होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 24 Apr 2024

स्टार प्रचारकः भारत का चुनावी परिदृश्य और शासनात्मक सुधार - डेली न्यूज़ एनालिसिस

image

संदर्भ:

  • भारतीय राजनीति के स्पंदनशील क्षेत्र में, स्टार प्रचारकों की भूमिका जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही यह विवादास्पद है। ये हाई-प्रोफाइल हस्तियां, जो अक्सर अपने-अपने दलों के भीतर प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले होते हैं, मतदाताओं की भावनाओं को आकर्षित करने के लिए अपने प्रभाव और संसाधनों का उपयोग करते हुए चुनावी परिदृश्य को प्रभावित करते हैं। हालाँकि, उनकी गतिविधियाँ एक उचित विनियमन के बिना अधूरी हैं, जैसा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act), 1951 द्वारा चित्रित किया गया है। यह विधायी आधारशिला उन मापदंडों को स्थापित करती है, जिनके तहत ये स्टार प्रचारक काम करते हैं, अपने अनुमेय व्यय को निर्धारित करते हैं और निरीक्षण तथा जवाबदेही के लिए स्वयं को तैयार रखते हैं।

स्टार प्रचारकों को नियंत्रित करने वाले कानूनी प्रावधान:

  •  लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 77, राजनितिक दलों द्वारा स्टार प्रचारकों के लिए, किए गए अनुमेय खर्चों की रूपरेखा को निर्धारित करती है। अपने दलों द्वारा नामित, स्टार प्रचारक, चाहे वे शीर्ष स्तर के नेता हों या सेलिब्रिटी समर्थक, चुनावी कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, उनकी नियुक्ति या उनका चयन बाधा रहित नहीं है, मान्यता प्राप्त दल अधिकतम 40 स्टार प्रचारकों की नियुक्ति कर सकते हैं, जबकि गैर-पंजीकृत संस्थाएं 20 स्टार प्रचारकों की नियुक्ति कर सकते हैं। इसके अलावा, राजनीतिक दलों द्वारा पारदर्शिता और प्रक्रियात्मक पालन सुनिश्चित करने हेतु; चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी को स्टार प्रचारकों की लिस्ट प्रस्तुत करने के लिए कड़ी समय-सीमा निर्धारित की जाती है।
  •  इन स्टार प्रचारकों को मिलने वाले लाभ, लोक प्रतिनिधित्व में उल्लिखित प्रावधानों में निहित हैं। विशेष रूप से, उनके अभियान से संबंधित यात्रा खर्च, चाहे हवाई या वैकल्पिक किसी भी माध्यम से किये जा रहे हों। हालाँकि ये सभी खर्च व्यक्तिगत उम्मीदवारों के व्यय सीमा से मुक्त हैं। यह छूट, जन साधारण तक पहुँच बनाने के प्रयासों को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ दलगत राजनीति और चुनावी वित्त के बीच सूक्ष्म अंतःक्रिया को रेखांकित करती है। फिर भी, एक सीमा निर्धारित हैः यदि कोई स्टार प्रचारक सीधे किसी उम्मीदवार के लिए वोट मांगता है या उनके साथ एक मंच साझा करता है, तो इस प्रकार के खर्च उम्मीदवार के चुनाव खाते से लिया जाता है, इस प्रकार के छूट उम्मीदवार को प्राप्त नहीं हैं।

चुनौतियां और नियामक अनिवार्यताएं:

