तारीख (Date): 09-09-2023
प्रासंगिकता: जीएस पेपर 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध - द्विपक्षीय संबंध
की-वर्ड: भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी, इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (आईओआरए), क्वाड, ऑकस, चिप 4 एलायंस
सन्दर्भ:
- इस वर्ष अगस्त में संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और कोरिया गणराज्य (आरओके) के नेताओं के मध्य होने वाला ऐतिहासिक कैंप डेविड शिखर सम्मेलन तीन पारंपरिक सहयोगियों के बीच रणनीतिक साझेदारी की नई शुरुआत का प्रतीक है।
- साथ ही भारत और कोरिया गणराज्य अपने राजनयिक संबंधों के 50वें वर्ष का उत्सव मना रहे हैं, यह आयोजन भारत के लिए दक्षिण कोरिया के साथ अपने रणनीतिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करने का एक विशेष अवसर प्रस्तुत करता है, विशेष रूप से भारत-प्रशांत के संदर्भ में।
- कोरिया गणराज्य, जापान और अमेरिका के साथ, भारत इंडो-पैसिफिक रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखता है। यद्यपि, पूर्वी एशिया में हाल के भू-राजनीतिक बदलावों के व्यापक ढांचे के भीतर भारत-आरओके (United States, Japan, and the Republic of Korea -ROK) रणनीतिक साझेदारी को देखना आवश्यक है। यहां, हम इस विकसित हो रही गतिशीलता के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हैं।
कोरिया गणराज्य के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध
- राजनीतिक आयाम: मई 2015 में, द्विपक्षीय संबंध को "विशेष रणनीतिक साझेदारी" का दर्जा दिया गया था। भारत दक्षिण कोरिया की दक्षिणी नीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो अपने निकट पड़ोस के क्षेत्र से परे संबंधों का विस्तार करना चाहता है। इसके विपरीत, दक्षिण कोरिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति में एक प्रमुख सहयोगी है, जो एशिया-प्रशांत देशों के साथ आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित है।
- आर्थिक पहलू: भारत और दक्षिण कोरिया ने 2030 तक के लिए 50 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य निर्धारित किया है। दोनों देशों ने 2010 में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किये थे, जिससे व्यापार संबंधों के विकास को सुविधाजनक बनाया गया। भारत ने दक्षिण कोरिया से निवेश को बढ़ावा देने, कोरियाई निवेशकों का मार्गदर्शन और समर्थन करने के लिए 'इन्वेस्ट इंडिया' के तहत एक "कोरिया प्लस" सुविधा सेल की स्थापना की है।
- सांस्कृतिक संबंध: कोरियाई बौद्ध भिक्षु ह्येचो, जिसे होंग जिओ के नाम से भी जाना जाता है, ने 723 से 729 ईस्वी तक भारत की यात्रा की थी और उन्होंने अपने यात्रा वृतांत "भारत के पांच राज्यों की तीर्थयात्रा" में अपनी यात्रा का वर्णन किया, जो भारतीय संस्कृति, राजनीति और समाज में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर ने 1929 में कोरिया के समृद्ध इतिहास और इसके आशाजनक भविष्य का उत्सव मनाते हुए 'लैंप ऑफ द ईस्ट' नामक एक संक्षिप्त लेकिन विचारोत्तेजक कविता लिखी थी।
चुनौतियां
- सीमित व्यापारिक जुड़ाव: हाल के वर्षों में, भारत और दक्षिण कोरिया के बीच आर्थिक संबंधों को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। दोनों देशों के बीच व्यापार की गति मंद रही है और भारत में पर्याप्त दक्षिण कोरियाई निवेश की कमी रही है।
- दक्षिण कोरिया में भारतीय समुदाय: स्थानीय दक्षिण कोरियाई आबादी में भारतीयों का समावेश अधूरा है, कभी-कभी भारतीयों के खिलाफ नस्लीय पूर्वाग्रह या भेदभाव के मामले सामने आते हैं।
