प्रबंधन के लिए एक सक्रिय और समग्र दृष्टिकोण की सिफारिश करते हैं। इस दृष्टिकोण में विभिन्न उपायों के समावेश से आपातकालीन स्थितियों को कम किया जा सकता है और  भविष्य की घटनाओं  को रोका जा सकता है।

आवश्यक उपाय:

·        लोगों के आगमन को नियंत्रित करना:
तीर्थयात्रियों की संख्या को सीमित करने और उनके आगमन पैटर्न को नियंत्रित करने के लिए पंजीकरण प्रणाली का उपयोग करना।

·        उन्नत बुनियादी ढाँचा:
चौड़े रास्ते, बेहतर प्रकाश व्यवस्था, मजबूत बैरिकेड्स और अन्य सुरक्षा सुविधाओं को सुनिश्चित करना, ताकि भीड़ को व्यवस्थित रूप से नियंत्रित किया जा सके।

·        प्रौद्योगिकी-संचालित निगरानी:
भीड़ की गतिविधि और घनत्व पर नज़र रखने के लिए ड्रोन और अन्य निगरानी प्रणालियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना।

·         बेहतर समन्वय:
उभरते जोखिमों पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए कार्यक्रम आयोजकों, कानून प्रवर्तन और परिवहन एजेंसियों के बीच बेहतर संचार सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष:

महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक है। हालाँकि, इस आयोजन के दौरान हुई भगदड़ ने इस तरह के बड़े पैमाने पर होने वाले समारोहों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ उजागर की हैं। भगदड़ के दौरान हुई जान-माल की हानि ने यह दर्शाया कि प्रभावी भीड़ प्रबंधन, मजबूत बुनियादी ढाँचा और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का सक्रिय उपयोग आवश्यक है। ऐसे आयोजनों की तैयारी और प्रबंधन के लिए समग्र दृष्टिकोण बनाये रखना आवश्यक हैं।

·        प्राधिकारियों को ऐसे बड़े पैमाने के आयोजनों के प्रबंधन के लिए व्यापक, सुव्यवस्थित रणनीतियां लागू करनी होंगी।

·        सक्रिय योजना, बुनियादी ढांचे में सुधार और प्रौद्योगिकी जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।

·        इस घटना से सीखे गए सबक को भविष्य में इसी प्रकार की घटनाओं के लिए योजना बनाने में लागू किया जाना चाहिए।

इन रणनीतियों को लागू करके, शासन यह सुनिश्चित कर सकता हैं कि महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भविष्य में लाखों श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से आयोजित किए जा सकें।

प्रश्न : हाल ही में महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना को ध्यान में रखते हुए भारत में सामूहिक समारोहों के प्रबंधन में चुनौतियों का आकलन करें । ऐसे आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ कैसे उठाया जा सकता है?


Source: newsonair.gov.in