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Daily-current-affairs / 15 Feb 2025

आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025: एक व्यापक विधायी ढांचा

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सन्दर्भ:

भारत में आप्रवासन (Immigration) नीति-निर्माण का एक महत्वपूर्ण विषय रहा है, जोकि राष्ट्रीय सुरक्षा, जनसांख्यिकीय संरचना, आर्थिक अवसरों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करता है। वैश्वीकरण और सीमा-पार आवाजाही में वृद्धि के चलते, विदेशी नागरिकों के भारत में प्रवेश, निवास और प्रस्थान को विनियमित  करना एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है।

इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने "आप्रवासन और विदेशियों विधेयक, 2025" प्रस्तुत किया है। यह विधेयक 2025 के बजट सत्र (31 जनवरी – 4 अप्रैल, 2025) के लिए सूचीबद्ध 16 प्रमुख विधेयकों में शामिल है। इसका उद्देश्य मौजूदा अप्रचलित कानूनों को हटाकर एक एकीकृत और प्रभावी कानूनी ढांचा तैयार करना है।

वर्तमान कानूनी ढांचा:

वर्तमान में, भारत में आप्रवासन संबंधी कानून निम्नलिखित तीन औपनिवेशिक (Colonial-era) कानूनों द्वारा नियंत्रित होते हैं:

1.   विदेशी अधिनियम, 1946

2.   पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920

3.   विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939

ये कानून उस समय बनाए गए थे जब  वैश्विक प्रवासन (Global Migration), राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएँ और राजनयिक आवश्यकताएँ आज की तुलना में काफी अलग थीं। इसलिए, "आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025" इन कानूनों को संशोधित कर प्रवर्तन प्रक्रियाओं को सरल बनाने, कानूनी खामियों को दूर करने और आधुनिक जरूरतों के अनुरूप आप्रवासन नियमों को अद्यतन करने का प्रयास करता है।

वर्तमान समय में वीजा उल्लंघन, अवैध सीमा पार करना (Illegal Border Crossings) और बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए, यह विधेयक विदेशी नागरिकों के प्रबंधन के लिए एक केंद्रीकृत दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव करता है।

आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 के उद्देश्य और दायरा :

इस विधेयक के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

·        विदेशी नागरिकों का विनियमन: भारत में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों के लिए पासपोर्ट और वीजा आवश्यकताओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना।

·        निगरानी और पंजीकरण: विदेशी नागरिकों की निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र बनाना, जिससे वीजा की अवधि खत्म होने के बाद भी रुके रहने (Visa Overstay) और अवैध रूप से बसने (Illegal Migration) को रोका जा सके

·        आवागमन प्रतिबंध और सुरक्षा प्रावधान: राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के आधार पर कुछ श्रेणियों के विदेशियों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार।

·        निर्वासन प्रक्रियाएँ का निर्धारण: जो विदेशी नागरिक भारत के आप्रवासन कानूनों का उल्लंघन करेंगे, उनके निर्वासन के लिए स्पष्ट कानूनी प्रक्रियाएँ निर्धारित करना।

इसके अतिरिक्त, विधेयक उन संस्थानों को भी ज़िम्मेदारी देता है जो विदेशी नागरिकों से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं, ताकि अनुपालन (Compliance) को और प्रभावी बनाया जा सके। इनमें शामिल हैं:

·        शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, होटल और एयरलाइंस, जिन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में मौजूद विदेशी नागरिकों का रिकॉर्ड बनाए रखना और रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा।

·        परिवहन संचालक  जैसे एयरलाइंस, शिपिंग कंपनियाँ और रेलवे, जो यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होंगे कि सभी यात्री वैध यात्रा दस्तावेज़ों के साथ यात्रा कर रहे हों।

इस प्रकार, यह विधेयक विभिन्न आप्रवासन नीतियों को एकीकृत करके प्रवर्तन को सरल बनाने, प्रशासनिक अक्षमताओं को कम करने और सीमा सुरक्षा को मज़बूत करने का लक्ष्य रखता है।

