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Daily-current-affairs / 06 Mar 2024

भारत की महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना: खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 का एक व्यापक विश्लेषण- डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ

तकनीकी नवाचार और आर्थिक विकास से अधिकाधिक संचालित होते विश्व में महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना उन देशों के लिए सर्वोपरि चिंता का विषय बन गया है जो अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और प्रतिस्पर्धा को मजबूत करना चाहते हैं। यह  भारत के लिए अपने विशाल खनिज संसाधनों का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक और तकनीकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण क्षण है। खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023, भारत के खनिज प्रशासन ढांचे में एक निर्णायक मोड़ ( watershed moment) है जिसका लक्ष्य दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करना और अधिक लचीले तथा आत्मनिर्भर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है।

महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में चुनौतियाँ

आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में दुर्लभ खनिजों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन खनिजों का उपयोग विभिन्न प्रकार की तकनीकों, उद्योगों और रक्षा उपकरणों में किया जाता है। भारत, अपनी विशाल खनिज संपदा के बावजूद, दुर्लभ खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।

चुनौतियाँ:

  1. चीन का एकाधिकार: चीन, दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (REEs) जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन और प्रसंस्करण में एकाधिकार रखता है। यह एकाधिकार भारत के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न  करता है क्योंकि REEs आधुनिक तकनीकों के लिए आवश्यक हैं। चीन द्वारा आपूर्ति में किसी भी व्यवधान का भारत की अर्थव्यवस्था और रक्षा पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
  2. नीतिगत त्रुटियाँ: भारत की खनिज नीतियां प्रायः अल्पकालिक विचारों और राजनीतिक दबावों से प्रेरित होती हैं। थोरियम पर अत्यधिक ध्यान, REEs और टाइटेनियम जैसे अन्य महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और विकास को बाधित करता है। नियामक बाधाएं और एकाधिकारवादी प्रथाएं भी खनिज क्षेत्र में निवेश और नवाचार को हतोत्साहित करती हैं।
  3. अपर्याप्त अन्वेषण: भारत में खनिज अन्वेषण के लिए अपर्याप्त प्रोत्साहन और क्षमता है। गहरे खनिजों की खोज पर सीमित ध्यान दिया जाता है, जिसके कारण भारत के विशाल भूगर्भीय संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा अस्पष्ट रहता है। प्रतिस्पर्धी नीलामी और नियामक बाधाएं निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी बाधित करती हैं।

परिणामतः , भारत की खनिज क्षमता काफी हद तक अप्रयुक्त बनी हुई है जिससे विदेशी स्रोतों पर इसकी निर्भरता बढ़ गई है और इससे रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता भी करना पड़ सकता है।

खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023: एक आदर्श बदलाव

जैसा कि ऊपर वर्णित है, भारत की महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में कई चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों का समाधान केवल आर्थिक विकास के लिए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।

संशोधन अधिनियम का महत्व:

इन चुनौतियों के संदर्भ में, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 भारत के खनिज प्रशासन ढांचे को पुनर्जीवित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अधिनियम भारत की खनिज नीति को रणनीतिक अनिवार्यताओं की ओर फिर से उन्मुख करना चाहता है जो आर्थिक प्रतिस्पर्धा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और निष्कर्षण को प्राथमिकता देता है।

संशोधन अधिनियम के मुख्य बिंदु:

  1. महत्वपूर्ण खनिजों की अनुसूची: संशोधन अधिनियम एमएमडीआर अधिनियम के तहत "महत्वपूर्ण खनिजों" की एक अनुसूची प्रस्तुत करता है। यह खनन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है। महत्वपूर्ण खनिजों के लिए विशेष रूप से खनन पट्टों की नीलामी करके, सरकार का लक्ष्य रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खनिज भंडार में निवेश और अन्वेषण को प्रोत्साहित करना है जिससे विदेशी आयात पर भारत की निर्भरता कम हो सके।
  2. नीतिगत त्रुटियों का समाधान: संशोधन अधिनियम कुछ खनिजों को परमाणु खनिजों के रूप में वर्गीकृत करने जैसी लंबे समय से चली रही नीतिगत त्रुटियों को भी संबोधित करता है। लिथियम, टाइटेनियम और नाइओबियम जैसे खनिजों को परमाणु खनिजों के दायरे से हटाकर, सरकार उनकी पूर्ण आर्थिक क्षमता का दोहन करना और उभरते उद्योगों तथा तकनीकी अनुप्रयोगों में उनके उपयोग को बढ़ावा देना चाहती है।

खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023: निहितार्थ और चुनौतियाँ

 संशोधन अधिनियम के महत्वपूर्ण निहितार्थ:

