संदर्भ:
भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जो ऐतिहासिक संबंधों, तनाव के कारकों और सहयोग के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता की आवश्यकता को व्यक्त करते हैं। बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना की लगातार चौथी बार ऐतिहासिक चुनावी जीत भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए जहां सकारात्मक भविष्य का निर्माण करता है वहीं कुछ प्रश्न भी उत्पन्न करता है क्योंकि शेख हसीना भारत के साथ अच्छे संबंधों का समर्थन तो करती हैं, लेकिन उन्होंने कुछ मुद्दों पर कड़ा रुख भी अपनाया है जैसे कि तीस्ता नदी का जल बंटवारा।
ऐतिहासिक संदर्भ और समृद्ध संबंध:
· भारत और बांग्लादेश के संबंधों की नींव 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान रखी गई थी। भारत ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि बाद के वर्षों में सैन्य शासन, सीमा विवादों और विद्रोह जैसे मुद्दों के कारण संबंधों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 1996 में शेख हसीना के सत्ता में आने के साथ संबंधों में एक नया महत्वपूर्ण मोड़ आया जिसने सहयोग के एक नए युग की शुरुआत की। गंगा जल के बंटवारे पर संधि ने बेहतर संबंधों का मार्ग प्रशस्त किया। तब से दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, संपर्क और रक्षा क्षेत्र में सहयोग का विस्तार किया है।
आर्थिक सहयोग:
● पिछले एक दशक में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि हुई है, बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बनकर उभरा है।
● महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अस्थायी गिरावट के बावजूद, 2021-2022 में द्विपक्षीय व्यापार 18 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। भारत बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार भी है जिसका भारतीय बाजारों में निर्यात 2 बिलियन डॉलर है।
● दोनों देश एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर बातचीत कर रहे हैं, जिसका लक्ष्य सीमा शुल्क को कम करना या समाप्त करना और व्यापार मानदंडों को सरल बनाना है।
● यह समझौता बांग्लादेश की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि बांग्लादेश 2026 के बाद अपने सबसे कम विकसित देश (एलडीसी) का दर्जा खो देगा जो ढाका को भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को आगे बढ़ाने और चीन समर्थित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा ।
बुनियादी ढांचे का विकास:
● भारत ने बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण निवेश करके स्वयं को बांग्लादेश के लिए "प्रमुख विकास भागीदार" के रूप में स्थापित किया है। 2010 के बाद से भारत ने विभिन्न पहलों का समर्थन करने के लिए 7 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य की क्रेडिट श्रृंखलाएँ प्रदान की हैं।
● विशेष रूप से, प्रधान मंत्री मोदी और हसीना द्वारा उद्घाटन किया गया अखौरा-अगरतला रेल लिंक बांग्लादेश को त्रिपुरा के माध्यम से पूर्वोत्तर से जोड़ता है। इससे भारत को बांग्लादेश में महत्वपूर्ण बंदरगाहों तक पहुंच मिलती है। इस विकास से लघु उद्योगों को बढ़ावा मिलने और असम और त्रिपुरा के विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
● ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग भी उल्लेखनीय है। बांग्लादेश भारत से लगभग 2,000 मेगावाट बिजली का आयात करता है। त्रिपुरा के पास स्थित मातरबारी बंदरगाह परियोजना, ढाका और पूर्वोत्तर भारत को जोड़ने वाले औद्योगिक गलियारे की स्थापना में रणनीतिक महत्व रखती है।
तनाव के बिंदु:
समग्र सकारात्मक संबंधों के बावजूद कुछ विवादास्पद मुद्दे भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं:
● तीस्ता जल विवाद: तीस्ता नदी का जल बांग्लादेश और भारत के बीच विवाद का एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। बांग्लादेश नदी के जल का समान वितरण चाहता है जबकि भारत इस पर सहमत नहीं है।
● रोहिंग्या मुद्दा: रोहिंग्या मुद्दा, जिसमें रोहिंग्याओं की म्यांमार में शांतिपूर्ण वापसी शामिल है जो राजनयिक परिदृश्य में जटिलता को बढ़ता है। बांग्लादेश म्यांमार को प्रभावित करने में भारत का सहयोग चाहता है जबकि म्यांमार जुंटा के साथ भारत के संबंध चिंता उत्पन्न करते हैं।
● सीमा पार आतंकवाद और घुसपैठ: सीमा पार आतंकवाद और घुसपैठ आंतरिक सुरक्षा के लिए अतिरिक्त चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं।
● भारत में बहुसंख्यकवादी ताकतों का उदय: भारत में बहुसंख्यकवादी ताकतों के उदय ने भी जटिलताएँ उत्पन्न की हैं। प्रधान मंत्री शेख हसीना ने मुसलमानों के खिलाफ हमलों और "अवैध" आप्रवासियों पर भारतीय नेताओं की टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त की है।
वैश्विक संबंध और भू-रणनीतिक विचार
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को वैश्विक संबंधों और भू-रणनीतिक विचारों द्वारा भी आकार दिया जाता है:
● संयुक्त राज्य अमेरिका: संयुक्त राज्य अमेरिका बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक साझेदार के रूप में देखता है। हालांकि हाल के वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका ने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की है। 2021 में, बिडेन प्रशासन ने मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए बांग्लादेशी अपराध-विरोधी और आतंकवाद-विरोधी टास्क फोर्स पर प्रतिबंध लगाए।
● चीन : चीन बांग्लादेश में एक प्रमुख आर्थिक और राजनीतिक भागीदार है। चीन ने बांग्लादेश में बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिसमें सड़क, रेल, और बिजली परियोजनाएं शामिल हैं। चीन बांग्लादेश में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है। यह क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने और भारत को चुनौती देने के लिए चीन की रणनीति का एक हिस्सा है। प्रधान मंत्री हसीना चीन के साथ अपनी साझेदारी में अपनी सरकार की सावधानी पर जोर देती हैं।
निष्कर्ष
● भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध एक जटिल और बहुआयामी संबंध है। दोनों देशों के बीच मजबूत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं जो उन्हें एक दूसरे के लिए प्राकृतिक भागीदार बनाते हैं। आर्थिक सहयोग भी बढ़ रहा है और भारत बांग्लादेश में बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण निवेश कर रहा है। हालांकि दोनों देशों के बीच कुछ विवादास्पद मुद्दे भी हैं। तीस्ता जल विवाद, रोहिंग्या मुद्दा और सीमा पार आतंकवाद ऐसे मुद्दे हैं जिनका समाधान किया जाना चाहिए।
● वैश्विक संबंध और भू-रणनीतिक विचार भी भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को प्रभावित करते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका बांग्लादेश में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में चिंतित है, जबकि चीन बांग्लादेश में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है।
● भविष्य के लिए, भारत और बांग्लादेश को इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए अपने संबंधों को विकसित करने की आवश्यकता है। दोनों देशों को विवादास्पद मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध रहने की आवश्यकता है और वैश्विक शक्तियों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।
संभावित प्रश्न यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए :
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Source – The Hindu