आप्रवासन और विदेशियों विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान:

1. केंद्रीकृत आप्रवासन नियंत्रण:

·        इस विधेयक के तहत एक एकल केंद्रीकृत एजेंसी (Centralized Agency) स्थापित करने का प्रस्ताव है, जो पूरे भारत में आप्रवासन मामलों की निगरानी और प्रवर्तन सुनिश्चित करेगी।

·        एक राष्ट्रीय डिजिटल डेटाबेस बनाया जाएगा, जिससे भारत में आने-जाने वाले विदेशी नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा और उनके वीजा अनुपालन पर नज़र रखी जाएगी।

2. वीजा और पासपोर्ट संबंधी नियम:

·        भारत में प्रवेश करने से पहले विदेशी नागरिकों को वैध पासपोर्ट और वीजा रखना अनिवार्य होगा।

·        होटलों, विश्वविद्यालयों और अस्पतालों को यह कानूनी रूप से अनिवार्य किया जाएगा कि वे अपने यहाँ ठहरने वाले विदेशी नागरिकों की जानकारी सरकार को उपलब्ध कराएँ।

3. परिवहन संचालकों की ज़िम्मेदारियाँ:

·        एयरलाइंस, शिपिंग कंपनियाँ और रेलवे को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके यात्री वैध यात्रा दस्तावेज़ों के साथ यात्रा कर रहे हैं।

·        यदि कोई विदेशी नागरिक भारत में प्रवेश से वंचित होता है, तो उसे वापस भेजने की ज़िम्मेदारी उस परिवहन कंपनी की होगी जिसने उसे भारत लाया था।

·        यदि कोई परिवहन कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो उस पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

4. विदेशियों पर प्रतिबंध:

·        भारत में निवास करते समय, विदेशी नागरिक बिना सरकारी अनुमति के अपना नाम नहीं बदल सकते।

·         सुरक्षा कारणों से, सरकार विशेष व्यक्तियों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा सकती है।

5   कड़े प्रवर्तन तंत्र:

·   जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस आयुक्त और आप्रवासन अधिकारी को विदेशी नागरिकों की निगरानी, हिरासत और निर्वासन (Deportation) के अधिकार दिए जाएँगे।

·        कानून तोड़ने वाले विदेशी नागरिकों पर भारी जुर्माना, कारावास या निर्वासन जैसी कठोर सज़ाएँ लागू की जाएँगी, जो उल्लंघन की गंभीरता पर निर्भर करेगी।

6  निर्वासन और निष्कासन प्रक्रियाएँ:

·        केंद्र सरकार को उन विदेशी नागरिकों को निर्वासित (Deport) करने का अधिकार होगा जो वीजा शर्तों का उल्लंघन करते हैं या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं

·        परिवहन कंपनियों को उन विदेशियों को वापस ले जाने की जिम्मेदारी उठानी होगी, जिनके आगमन को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है।

यह विधेयक एक संगठित प्रवर्तन तंत्र लागू करके आप्रवासन नियंत्रण को सरल बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास करता है।

भारत से अवैध प्रवासन: पैमाना और प्रवृत्तियाँ:

हालाँकि भारत अवैध आप्रवासन से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन यह स्वयं भी संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और यूरोप जैसे देशों में अवैध प्रवासियों  का एक प्रमुख स्रोत बना हुआ है।अनुमानों के अनुसार, केवल अमेरिका में ही 7,25,000 से अधिक भारतीय प्रवासी बिना वैध दस्तावेज़ों के रह रहे हैं।

हाल के निर्वासन के रुझान:

·      जून 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच वैश्विक स्तर पर 1,60,000 व्यक्तियों को निर्वासित किया गया, जिसमें 1,000 से अधिक भारतीय नागरिक शामिल थे।

·    अमेरिका ने पंजाब, हरियाणा और गुजरात से आने वाले प्रवासियों पर विशेष ध्यान देते हुए बड़े पैमाने पर निर्वासन (Mass Deportations) बढ़ा दिए हैं।