  • इस समय चुनाव प्रचार की गतिमान प्रवृति के सन्दर्भ में, चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों द्वारा अक्सर की जाने वाली आक्रामक बयानबाजी को शांत करने के उद्देश्य से कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुद्दा-आधारित प्रचार भाषण की अनिवार्यता पर जोर देते हुए, ये निर्देश पक्षपातपूर्ण विवादों से परे चुनावी नैतिकता को बनाए रखने का प्रयास करते हैं। हालांकि, इस तरह के हस्तक्षेपों के बावजूद, आज भी अक्सर उग्र भाषा और भड़काऊ बयानबाजी के कई उदाहरण देखने को मिल जाते हैं, जो राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच शिष्टाचार बनाए रखने की स्थायी चुनौती को रेखांकित करते हैं।
  • उक्त सन्दर्भ में न्यायपालिका भी स्टार प्रचारक सम्बंधित समस्याओं और नियामक प्राधिकरण की सीमाओं पर निर्णय लेते हुए इस दलदल में फंसी हुई है। जनवरी 2020 में एक ऐतिहासिक फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने संस्थागत विशेषाधिकारों और न्यायिक निरीक्षण के बीच के संतुलन को उजागर करते हुए, कांग्रेस दल के स्टार प्रचारक के दर्जे को रद्द करने के चुनाव आयोग के फैसले को निरस्त करने के लिए हस्तक्षेप किया। हालांकि, इस न्यायिक सक्रियता ने अभियान के खर्चों को कम करने के बारहमासी मुद्दे को हल नहीं किया है और यह एक प्रणालीगत दोष है जो चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को कमजोर करता है।

सुधार अनिवार्यताएं और भविष्य की संभावनाएं :

  • विभिन्न कानूनी खामियों और नियामक चुनौतियों के कारण स्टार प्रचारकों को नियंत्रित करने वाले मौजूदा ढांचे के पुनर्गठन की आवश्यकता है। व्याप्त कदाचार और भ्रष्टाचार के मामलों में स्टार प्रचारक का दर्जा रद्द करने के अधिकार के साथ, चुनाव आयोग को सशक्त बनाना चुनावी जवाबदेही को सशक्त  करने की दिशा में एक व्यावहारिक प्रयास है। आदर्श आचार संहिता के पालन के लिए अभियान व्यय जैसे वित्तीय राहत को जोड़कर, यह प्रस्ताव अधिक पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
  • उपर्युक्त के अलावा, इस समय चुनावी क्षितिज पर व्यय मूल्यांकन तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। वित्तीय एवं अन्य रिपोर्टिंग जैसी व्यापक क्रियाकलापों पर अंकुश लगाने के लिए मूल्यांकन आधारित मजबूत कार्यप्रणाली को अपनाना, जो प्रचलित बाजार दरों को दर्शाता है, अनिवार्य है। इस तरह के उपाय, हालांकि स्पष्ट रूप से नौकरशाही प्रवृति के हैं, तथापि भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार की पवित्रता की रक्षा के लिए अपरिहार्य हैं।

निष्कर्ष:

  • भारत की चुनावी राजनीति में स्टार प्रचारकों की गाथा साज़िश और जटिलता से भरी हुई है। अपनी-अपनी पार्टियों के लिए मानक-वाहक के रूप में, ये दिग्गज राजनीतिक औचित्य और नैतिक अनिवार्यताओं के बीच एक सूक्ष्म रेखा खींचते हैं। हालाँकि, उनकी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला नियामक परिदृश्य चुनौतियों से भरा हुआ है, जिससे निरीक्षण तंत्र को मजबूत करने और चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शिता के साथ जोड़ने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता होती है। विवेकपूर्ण सुधारों और संस्थागत प्रयासों के माध्यम से, भारत चुनावी राजनीति की भूलभुलैया से निकल सकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि मतदाताओं की आवाज लम्बे समय तक स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ गूंजती है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1.  भारत के चुनावी परिदृश्य में स्टार प्रचारकों को नियंत्रित करने वाले कानूनी प्रावधानों और नियामक ढांचे पर चर्चा करें, उनकी भूमिकाओं, अनुमेय व्यय और निगरानी के तंत्र पर प्रकाश डालें। चुनावी अखंडता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में इन प्रावधानों की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करें। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारतीय चुनावों में स्टार प्रचारकों की गतिविधियों से जुड़ी चुनौतियों और नियामक अनिवार्यताओं का विश्लेषण करें। प्रासंगिक न्यायिक और नियामक हस्तक्षेपों का हवाला देते हुए, चुनावी प्रक्रिया में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मौजूदा ढांचे में सुधार के प्रस्तावों की आलोचनात्मक जांच करें। (15 अंक, 250 शब्द)

 

स्रोत: The Hindu