  • खनिज क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि: महत्वपूर्ण खनिजों के लिए नीलामी खनन क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करने, तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने और खनिज उत्पादन में दक्षता में सुधार लाने में मदद करेगी।
  • आत्मनिर्भरता में वृद्धि: महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन में वृद्धि विदेशी आयात पर भारत की निर्भरता को कम करेगी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी और अर्थव्यवस्था को गति देगी।
  •  रोजगार सृजन: खनन क्षेत्र में वृद्धि से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • राजस्व में वृद्धि: सरकार को खनन पट्टों और रॉयल्टी से राजस्व में वृद्धि होगी जिसका उपयोग सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जा सकता है।

संशोधन अधिनियम के सामने चुनौतियाँ:

  • नियामक बाधाएँ: जटिल नियामक ढांचा और अनुमोदन प्रक्रिया निवेशकों को हतोत्साहित कर सकती है।
  • बुनियादी ढांचे की बाधाएँ: खनन क्षेत्रों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, जैसे कि सड़कें, बिजली और पानी, अन्वेषण और निष्कर्षण गतिविधियों में बाधा डाल सकता है।
  • तकनीकी बाधाएँ: भारत में महत्वपूर्ण खनिज निष्कर्षण और प्रसंस्करण के लिए आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता की कमी है।
  • पर्यावरणीय चिंताएं: खनन गतिविधियों का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसके लिए प्रभावी पर्यावरणीय नियमों और प्रबंधन प्रथाओं की आवश्यकता होती है।
  •  स्थानीय समुदायों के साथ संघर्ष: खनन गतिविधियों से स्थानीय समुदायों के साथ संघर्ष हो सकता है जिसके लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन और समुदाय के नेतृत्व वाली भागीदारी की आवश्यकता होती है।

भावी रणनीति :

  • नियामक ढांचे को सरल बनाना: अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और निवेशकों के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाना।
  •  बुनियादी ढांचे में निवेश: खनन क्षेत्रों में सड़कें, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास करना।
  • तकनीकी क्षमताओं को विकसित करना: महत्वपूर्ण खनिज निष्कर्षण और प्रसंस्करण में तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा देना।
  • पर्यावरणीय संरक्षण: खनन गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए प्रभावी नियमों और प्रबंधन प्रथाओं को लागू करना।
  • स्थानीय समुदायों के साथ भागीदारी: खनन गतिविधियों से होने वाले लाभों को साझा करने और संघर्षों को कम करने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना।
  • वैश्विक हितधारकों के साथ भागीदारी : वैश्विक हितधारकों और रणनीतिक साझेदारियों के साथ सहयोगात्मक प्रयास बाहरी निर्भरता को कम करने और गतिशील भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक होंगे।

निष्कर्ष:

निष्कर्ष रूप में, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 भारत की खनिज सुरक्षा और आर्थिक लचीलेपन की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण प्रगति है। यह अधिनियम दीर्घकालिक नीतिगत बाधाओं को दूर करके और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देकर भारत के खनिज प्रशासन ढांचे में एक मौलिक बदलाव की नींव रखता है।

हालांकि, भारत की महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करने का मार्ग चुनौतियों और अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। इस संशोधन अधिनियम के सफल कार्यान्वयन के लिए, नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, अन्वेषण गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और आगे की प्रक्रिया (डाउनस्ट्रीम) क्षमताओं को विकसित करने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, भारत को वैश्विक हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए तथा बाहरी निर्भरता को कम करने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए रणनीतिक साझेदारी बनानी चाहिए।

खनिज प्रशासन और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की जटिलताओं के समाधान के लिए भारत को एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा जो नवाचार, स्थिरता और रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता देता है। अपने विशाल खनिज संसाधनों का लाभ उठाकर और अनुकूल नीतिगत वातावरण को बढ़ावा देकर, भारत महत्वपूर्ण खनिज उत्पादन और प्रौद्योगिकी से चलने वाले उद्योगों में एक वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है।

अतः खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 केवल एक विधायी बल्कि भारत के लिए अधिक सुरक्षित, लचीले और समृद्ध भविष्य की दिशा में परिवर्तनकारी कार्रवाई का एक स्पष्ट आह्वान भी है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. भारत के महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित करने के प्रयासों के संदर्भ में खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023 के महत्व पर चर्चा करें। अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए और विश्लेषण करें कि यह भारत द्वारा इस संबंध में सामना की जाने वाली चुनौतियों का कैसे समाधान करता है। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं पर चीन के एकाधिकार की चुनौतियों और निहितार्थों का आकलन करें। खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2023, इन चुनौतियों को कम करने और महत्वपूर्ण खनिजों में भारत की आत्मनिर्भरता को कैसे बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है? (15 अंक, 250 शब्द)s

Source- VIF