·   अब कई भारतीय प्रवासी सीधे अमेरिका जाने के बजाय कनाडा के माध्यम से प्रवेश करना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि कनाडा में वीज़ा प्रसंस्करण तेज़ (76 दिनों में) होता है, जबकि अमेरिका में इसमें एक वर्ष से अधिक समय लग सकता है।

भारत से अवैध प्रवासन के तरीके:

1  वीजा ओवरस्टे:

·        कई भारतीय नागरिक वैध वीजा पर यात्रा करके विदेश जाते हैं, लेकिन वीजा समाप्त होने के बाद लौटते नहीं हैं।

·        छात्र और कार्य वीजा  का उपयोग अवैध रोजगार के लिए किया जाता है।

2.  अवैध सीमा पार करना:

·        "डंकी रूट " के तहत नकली वीजा, मानव तस्कर और जोखिम भरे सीमा पार मार्गों का उपयोग किया जाता है।

·        दारीन गैप (पनामा-कोलंबिया सीमा) अमेरिका जाने वाले भारतीय प्रवासियों के लिए एक खतरनाक मार्ग बना हुआ है।

·        कनाडा से अमेरिका में अवैध प्रवेश एक प्रमुख रणनीति बन गई है, क्योंकि कनाडा के प्रवेश नियम अपेक्षाकृत कम सख्त हैं।

 3. शादी और जन्म-आधारित नागरिकता में धोखाधड़ी:

·        कई मामलों में नकली शादियाँ की जाती है ताकि स्थायी निवास प्राप्त किया जा सके।

·        बर्थ टूरिज़्म" का उपयोग अमेरिका में जन्मे बच्चों के माध्यम से स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

भारत से अवैध प्रवासन के मुख्य कारण:

·        आर्थिक असमानता : अमेरिका में $10–15 प्रति घंटे की मजदूरी भारतीय प्रवासियों को खतरों के बावजूद आकर्षित करती है।

·        कृषि संकट : पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी जमीन बेचकर अवैध प्रवासन के लिए धन जुटाते हैं।

·         मानव तस्करी : भारत विश्व के शीर्ष 10 मानव तस्करी से प्रभावित देशों में शामिल है।

·        नौकरशाही बाधाएँ : अमेरिका में वीज़ा मिलने में 600 से ज्यादा दिन लगने के कारण कई लोग अवैध रूप से प्रवास करने के रास्ते खोजने लगते हैं।

आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 के प्रभाव

यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो यह भारत की आप्रवासन प्रणाली को नया रूप देगा, जिससे:

·        आप्रवासन कानूनों के कड़े प्रवर्तन के कारण वीजा उल्लंघन में कमी आएगी।

·        राष्ट्रीय सुरक्षा में सुधार होगा और अनधिकृत प्रवासन को रोका जा सकेगा।

·         अंतरराष्ट्रीय आप्रवासन मानकों का पालन सुनिश्चित कर भारत के कूटनीतिक संबंध मजबूत होंगे।

इस विधेयक का प्रभाव निम्नलिखित पर पड़ेगा:

·        भारत में काम करने वाले विदेशी कर्मचारी, छात्र, और पर्यटक।

·        भारत के उन देशों के साथ संबंधो पर प्रभाव, जहां भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या रहती है (जैसे अमेरिका, कनाडा, यूके)

·        बांग्लादेश और म्यांमार (रोहिंग्या शरणार्थियों) से अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा उपाय।

भारत के वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक शक्ति बनने की दिशा में, "आप्रवासन और विदेशियों विधेयक, 2025" एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह विधेयक भविष्य की आप्रवासन नीतियों को सुव्यवस्थित करने और सीमा सुरक्षा को अधिक प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

मुख्य प्रश्न: आप्रवासन और विदेशियों विधेयक, 2025" के प्रभावी कार्यान्वयन में शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और परिवहन संचालकों की भूमिका का विश्लेषण करें। साथ ही, इन अतिरिक्त जिम्मेदारियों के कारण उनके संचालन पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों की समीक्षा करें।