तारीख (Date): 07-09-2023
प्रासंगिकता - जीएस पेपर 1 - भारतीय विरासत स्थल
की-वर्ड - एक विरासत योजना, एएसआई, पीपीपी, भारतीय विरासत ऐप, एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0 कार्यक्रम, ई-परमिशन पोर्टल
संदर्भ:
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के बेहतर संरक्षण और पुनरुद्धार के उद्देश्य से "एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0" कार्यक्रम शुरू किया है। यह पहल 'विरासत भी, विकास भी' दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- ASI ने 'इंडियन हेरिटेज' नाम से एक उपयोगकर्ता-अनुकूल मोबाइल एप्लिकेशन लांच किया है, और इस प्रक्रिया को उपयोगी बनाने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक परमिशन पोर्टल भी लॉन्च किया गया है।
विरासत गोद लेने की योजना:
एक अवलोकन:
- विरासत गोद लें योजना एक सहयोगात्मक पहल है, जिसमें पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और विभिन्न राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारें शामिल हैं।
- यह योजना विरासत स्थलों से संबंधित आम चुनौतियों से उत्पन्न हुई है, जो मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे, सेवाओं के संचालन और रखरखाव से संबंधित है।
- इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए यह कार्यक्रम तत्काल प्रावधान और दीर्घकालिक उन्नत सुविधाओं के कार्यान्वयन के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करेगा ।
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा 27 सितंबर, 2017 को लॉन्च किया गया यह कार्यक्रम निम्नलिखित उद्देश्यों से प्रेरित है:
उद्देश्य:
- पर्यटन को बढ़ावा देना: इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी हितधारकों के बीच तालमेल को सुविधाजनक बनाना है, जिससे पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा सके।
- विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करना: इस कार्यक्रम का लक्ष्य सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की कंपनियों के साथ-साथ कॉर्पोरेट नागरिकों एवं व्यक्तियों को भारत की समृद्ध विरासत और पर्यटन विकास की स्थिरता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी में शामिल करना है।
- बुनियादी ढांचे को बढ़ाना: यह पूरे भारत में एएसआई-संरक्षित विरासत स्थलों और अन्य महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों सहित प्रमुख स्थानों पर विश्व स्तरीय पर्यटक बुनियादी ढांचे तथा सुविधाओं को बढ़ाने और बनाए रखने पर केंद्रित है।
स्मारक मित्र:
- इस योजना के तहत, भाग लेने की इच्छुक एजेंसियां या कंपनियां 'विज़न बिडिंग' नामक एक अद्वितीय दृष्टिकोण के माध्यम से 'स्मारक मित्र' बन जाती हैं। इस प्रक्रिया में, विरासत स्थल के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण प्रस्तुत करने वाली एजेंसी को इन ऐतिहासिक विरासतों के संरक्षण और संवर्द्धन की कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) निभाने का अवसर दिया जाता है।
विरासत गोद लेने के कार्यक्रम के लाभ
विरासत गोद लेने के कार्यक्रम के निम्नलिखित लाभ हैं:
- संरक्षण: यह पहल विरासत स्थलों और स्मारकों की सुरक्षा और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे भावी पीढ़ियों के लिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- बुनियादी ढांचे का विकास: इन स्थलों पर आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के निर्माण की सुविधा प्रदान करके, यह योजना समग्र अनुभव और पहुंच को बढ़ाती है।
- पर्यटन को बढ़ावा: विरासत स्थलों को पर्यटक-अनुकूल स्थलों में बदलने से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों यात्रियों को आकर्षित करता है।
- सांस्कृतिक संवर्धन: कार्यक्रम के माध्यम से, इन स्थलों के सांस्कृतिक महत्व और विरासत मूल्य को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाता है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रचार और जागरूकता में योगदान देता है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: यह कार्यक्रम सरकार, निजी क्षेत्र और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे विरासत स्थलों का सतत विकास और रखरखाव सुनिश्चित होता है।
- आर्थिक अवसर: पर्यटन क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक संभावनाएं पैदा करके, यह कार्यक्रम स्थानीय समुदायों को लाभ पहुंचाती है और समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।
- उत्तरदायी प्रबंधन: उत्तरदायी प्रबंधन प्रथाओं पर जोर देते हुए, यह कार्यक्रम पर्यावरण और स्थानीय समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। साथ ही साथ विरासत के संरक्षण और सम्मान के महत्व को भी रेखांकित करता है।
चुनौतियाँ:
- एडॉप्ट ए हेरिटेज कार्यक्रम के कार्यान्वयन में इस समय कई चुनौतियां हैं, जिनमें स्मारक मित्रों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी चयन प्रक्रिया की आवश्यकता भी शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है, कि संरक्षण गतिविधियाँ विशेष रूप से योग्य पेशेवरों द्वारा संचालित की जा रही हैं या नहीं।
