संदर्भ
2023 में, पश्चिम एशिया-उत्तरी अफ्रीका (वाना) में सबसे गंभीर मानवीय संकट, सूडान से उभरा है। इसके अंतर्गत दो गुटों ने काफी क्रूर संघर्ष किया हैं जिसमें शामिल है –
- जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान के नेतृत्व में सूडान सशस्त्र बलों (एसएएफ)।
- हेमायती ("माई प्रोटेक्टर") के नाम से मशहूर जनरल मोहम्मद हमदान डागालो के नेतृत्व में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ)।
इस संघर्ष में अनुमान अलग-अलग लगाया जा रहा हैं, लेकिन स्थिति काफी भयावह प्रतीत हो रहा है यथा 150,000 से ज़्यादा लोगों के मारे जाने के अनुमान हैं। इसके साथ ही 10 मिलियन लोग - सूडान की आबादी का लगभग पाँचवाँ हिस्सा - विस्थापित हो गए हैं, और 2.5 मिलियन लोग देश छोड़कर भाग गए हैं। ये संख्याएँ गाजा की तुलना में लगभग चार गुना ज़्यादा हैं। विडंबना है कि कभी नील नदी पर आधारित कृषि अर्थव्यवस्था और खाद्य निर्यात के लिए मशहूर सूडान अब भयंकर अकाल के कगार पर है और हैजा जैसी बीमारियों के प्रकोप का सामना कर रहा है।
संघर्ष का इतिहास
ऐतिहासिक संदर्भ
- सूडान, एक बड़ा और बहु-जातीय देश है, जिसका नागरिक संघर्ष और कुशासन का एक लंबा इतिहास रहा है।
- 1956 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से, सूडान ने 15 सैन्य तख्तापलट और दो गृह युद्धों का अनुभव किया है, जिसके परिणामस्वरूप 1.5 मिलियन मौतें हुईं और 2011 में दक्षिण सूडान, सूडान से अलग हो गया।
- पिछले दो दशकों से, दारफ़ुर क्षेत्र संघर्ष में उलझा हुआ है, जो मुख्य रूप से स्थानीय गैर-अरब मुसलमानों के खिलाफ जंजावीद मिलिशिया (RSF का अग्रदूत) द्वारा संचालित है, जिसके कारण 200,000 से अधिक लोगों की मौत हुई और दो मिलियन लोग विस्थापित हुए।
वर्तमान संकट की उत्पत्ति
- वर्तमान संकट तानाशाह उमर हसन अल-बशीर के 30 साल के निरंकुश शासन से जुड़ा है, जिसे व्यापक विरोध के बाद अप्रैल 2019 में एक सैन्य तख्तापलट में उखाड़ फेंका गया था।
- संक्रमणकालीन सैन्य परिषद ने एक संयुक्त सैन्य-नागरिक संप्रभु परिषद बनाने और नागरिक समूहों के साथ रूपरेखा का समझौता करते हुए एक नए संविधान का मसौदा तैयार करने का प्रयास किया।
- यह व्यवस्था दो साल बाद लड़खड़ा गई, जिसके कारण अक्टूबर 2021 में एक और सैन्य तख्तापलट हुआ, जिसने जनरल अल-बुरहान को सत्ता में ला दिया।
- यद्यपि सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण सत्ता-साझाकरण ढांचे को पुनर्जीवित किया गया, लेकिन अंतोगत्वा यह स्थिति को स्थिर करने में विफल रहा।
संघर्ष की गतिशीलता
- RSF ने दिसंबर 2022 के एक मसौदा को अस्वीकार कर दिया जिसमे सूडानी सेना एकीकरण का प्रस्ताव था, जिससे संघर्ष और भी बढ़ गया।
- 15 अप्रैल, 2023 को, SAF (लगभग 300,000 सैनिकों के साथ) और RSF (लगभग 100,000 लड़ाकों के साथ) के बीच सशस्त्र संघर्ष छिड़ गया।
- गौर से देखने पर प्रतीत होता है कि संघर्ष वैचारिक या जातीय मुद्दों के बजाय दो सरदारों की महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है, यथा चल रहे संघर्ष ने नागरिक शासन स्थापित करने के मूल लक्ष्य को पीछे छोड़ दिया है।
वर्तमान स्थिति
- पिछले 16 महीनों से, सूडान के अधिकांश हिस्से में गृहयुद्ध चल रहा है, जो भारत के आकार का लगभग दो-तिहाई है।
- अपने बड़े आकार और वायु सेना के बावजूद, SAF ने संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष किया है, जिसके परिणामत: खार्तूम से पोर्ट सूडान में SAF को स्थानांतरित होना पड़ा है। साथ ही आरएसएफ को सूडान के दक्षिण-मध्य क्षेत्र में कुछ सफलता भी मिली है।
विदेशी हित और भू-रणनीतिक भागीदारी
सामरिक महत्व:
सूडान सात देशों के साथ सीमा साझा करने वाला, लाल सागर तट से मिलने वाला, साथ ही कच्चे तेल, सोने और उपजाऊ भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों के कारण एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक और आर्थिक संपत्ति वाला देश बन जाता है।
प्रतिस्पर्धी हित:
- मिस्र: ईरान के साथ अपनी प्रतिद्वंद्विता के बावजूद सूडान सशस्त्र बलों (एसएएफ) का समर्थन करता है।
- ईरान: एसएएफ के विरोधियों, रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) का समर्थन करता है।
- रूस: वैगनर समूह आरएसएफ का समर्थन करता है, जबकि क्रेमलिन ने पोर्ट सूडान में एक नौसैनिक अड्डे के लिए एसएएफ की पैरवी की है।
- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई): आरएसएफ को महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान करता है।
- भाड़े के सैनिक: दक्षिण सूडान, रूस और यूक्रेन के लड़ाके संघर्ष में शामिल हो गए हैं, जो मुख्य रूप से आरएसएफ का समर्थन कर रहे हैं।
- इथियोपिया और इरिट्रिया: स्थिति को प्रभावित करने के अवसरों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और प्रयास
- कूटनीतिक प्रयास: सऊदी अरब, अमेरिका, विकास पर अंतर-सरकारी प्राधिकरण (IGAD) और अफ्रीकी संघ ने युद्ध विराम कराने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक यह प्रयास असफल रहे हैं।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: संघर्ष पर प्रस्ताव पारित करने में लगभग 11 महीने लग गए, जिसे काफी देर माना जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC): सूडान में युद्ध अपराधों की कुछ प्रारंभिक जांच शुरू की है।
- हाल की शांति वार्ता: पिछले महीने जिनेवा में अमेरिका द्वारा प्रायोजित वार्ता की शुरुआत खराब रही, जिसमें यूएई की भागीदारी पर आपत्तियों के कारण SAF ने इसका बहिष्कार किया। 23 अगस्त को संपन्न हुई वार्ता में युद्ध विराम नहीं लग सका, लेकिन तीन मानवीय राहत गलियारे खोलने के लिए एक समझौता हुआ।
सूडान में भारतीय हिस्सेदारी
व्यापार संबंध:
- भारत के साथ रिकॉर्ड व्यापार: 2022-23 में, सूडान के साथ भारत का प्रत्यक्ष व्यापार रिकॉर्ड 2.034 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें भारत के पक्ष में 9:1 का अनुकूल व्यापार अनुपात था, जिसमें चीनी और पेट्रोलियम उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- अप्रत्यक्ष निर्यात: भारत को यूएई और सऊदी अरब के माध्यम से सूडान को पर्याप्त अप्रत्यक्ष निर्यात से भी लाभ होता है।
निवेश और प्रतिबद्धताएँ
- प्रमुख निवेश: 2003 में, भारत ने सूडान के अपस्ट्रीम क्षेत्र में अपना पहला महत्वपूर्ण विदेशी निवेश किया, जो लगभग 2.3 बिलियन डॉलर था।
- राष्ट्रपति का दौरा: अक्टूबर 2003 में भारतीय राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की सूडान की राजकीय यात्रा उल्लेखनीय रूप से सफल रही।
- ऋण की लाइनें: भारत ने सूडान को लगभग 700 मिलियन डॉलर की ऋण लाइनें देने की प्रतिबद्धता जताई है।
- लोगों से लोगों के बीच संबंध: शैक्षिक और चिकित्सा आदान-प्रदान करने में जैसे भारत में सूडानी छात्रों और चिकित्सा पर्यटकों के कारण मजबूत संबंध बने हुए हैं।
संभावित जोखिम:
- इस्लामी उग्रवाद: सूडान में लंबे समय तक संघर्ष से लुप्त इस्लामी उग्रवाद फिर से उभर सकता है, जो भारत के हितों के लिए संभावित खतरा बन सकता है।
- खाद्य संकट के कारण सामूहिक मृत्यु: जैसा कि यहाँ बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है, जिससे खाद्य संकट और खराब मानवीय सहायता देखने को मिल रही है।
निष्कर्ष
सहारन क्षेत्र में अशांति और चल रहे संघर्ष एक जटिल और अस्थिर स्थिति को रेखांकित करते हैं, जिसकी विशेषता गहरी ऐतिहासिक शिकायतें, जातीय तनाव और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। सूडान और साहेल में देखे गए लंबे समय तक संघर्षों ने गंभीर मानवीय संकटों को जन्म दिया है, जिसमें व्यापक विस्थापन, जानमाल की हानि और आर्थिक तबाही शामिल है। विभिन्न विदेशी अभिनेताओं की भागीदारी, जिनमें से प्रत्येक अपने स्वयं के रणनीतिक हितों को आगे बढ़ा रहे हैं, स्थायी शांति और स्थिरता प्राप्त करने के प्रयासों को और जटिल बनाती है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक समन्वित अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो तत्काल मानवीय राहत और संघर्ष के मूल कारणों को संबोधित करने वाले दीर्घकालिक समाधानों पर ध्यान केंद्रित करता है। केवल निरंतर कूटनीतिक जुड़ाव, क्षेत्रीय सहयोग और समावेशी शासन के लिए समर्थन के माध्यम से ही सहारा क्षेत्र स्थायी शांति और विकास प्राप्त करने की उम्मीद कर सकता है।
यूपीएससी मेन्स संभावित प्रश्न 1. सहारन क्षेत्र में चल रहे संघर्षों में योगदान देने वाले ऐतिहासिक और भौगोलिक कारकों पर चर्चा करें। इन कारकों ने क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित किया है? 2. सहारन क्षेत्र में संघर्षों को संबोधित करने में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और विदेशी हस्तक्षेपों की भूमिका की जांच करें। उनकी प्रभावशीलता और सीमाओं का आकलन करें। |
स्रोत: द हिंदू