- कोरियाई संस्कृति की सीमित समझ: कुछ मामलों में, भारतीयों को दक्षिण कोरियाई लोगों की सांस्कृतिक और सामाजिक विशेषताओं और जापानी या चीनी लोगों की सांस्कृतिक और सामाजिक विशेषताओं के बीच अंतर करने के दुविधा का सामना करना पड़ता है।
- कम उपयोग किए गए सांस्कृतिक केंद्र: यद्यपि पारस्परिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय संस्कृति केंद्र (आईसीसी) की स्थापना सियोल में की गई थी परन्तु सियोल में शहरी, अंग्रेजी बोलने वाले अभिजात वर्ग से परे, अधिक व्यापक दर्शकों तक पहुंचने के लिए इसकी क्षमता का विस्तार करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार भारत में दक्षिण कोरियाई सांस्कृतिक केंद्रों के विस्तार की भी आवश्यकता है ।
कैम्प डेविड शिखर सम्मेलन का महत्व:
- दक्षिण कोरिया-जापान-यू.एस. की कैंप डेविड में त्रिपक्षीय बैठक इस क्षेत्र में काफी महत्व रखती है। सबसे पहले, यह सियोल-टोक्यो संबंधों में एक रणनीतिक सुधार का प्रतीक है, जो बदलते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया के अनुरूप है। यह विकास, AUKUS, क्वाड और CHIP 4 एलायंस जैसी पहलों के संयोजन में, पूर्वी एशिया में एक मजबूत अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन ढांचे की क्षमता को प्रदर्शित करता है, जो अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की बहुध्रुवीय प्रकृति के अनुकूल है।
- कैंप डेविड शिखर सम्मेलन हर कीमत पर चीन के आक्रमण से बचने के दक्षिण कोरिया के पारंपरिक दृष्टिकोण में एक रणनीतिक बदलाव का भी संकेत देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि नया प्रशासन बदलती सुरक्षा गतिशीलता को स्वीकार करता है और बीजिंग के साथ पर्याप्त व्यापार संबंधों के बावजूद, चीन की चुनौती से निपटने में कम मितभाषी (reticent) है।
- इसके अलावा, कोरिया गणराज्य की क्वाड समूह में शामिल होने की इच्छा बढ़ रही है, जो भारत के हितों के अनुरूप है। जापान के साथ ऐतिहासिक तनाव को देखते हुए, क्वाड में शामिल होने की दक्षिण कोरिया की आकांक्षाओं को सतर्क रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। यद्यपि, कैंप डेविड शिखर सम्मेलन ने क्वाड प्लस सदस्यता के लिए दक्षिण कोरिया के संभावित आवेदन का मार्ग प्रशस्त किया है।
सियोल की विदेश नीति:
- राष्ट्रपति यून सुक येओल की दक्षिण कोरिया को "वैश्विक निर्णायक राज्य" बनाने की प्रतिबद्धता सियोल में विदेश नीति के प्रति नए उत्साह का संकेत देती है। इस नए दृष्टिकोण में अमेरिका और जापान के साथ जुड़ाव, यूक्रेन के लिए समर्थन, चीन की चुनौती को स्वीकार करना और इंडो-पैसिफिक में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की इच्छा शामिल है।
कोरिया गणराज्य भारत के लिए एक स्वाभाविक भागीदार के रूप में:
वर्तमान, भू-राजनीतिक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए,राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ भारत और कोरिया गणराज्य द्वारा अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है । साथ ही ऐसे कई कारक हैं जो ROK को भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत का स्वाभाविक भागीदार बनाते हैं:
- इंडो-पैसिफिक में कोरिया गणराज्य की स्थिति, चीन से इसकी निकटता और अमेरिकी सहयोगी के रूप में इसकी भूमिका इसे समान विचारधारा वाला भारत का एक आदर्श रणनीतिक भागीदार बनाती है।
- दोनों देश चीन के उदय और एशियाई सुरक्षा परिदृश्य को नया आकार देने के उसके एकतरफा प्रयासों से चिंतित हैं।
- अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती निकटता और चीनी उद्देश्यों के विषय में बढ़ती चिंताएं ROK के साथ भारत के सहयोग को और मजबूत करती हैं।
सहयोग के क्षेत्र:
ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें भारत और कोरिया अपनी साझेदारी को मजबूत कर सकते हैं:
