संदर्भ:
अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के सरकार के संकल्प के तहत 5 फरवरी, 2024 को अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) अधिनियम के प्रावधान लागू किए गए थे, ताकि देश की वृद्धि और विकास के केंद्र के रूप में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।
पृष्ठभूमि और प्रारंभिक आशाएं
2019 के राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) परियोजना रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि राज्य विश्वविद्यालयों में पहले से मौजूद उत्कृष्ट अनुसंधान केंद्रों को बढ़ाना ANRF की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। 2023 में, संसद के दोनों सदनों ने अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) विधेयक पारित किया, परिणामस्वरूप भारत के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान को बढ़ावा देने और सुविधा देने के लिए एक ऐतिहासिक शुरुआत हुई।
वैज्ञानिक समुदाय ने विधेयक का स्वागत किया और उम्मीद व्यक्त की कि ANRF भारतीय अकादमिक क्षेत्र को नौकरशाही से मुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देगी, साथ ही वित्तीय सहायता और उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर काम करने का अवसर पैदा होगा। ANRF का लक्ष्य विश्वविद्यालयों के अनुसंधान बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है, ध्यातव्य है कि भारत के 95% से अधिक छात्र राज्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ते हैं।
अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन अधिनियम 2023
अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन अधिनियम 2023 अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) की स्थापना का प्रावधान करता है। इस कानून में विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) का विघटन शामिल है, जिसे मूल रूप से 2008 में एक संसदीय अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था। इसके कार्यों को NRF में समेकित किया गया है। शीर्ष निकाय के रूप में, NRF का उद्देश्य अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता के लिए व्यापक रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करना है, जिसका उद्देश्य भारत के अनुसंधान बुनियादी ढांचे, ज्ञान अर्थव्यवस्था और वैज्ञानिक प्रगति की क्षमता को बढ़ाना है।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के कार्य
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का कार्य अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करना है, जिसमें प्राकृतिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य, कृषि और मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान के मध्य अंतर्संबंध को बढ़ावा देना शामिल हैं। इसके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
- संक्षिप्त, मध्यम और दीर्घकालिक अनुसंधान एवं विकास पहलों के लिए व्यापक रोडमैप विकसित करना।
- विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान तथा विकास के बुनियादी ढांचे के विस्तार को सुविधाजनक बनाना और वित्तपोषित करना।
- योग्य व्यक्तियों को प्रतिस्पर्धी, सहकर्मी-समीक्षित प्रस्तावों के माध्यम से वित्त अनुदान देना।
- प्रौद्योगिकी में अनुसंधान परिणामों के संक्रमण का समर्थन करना।
- महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और वैश्विक अनुसंधान क्षेत्रों में भारत की उपस्थिति और भागीदारी को मजबूत करना।
- निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को फाउंडेशन की पहलों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रगति, परिणाम और व्यय का वार्षिक आकलन करना।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) से संबंधित चिंताएं
उद्योग प्रतिनिधित्व की कमी
लगभग एक साल बाद, ANRF ने गलत आधार पर शुरुआत की है। हाल ही में, इसके 15-सदस्यीय शासी बोर्ड और 16-सदस्यीय कार्यकारी परिषद की घोषणा की गई, जिनमें से कोई भी उन संगठनों से नहीं है, जिन्हें ANRF द्वारा सहायता और सुविधा प्रदान करने की संकल्पना की थी। बोर्ड और कार्यकारी परिषद में किसी भी केंद्रीय या राज्य विश्वविद्यालय या कॉलेज के सदस्य नहीं हैं।
