संदर्भ:
2023 के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय की वर्षांत समीक्षा सीमा सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करती है, जिसमें रक्षा उत्पादन और निर्यात से लेकर प्रमुख अधिग्रहण और सीमा बुनियादी ढांचा तक शामिल है। विशेष रूप से विकसित हो रहे चीन-भारत संबंधों की पृष्ठभूमि और साझा सीमा पर सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की रणनीतिक अनिवार्यता के बीच सीमा बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण हो गया है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
● सीमा बुनियादी ढांचे पर बढ़ता फोकस चीन-भारत संबंधों के ऐतिहासिक संदर्भ और चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति में निहित है। वहीं 2020 की वर्षांत समीक्षा ने विशेष रूप से गलवान झड़प के बाद चीन के आक्रामक व्यवहार पर जोर दिया था तथा बाद की समीक्षाओं ने अधिक सामान्य दृष्टिकोण अपनाया जो भारतीय रक्षा मंत्रालय के भीतर प्रमुख विकास के व्यापक मूल्यांकन को दर्शाता है।
सैन्य असंतुलन और अवसंरचनात्मक विकास की दौड़:
● भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक जटिल मुद्दा है जो पिछले कई दशकों से दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बना हुआ है। हाल के वर्षों में, चीन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने सैन्य और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है जिससे भारत के लिए चिंता उत्पन्न हुई है।
● समीक्षा में भारत और चीन के बीच एक उल्लेखनीय सैन्य असंतुलन को स्वीकार किया गया है। चीन के पास भारत की तुलना में अधिक रक्षा प्लेटफॉर्म, सैन्य इकाइयाँ और भौतिक बुनियादी ढांचा है। चीन ने सीमा और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे में व्यापक निवेश किया है, जिससे उन्हें सैन्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण लाभ हुआ है। तिब्बत में विशाल सड़क नेटवर्क रेल संपर्क, सीमा पर तेल और रसद डिपो चीन के रणनीतिक लचीलेपन में योगदान करते हैं, जिससे भारत को नुकसान होता है।
भारतीय अवसंरचना का विकास:
अनुमानित अवसंरचना अंतराल के प्रतिउत्तर में, भारत ने अपने सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने के प्रयासों को तेज कर दिया है। 2023 की समीक्षा में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारतीय रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के नेतृत्व में कुल 118 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को निर्मित किया है । ये परियोजनाएं पूरे देश में फैली हुई हैं, लेकिन इनमें से बहुत-सी भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और नागालैंड शामिल हैं।
परियोजनाएँ और पहलें :
● बहुआयामी दृष्टिकोण: बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का विस्तृत मूल्यांकन एक बहुआयामी दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसमें सुरंगों, हवाई क्षेत्रों, हेलीपैड, सड़कों और पुलों का निर्माण शामिल है। यह दृष्टिकोण भारत-चीन सीमा क्षेत्र में रणनीतिक कनेक्टिविटी और रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की आवश्यकता को पूरा करता है।
○ सुरंग निर्माण: बीआरओ के अधीन 20 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से 10 निर्माणाधीन हैं और 10 योजना चरण में हैं। सुरंगों का निर्माण सभी मौसमों में कनेक्टिविटी और रणनीतिक गतिशीलता प्रदान करेगा, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है।
■ उदाहरण:
● अरुणाचल प्रदेश: नेचिफू सुरंग (पूर्वोत्तर भारत में सबसे लंबी सुरंग)
● जम्मू-कश्मीर: रक्नी-उस्ताद-फरकियान गली सड़क (रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण काराकोरम रेंज को पार करती है)
● अरुणाचल प्रदेश: बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड (तवांग शहर को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करती है)
