संदर्भ
वर्तमान शताब्दी में, हीटवेव्स पहले से कहीं अधिक धीमी गति से लेकिन अधिक समय तक चल रही हैं। इस घटना को ऊपरी वायुमंडल के वायु परिसंचरण पैटर्न में बदलाव, विशेष रूप से जेट स्ट्रीम के कमजोर होने से जोड़ा जा रहा है। ध्यातव्य है कि जेट स्ट्रीम पश्चिम से पूर्व की ओर संकीर्ण पट्टी में तेजी से चलने वाली वायु की धारा है। इसके कमजोर होने से हीटवेव्स का प्रभाव अधिक गंभीर हो गया है, जो भारत जैसे क्षेत्रों को अधिक तीव्रता से प्रभावित कर रही है। हाल ही में ‘साइंस एडवांस’ में प्रकाशित एक अध्ययन मे पाया गया कि यह प्रवृत्ति केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित कर रही है। इस अध्ययन से पता चला है कि हीटवेव्स की प्रकृति बदल रही है, जिसके परिणामस्वरूप गर्मी की अवधि अधिक लंबी और अत्यधिक तीव्र हो रही है।
हीटवेव्स के प्रभाव
हीटवेव्स का मनुष्य और पशु जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह वन्यजीवों के जोखिम को बढ़ाने के साथ फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं और स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करती हैं। यह समझने के लिए कि हीटवेव्स कैसे विकसित होती हैं, यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक वेई झांग और उनके सहयोगियों ने 1979 से 2020 तक के वैश्विक तापमान का विश्लेषण किया। उनके निष्कर्षों से पता चला है कि, औसतन, हीटवेव्स की गति प्रति दशक लगभग 8 किमी/दिन धीमी हो गई है और उनकी अवधि लगभग चार दिनों तक बढ़ गई है। ये बदलाव विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरेशिया में अधिक स्पष्ट दिखाई देते हैं। इसके अतिरिक्त, हीटवेव्स की आवृत्ति बढ़ गई है, रिपोर्ट से पता चला है कि 1979 और 1983 के बीच हीटवेव्स की लगभग 75 घटनाएँ हुई थी जबकि 2016 और 2020 के बीच लगभग 98 घटनाओं हुई हैं।
तापमान और परिसंचरण पैटर्न
हीटवेव्स को समझने के लिए दो प्रमुख घटकों का अध्ययन किया जाता हैं: ऊष्मागतिकी और वायुमंडलीय गतिशीलता। ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय की वायुमंडलीय वैज्ञानिक राचेल व्हाइट के अनुसार, ऊष्मागतिकी तापमान परिवर्तनों से संबंधित है—गर्म तापमान के कारण हीटवेव्स पैदा होती है। दूसरी ओर वायुमंडलीय गतिशीलता में वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न शामिल है जो हीटवेव्स का कारण बनते हैं। यद्यपि यह स्पष्ट है कि तापमान बढ़ रहा हैं, लेकिन अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि एक गर्म होते हुए विश्व में वायु परिसंचरण पैटर्न किस प्रकार परिवर्तित होंगें।
हीटवेव्स का संचलन
पिछले शोध में मुख्य रूप से हीटवेव्स की आवृत्ति और तीव्रता पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि, झांग और उनकी टीम ने स्थान और समय में हीटवेव्स के संचलन पर अलग दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने अत्यधिक उच्च तापमान वाली लगातार हीटवेव्स को उन घटनाओं के रूप में वर्गीकृत किया जो एक मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करती हैं और तीन दिनों से अधिक समय तक रहती हैं। इन विशाल गर्म हवा के ब्लॉब्स की ट्रैकिंग करके, उन्होंने इनके संचलन को समझने का प्रयास किया—हालांकि यह अध्ययन का एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है।
डॉ. व्हाइट इस दृष्टिकोण की सराहना करती हैं, क्योंकि यह हीटवेव्स के ऊष्मागतिक और गतिशील पहलुओं के बीच संबंध स्थापित करता है। उनका कहना है कि हीटवेव्स को एकल बिंदु पर तापमान परिवर्तनों के अनुसार देखने की तुलना में वस्तुओं के रूप में देखना अधिक व्यापक समझ प्रदान करता है, जो संचालित और प्रचारित होती हैं।
जेट स्ट्रीम की भूमिका
अध्ययन में यह भी देखा गया कि हीटवेव्स इतनी धीमी गति से क्यों संचालित होती हैं। शोधकर्ताओं ने ऊपरी वायुमंडलीय वायु परिसंचरण पैटर्न का विश्लेषण किया और पाया कि जेट स्ट्रीम विगत वर्षों में कमजोर हो गई है। जेट स्ट्रीम वायुमंडलीय तरंगों को प्रभावित करती है, जो कालांतर में पृथ्वी की सतह के तापमान को प्रभावित करती है। एक कमजोर जेट स्ट्रीम धीमी गति से चलने वाली वायुमंडलीय तरंगों में तब्दील हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक स्थायी मौसम की घटनाएं निर्मित होती हैं, जिसमें लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव्स शामिल हैं।
इस घटना में मानव गतिविधियों की भूमिका निर्धारित करने के लिए, शोधकर्ताओं ने 1979 से 2020 तक के तापमान डेटा का उपयोग किया। अध्ययन में मानव ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और मानवीय हस्तक्षेप के बिना परिदृश्यों की तुलना की और निष्कर्ष निकाला कि प्राकृतिक जलवायु परिवर्तनशीलता और घटनाएं हीटवेव्स को प्रभावित करती हैं, लेकिन मानव गतिविधि से उत्पन्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों ने हीटवेव्स को धीमा और लंबा बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
आगे का शोध और क्षेत्रीय अंतर
डॉ. व्हाइट सुझाव देती हैं कि भविष्य के शोध में हीटवेव्स की गतिशीलता में वायुमंडलीय वायु परिसंचरण पैटर्न की भूमिका को समझने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। समय के साथ हीटवेव्स में देश-विशिष्ट परिवर्तनों की जांच करना अधिक स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है। डॉ. झांग और उनकी टीम क्षेत्रीय हीटवेव्स के व्यवहार में अंतर की जांच करने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य बेहतर जलवायु अनुकूलन रणनीतियों का विकास करना है।
शमन रणनीतियाँ
शहरी क्षेत्रों में, हरित बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और अधिक पेड़ लगाना हीटवेव्स के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है। डॉ. झांग ने ऐसे प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, उन्होंने एनजीओ Tree Utah के साथ मिलकर समुदायों को पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने में शामिल किया है। वह यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी में जलवायु अनुकूलन विज्ञान पर अध्यापन भी करते हैं, जहां छात्र जलवायु अनुकूलन रणनीतियों को सीखते और लागू करते हैं, इसमें किसानों के साथ वैकल्पिक फसलों पर काम करना शामिल है।
निष्कर्ष
डॉ. झांग और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया अध्ययन इस बढ़ते प्रमाण का हिस्सा है कि जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं को बदल रहा है। यह रेखांकित करता है कि हीटवेव्स का व्यवहार कैसे बदल रहा है, जिसका दैनिक जीवन, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे हीटवेव्स अधिक बार, धीमी गति से और लंबे समय तक चलने वाली घटना मे परिवर्तित हो रही हैं, इन परिवर्तनों को समझना और अनुकूल बनाना, उनके प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह शोध प्रभावी अनुकूलन और शमन रणनीतियों को विकसित करने के लिए जलवायु परिवर्तन के ऊष्मागतिक और गतिशील दोनों पहलुओं को संबोधित करने के महत्व को उजागर करता है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न
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स्रोत - द हिन्दू