प्रतिनिधित्व में प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, सभी विज्ञान विभागों के सचिव (जैसे कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR), पृथ्वी विज्ञान, कृषि, स्वास्थ्य अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा, नई और नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी), उच्च शिक्षा, रक्षा अनुसंधान और विकास, भारतीय विज्ञान संस्थान और टाटा संस्थान के निदेशक, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष, प्रिंसटन गणित प्रोफेसर, एक विज्ञान प्रशासक और पूर्व निदेशक संयुक्त राज्य राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन और एक सिलिकॉन वैली सीरियल उद्यमी शामिल हैं।
स्थानीय स्तर के विशेषज्ञता की आवश्यकता
बोर्ड और परिषद में वह प्रतिनिधि नहीं हैं जो विश्वविद्यालयों के भीतर वर्तमान प्रणाली में व्याप्त बाधाओं को समझते हैं और जमीनी स्तर पर काम को कैसे पूरा किया जाए, इस बात की समझ रखते हैं। ANRF को कई समितियों से उत्पन्न होने वाली भ्रम से बचने की आवश्यकता है।
जमीनी स्तर पर रणनीतियों को तैयार करने और लागू करने के लिए एकल समिति बनाना महत्वपूर्ण है। समिति के सदस्यों के बीच जमीनी स्तर के ज्ञान और अनुभव पर जोर देने की आवश्यकता है। अनुसंधान समुदाय और हितधारकों को आश्वस्त करना चाहिए कि ANRF की निर्णय लेने की प्रक्रिया सूचित, सक्षम और समय पर होगी।
उद्योग प्रतिनिधित्व और विविधता की अपर्याप्तता
उद्योग प्रतिनिधित्व और विविधता की कमी एक प्रमुख समस्या है, विशेष रूप से जब ANRF अपने धन का 70% से अधिक गैर-सरकारी स्रोतों और उद्योग से जुटाने की योजना बना रहा है। एकमात्र उद्योग प्रतिनिधि, रोमेश टी. वाधवानी, एक भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी हैं, जो सिलिकॉन वैली, यू.एस. में स्थित हैं और एकमात्र महिला प्रतिनिधि DSIR की सचिव हैं। समिति में भारतीय उद्योग से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, देश से कोई उद्यमी नहीं है, और केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों से कोई प्रमुख शिक्षाविद नहीं हैं।
ANRF को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम
R&D की अल्प वित्त पोषण का समाधान
भारत में अनुसंधान और विकास को कम वित्तपोषित किया जाता है। अनुसंधान को बढ़ावा देने और भारतीय नवाचारों को वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए, ANRF को अनुसंधान और विकास बजट को GDP के 4% तक बढ़ाना चाहिए और वर्तमान वित्तपोषण प्रणाली में सुधार करना चाहिए।
पर्याप्त कर्मचारियों की आवश्यकता
ANRF को पर्याप्त कर्मचारियों की आवश्यकता है, एक मजबूत अनुदान प्रबंधन प्रणाली लागू करना, एक आंतरिक मानक सहकर्मी-समीक्षा प्रणाली के साथ समीक्षकों के लिए प्रोत्साहन, अनुसंधान अनुदान और छात्र छात्रवृत्तियों का समय पर वितरण सुनिश्चित करना एवं आवेदन और धन वितरण के बीच त्वरित समय (छह महीने से कम) होना चाहिए। इसके अलावा एक ऐसी प्रणाली जिसमें जिसमें दोनों ही वित्त पोषण निकाय और लाभार्थी संस्थानों में नौकरशाही बाधाएं न हों।
वित्त व्यय करने में लचीलापन
धन खर्च करने में लचीलापन होना चाहिए। बिना सरकार के सख्त सामान्य वित्तीय नियमों (GFR) का पालन करने और सरकार ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल का उपयोग किए बिना खरीदारी करने की अनुमति देना भी आवश्यक है।
विविध प्रतिनिधित्व
ANRF को किसी भी मौजूदा सरकारी विज्ञान विभाग की तरह नहीं चलना चाहिए। इसमें विश्वविद्यालयों से प्राकृतिक और सामाजिक वैज्ञानिकों का अधिक विविध प्रतिनिधित्व होना चाहिए साथ ही समिति में अधिक महिलाओं और युवा उद्यमियों का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित हो।
नये दृष्टिकोण की आवश्यकता
भविष्य के ANRF के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को उद्योग और अकादमिक दोनों पृष्ठभूमि से होना चाहिए। इन्हें ANRF के लिए वित्त जुटाने में सक्षम होना चाहिए और वैश्विक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को समझना चाहिए। एक पूरी तरह से सुधार की आवश्यकता है ताकि ANRF सिर्फ एक और सरकारी विभाग न बन जाए और भारतीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं शिक्षण के बीच सेतु का काम कर सके।
निष्कर्ष
अनुसंधान नेशनल रिसर्च अनुसंधान फाउंडेशन के वर्तमान शासी बोर्ड और कार्यकारी परिषद की संरचना से संकेत मिलता है कि यह सिर्फ एक और सरकारी विभाग बन सकता है, जब तक कि इसमें महत्वपूर्ण बदलाव न किए जाएं और आवश्यक विविध एवं व्यावहारिक विशेषज्ञता शामिल न की जाए।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न
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स्रोत: द हिंदू