- इसके अतिरिक्त स्मारकों के नैतिक मूल्यों के संरक्षण के साथ सौंदर्यीकरण और संरक्षण प्रयासों को संतुलित करना एक और चुनौती है।
- योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए गोद लेने वालों द्वारा की गई विभिन्न विकास पहलों की प्रगति की समय-समय पर निगरानी करना आवश्यक है।
एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0, इंडियन हेरिटेज ऐप और 'ई-परमिशन पोर्टल'
- एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0 प्रोग्राम मूल योजना के दूसरे संस्करण का प्रतिनिधित्व करता है, इसने 2017 में अपनी शुरुआत की थी। इस सन्दर्भ में इंडियन हेरिटेज नाम से एक मोबाइल एप लॉन्च किया गया है। इस ऐप में राज्य-वार विवरण, तस्वीरें, उपलब्ध सार्वजनिक सुविधाएं, भू-टैग किए गए स्थान और नागरिक भागीदारी के लिए एक फीडबैक प्रणाली शामिल है। इस प्रकार यह स्थानों, सार्वजनिक सुविधाओं और नागरिकों के लिए फीडबैक तंत्र के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है।
- 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम (एएमएएसआर) के प्रावधानों के तहत, एएसआई स्मारकों पर फिल्मांकन और फोटोग्राफी के लिए अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए एक ई-परमिशन पोर्टल भी शुरू किया गया है। यह पोर्टल विभिन्न प्रक्रियाओं में तेजी लाने और परिचालन एवं लॉजिस्टिक चुनौतियों को दूर करने में मदद करेगा।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
- सुव्यवस्थित स्मारक गोद लेने की प्रक्रिया: इस कार्यक्रम में रुचि रखने वाले हितधारक अब किसी स्मारक पर संपूर्ण या विशिष्ट सुविधाओं को अपनाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया को एक समर्पित वेब पोर्टल के माध्यम से सुविधाजनक बनाया गया है, जो गोद लेने के लिए उपलब्ध स्मारकों के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करता है।
- कॉर्पोरेट सहयोग: एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0 कार्यक्रम को कॉर्पोरेट संस्थाओं के साथ साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो उन्हें इन अमूल्य स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव में सक्रिय रूप से योगदान करने में सक्षम बनाता है।
- कार्यान्वयन अवधि: किसी स्मारक या उसकी सुविधाओं को अपनाने के लिए चयनित लोगों को प्रारंभ में पांच वर्ष का अस्थायी कार्यकाल सौंपा जाएगा। भारत की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा की प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए इस नियुक्ति को संभावित रूप से अतिरिक्त पांच वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है।
- "एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0" कार्यक्रम, भारतीय विरासत ऐप और ई-अनुमति पोर्टल एक सहयोगात्मक और प्रौद्योगिकी-संवर्धित तरीके से भारत की सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने के लिए एक ठोस प्रयास का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सरकार के अन्य प्रयास:
- भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने देश के पर्यटन स्थलों को संरक्षित करने और प्रदर्शित करने के उद्देश्य से कई अन्य पहल भी शुरू की हैं। ये प्रयास भारत को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों पर्यटकों के पहली पसंद के रूप में स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। यहां पर्यटन मंत्रालय द्वारा की गई कुछ पहल बताए गए हैं, जैसे:
- स्वदेश दर्शन योजना
- प्रासाद योजना
- उत्सव पोर्टल
- देखो अपना देश पहल
- सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण (CBSP) योजना आदि।
निष्कर्ष:
- भारतीय विरासत ऐप और ई-अनुमति पोर्टल के साथ "एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0" कार्यक्रम, भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह सहयोगात्मक और प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण न केवल हमारे समृद्ध इतिहास की रक्षा करता है बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की छवि को भी प्रदर्शित करता है।
- चुनौतियों का पारदर्शी तरीके से समाधान करके और उत्तरदायी प्रबंधन वाले पर्यटन को बढ़ावा देकर, ये पहल आर्थिक विकास, सांस्कृतिक जागरूकता और सतत विकास को बढ़ावा देते हुए एक उज्जवल भविष्य के लिए मंच तैयार करती है। जैसे-जैसे भारत के सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया जाता है, देश का पर्यटन उद्योग महामारी के बाद के युग में पुनः विकास के पथ पर अग्रसर होता जा रहा है, जो देश की समृद्धि में योगदान दे रहा है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न -
- भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के संदर्भ में "एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0" कार्यक्रम, भारतीय विरासत ऐप और ई-अनुमति पोर्टल के महत्व पर चर्चा करें। विश्लेषण करें कि ये पहल उत्तरदायी पर्यटन और सतत विकास के लक्ष्यों के साथ कैसे मेल खाती हैं। (10 अंक, 150 शब्द)
- विरासत गोद लें योजना के कार्यान्वयन में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण से जुड़े फायदों और चुनौतियों पर प्रकाश डालें और पहचानी गई चुनौतियों पर काबू पाने के उपाय सुझाएं। (15 अंक, 250 शब्द)
स्रोत- पीआईबी