○ सड़क विकास: समीक्षा में सड़क विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की रूपरेखा दी गई है, वर्ष के दौरान 601 किलोमीटर सड़कें निर्मित की गईं हैं ।
■ फोकस : उत्तरी सीमाओं पर महत्वपूर्ण सड़कों पर फोकस किया जा रहा है जैसे कि निमू-पदम दारचा रोड (लद्दाख में), गुंजी-कुट्टी-जोलिंगकोंग रोड (हिमाचल प्रदेश में) और बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड (अरुणाचल प्रदेश में)।
■ विकासशील परियोजनाएं: रक्नी-उस्ताद-फरकियान गली सड़क और श्रीनगर-बारामूला-उरी सड़क, जो प्रमुख कनेक्टिविटी चुनौतियों का समाधान कर रही हैं।
○ सुरंगें और पुल: बुनियादी ढांचे की पहल में सुरंगों और पुलों का निर्माण शामिल है, जो दुर्गम इलाकों में गतिशीलता और कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं।
■ उल्लेखनीय परियोजनाएं:
● लद्दाख: निमू-पदम-दारचा रोड पर शिंकू ला सुरंग (दुनिया की सबसे ऊंची मोटर वाहन सुरंग)
● अरुणाचल प्रदेश: सेला सुरंग (पूर्वी हिमालय में सबसे लंबी सुरंग)
● जम्मू-कश्मीर: कंडी सुरंग (चीन सीमा के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण)
■ लाभ: यह विकास हर मौसम में कनेक्टिविटी, रणनीतिक गतिशीलता और सैन्य तैनाती में सुधार करेगा ।
○ टेलीमेडिसिन और तकनीकी एकीकरण: सरकार का लक्ष्य भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ तकनीकी प्रगति को भी प्रोत्साहन देना है ।
■ प्रमुख पहल:
● लद्दाख और मिजोरम में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए तीन टेलीमेडिसिन नोड्स की स्थापना की गई है ।
● बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है ।
■ प्रभाव: इससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में वृद्धि के साथ परियोजनाओं का समयबद्ध और कुशल संचालन किया जा रहा है ।
● वित्तीय आवंटन और बजट: बुनियादी ढांचे के विकास के रणनीतिक महत्व को समझते हुए, बीआरओ का बजट वित्त वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 12,340 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह पिछले दो वर्षों में आवंटित धन में 100% की वृद्धि को दर्शाता है । यह पर्याप्त वित्तीय बढ़ोतरी बुनियादी ढांचे के अंतराल को दूर करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
द्विपक्षीय तनाव के बीच रणनीतिक अनिवार्यता:
सीमावर्ती बुनियादी ढांचे पर बढ़ा हुआ फोकस चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने की अनिवार्यता के साथ सम्बद्ध है। 2020 में गलवान संघर्ष के बाद से बुनियादी ढांचे के विकास को तेज करने के लिए ठोस प्रयास किए गए है, जिससे सैनिकों और सैन्य आपूर्ति को सीमा के निकट तैनात किया जा सके। यह बदलाव बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत के ऐतिहासिक रक्षात्मक दृष्टिकोण से हटकर है।
चीन के बुनियादी ढांचे के साथ तुलना:
यद्यपि भारत के प्रयास सराहनीय हैं परंतु चीन के दो दशक लंबे प्रयासों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण मौजूदा असमानताओं को प्रकट करता है। तिब्बत और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में चीन द्वारा आधुनिक सड़क और रेल नेटवर्क का विकास रणनीतिक प्रभुत्व के लिए एक मिसाल कायम करता है। भारत के हालिया प्रयास एक महत्वपूर्ण कदम हैं, लेकिन मौजूदा अंतर को पूरी तरह से पाटने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
2023 के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय की वर्षांत समीक्षा, अपने रणनीतिक सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए राष्ट्र के प्रयासों का विस्तृत विवरण प्रदान करती है। बदलते भारत-चीन संबंधों की पृष्ठभूमि में, ये प्रयास ऐतिहासिक असंतुलन को दूर करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण का संकेत देते हैं। यद्यपि भारत ने इस क्षेत्र मे प्रगति की है परंतु चीन की बुनियादी ढांचा क्षमताओं के साथ समानता प्राप्त करने के लिए अभी लंबा सफर तय करना है। सड़क विकास, सुरंगों, पुलों और तकनीकी एकीकरण को शामिल करने वाली व्यापक रणनीति राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
Source- ORF