- राजनीतिक और राजनयिक जुड़ाव: दोनों देशों को विदेश मंत्रियों के स्तर पर वार्षिक शिखर सम्मेलन और 2+2 संवाद स्थापित करने पर विचार करना चाहिए। नेताओं की पारस्परिक यात्राओं से संबंध और गहरे हो सकते हैं।
- प्रौद्योगिकी पहल: दक्षिण कोरिया-जापान-भारत-अमेरिका समझौते पर बातचीत की संभावना खोजनी चाहिए। दोनों देशों को भारत-अमेरिका के समान क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी आईसीईटी समझौता (iCET) करने पर विचार करना चाहिए।
- रक्षा सहयोग: इस क्षेत्र में दोनों देशों को "मेक इन इंडिया" ढांचे के भीतर भारत की रक्षा जरूरतों में योगदान करने की आरओके की इच्छा का लाभ उठाना चाहिए। K9 वज्र, एक 155 मिमी स्व-चालित होवित्जर, जिसे L&T द्वारा दक्षिण कोरिया की हनवा डिफेंस की तकनीक से बनाया गया है, इस संबंध में एक उदाहरण है। दक्षिण कोरिया में निर्मित K2 ब्लैक पैंथर टैंक का भारतीय सेना या तीसरे देशों के लिए भारत में सह-उत्पादन भी किया जा सकता है।
- परमाणु ऊर्जा: सहयोग का एक अन्य क्षेत्र कोरियाई निर्मित नागरिक परमाणु रिएक्टरों के संदर्भ में हो सकता है। भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौता, भारत-अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) सुरक्षा उपाय समझौता, और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) छूट समझौते के बाद भी भारत अपने परमाणु दायित्व कानून और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं की कठिनाइयों के कारण किसी भी परमाणु रिएक्टर का आयात करने में सक्षम नहीं है। स्वच्छ ऊर्जा के लिए भारत की बढ़ती आवश्यकता और संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और मध्य यूरोपीय राज्यों को सस्ते और तेज परमाणु रिएक्टरों की आपूर्ति में सियोल की उल्लेखनीय भूमिका को देखते हुए, नई दिल्ली कोरियाई निर्मित रिएक्टरों को खरीदने पर विचार कर सकती है ताकि परमाणु उर्जा की हिस्सेदारी का विस्तार किया जा सके।
निष्कर्ष:
- आरओके के नए रणनीतिक अभिविन्यास और अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ इसके विश्वसनीय सम्बन्धों के चलते , भारत के पास इंडो-पैसिफिक में अपने हितों को आगे बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर है। दक्षिण कोरिया-जापान-अमेरिका की त्रिपक्षीय बैठक भारत-आरओके रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की क्षमता को रेखांकित करती है। इस अवसर का लाभ उठाकर तेजी से विकसित हो रहे हिंद-प्रशांत परिदृश्य में भारत-दक्षिण कोरिया के बीच सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
- भारत की जी-20 की अध्यक्षता वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को दूर करने के प्रयासों को संरेखित करते हुए, दक्षिण कोरिया के साथ सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) में दक्षिण कोरिया की भूमिका समुद्री मुद्दों पर भविष्य-केंद्रित क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करती है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-
- प्रश्न 1. भारत और दक्षिण कोरिया विभिन्न क्षेत्रों में अपनी द्विपक्षीय साझेदारी बढ़ा सकते हैं, विशेष रूप से रक्षा सहयोग और स्वच्छ ऊर्जा के संदर्भ में, आपसी सहयोग के क्षेत्रों का उल्लेख कीजिये (10 अंक, 150 शब्द)
- प्रश्न 2. संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच हालिया कैंप डेविड शिखर सम्मेलन ने पूर्वी एशिया में रणनीतिक गतिशीलता को कैसे प्रभावित किया है, और यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण कोरिया के साथ भारत की भागीदारी के लिए क्या संभावित अवसर उत्पन्न करता है? (15 अंक, 250 शब्द)
Source - The Hindu