संदर्भ:
2024-25 के केंद्रीय बजट में यह वादा किया गया कि "बिजली भंडारण को बढ़ावा देने और इसकी परिवर्तनशील एवं अस्थिर प्रकृति के साथ बढ़ते नवीकरणीय ऊर्जा के हिस्से को सुचारू रूप से एकीकृत करने के लिए पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीति लाई जाएगी।"
पम्प्ड स्टोरेज प्लांट्स का अवलोकन
पम्प्ड स्टोरेज हाइड्रो (पीएसएच) प्लांट्स ऊर्जा भंडारण प्रणालियां होती हैं जो विद्युत आपूर्ति का प्रबंधन करने के लिए जलविद्युत का उपयोग करती हैं। यह दो या अधिक जलाशयों के बीच संचालित होती हैं, जिनमें एक उच्च ऊंचाई पर और दूसरा निम्न ऊंचाई पर होता है। उच्च मांग के समय, पानी ऊपरी जलाशय से निचले जलाशय में हाइड्रोलिक टरबाइन के माध्यम से बहता है और बिजली उत्पन्न करता है। जब मांग कम होती है, तो ग्रिड या नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अतिरिक्त बिजली का उपयोग पानी को ऊपरी जलाशय में वापस पंप करने के लिए किया जाता है। पीएसएच प्लांट्स की कुल दक्षता आमतौर पर 75% से 80% के बीच होती है।
● नदी पर आधारित परियोजनाएं: ये पारंपरिक जलविद्युत परियोजनाओं के समान होती हैं और इनमें जल की आपूर्ति सीधे नदी द्वारा की जाती हैं।
● नदी से बाहर की परियोजनाएं: इनमें विभिन्न ऊंचाइयों पर दो जलाशय होते हैं जो एक बंद लूप में होते हैं। जब बिजली अधिशेष होती है तो पानी को उच्च जलाशय में पंप किया जाता है और आवश्यकता के समय बिजली उत्पन्न करने के लिए निचले जलाशय में छोड़ा जाता है।
2030 तक 500GW गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को देखते हुए नवीकरणीय स्रोतों में वृद्धि आवश्यक है। 2021 से 2023 के बीच, भारत ने 23GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन क्षमता जोड़ी, जिसमें से 7.5GW 2023-24 के सिर्फ आठ महीनों में पवन और सौर ऊर्जा से आई । इसके बावजूद, नवीकरणीय ऊर्जा स्वाभाविक रूप से परिवर्तनशील होती है, जिसके लिए कुशल भंडारण समाधान की आवश्यकता है।
भारत में पम्प्ड स्टोरेज प्लांट्स
बड़े बांधों पर पीएसएच प्लांट्स का विकास
भारत में 5,745 बड़े बांध हैं, जो पीएसएच प्लांट्स के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं। ये प्लांट्स दो मौजूदा बड़े बांधों के बीच या एक बांध का उपयोग करके ऊंचाई पर स्थित दूसरे जलाशय के साथ स्थापित किए जा सकते हैं।
भारत में पम्प्ड स्टोरेज क्षमता
देश ने लगभग 120GW पीएसएच क्षमता को 120 स्थलों पर स्थापित करना है। वर्तमान में भारत में 3.3GW पम्प्ड स्टोरेज क्षमता है। प्रमुख परियोजनाओं में नागार्जुनसागर, कडाना, कडमपराई, पंचेत और भीरा शामिल हैं। तुलनात्मक रूप से, चीन 1,300GW पवन और सौर ऊर्जा का समर्थन करने वाले 50GW पम्प्ड स्टोरेज के साथ वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। भविष्य की नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत की क्षमता को पर्याप्त विस्तार की आवश्यकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में पीएसएच
नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के साथ चुनौतियाँ
पवन और सौर स्रोतों से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन मौसम की स्थिति के कारण उतार-चढ़ाव के अधीन होता है। इस परिवर्तनशीलता का अर्थ है कि ग्रिड ऑपरेटरों को लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विश्वसनीय बैकअप पावर स्रोतों की आवश्यकता होती है। जलविद्युत को जल्दी समायोजित किया जा सकता है, जबकि कोयला और परमाणु ऊर्जा को तेजी से बढ़ाने या घटाने के लिए लंबी अवधि की आवश्यकता होती है।
नवीकरणीय ऊर्जा की परिवर्तनशीलता का प्रबंधन करने के लिए, विभिन्न भंडारण विधियों का प्रस्ताव किया गया है, जिनमें बैटरी भंडारण का विस्तार और संपीड़ित हवा का उपयोग शामिल है। हालांकि, पंपड स्टोरेज वैश्विक स्तर पर सबसे व्यापक रूप से अपनाया गया समाधान बना हुआ है। पंपड स्टोरेज परियोजनाएं बड़े पैमाने पर प्राकृतिक बैटरियों की तरह काम करती हैं, जो पानी का उपयोग करती हैं।
पंपड स्टोरेज हाइड्रो (पीएसएच) प्लांट्स से संबंधित चुनौतियाँ
● नियामक और मंजूरी बाधाएं: पीएसएच प्लांट्स को विभिन्न भूमि, वन, और पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करनी होती है, जो जटिल और समय लेने वाली हो सकती हैं।
● लागत की चिंताएं: वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) अक्सर पीएसएच प्लांट्स को महंगा और अन्य भंडारण विकल्पों की तुलना में कम आकर्षक पाती हैं।
● उच्च निवेश और लंबी अवधियों की आवश्यकता: आवश्यक महत्वपूर्ण निवेश और पीएसएच परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विस्तारित समय सीमा ने निजी क्षेत्र की भागीदारी को कम किया है।
● राज्य-स्तरीय समर्थन पर निर्भरता: चूंकि जलविद्युत और पीएसएच परियोजनाएं राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं, इन्हें राज्य सरकारों के अलावा कई नीति निर्माताओं और बिजली नियामकों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
भारत में पंपड स्टोरेज प्लांट्स को बढ़ावा देना
● सतत दिशानिर्देशों को अपनाना: भारत को अंतर्राष्ट्रीय जलविद्युत संघ द्वारा निर्धारित सततता दिशानिर्देशों को अपनाना चाहिए। परिचालन भंडारण परियोजनाओं के बाद के विश्लेषणों का संचालन करके ऊर्जा भंडारण से संबंधित चिंताओं को दूर करने और पीएसएच प्लांट्स के लाभों को प्रदर्शित करने में मदद मिल सकती है।
● पारदर्शी आवंटन प्रक्रिया: राज्यों को पीएसएच परियोजनाओं के आवंटन के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी आधार स्थापित करना और इसकी घोषणा करना चाहिए। यह प्रक्रिया पारंपरिक जलविद्युत परियोजनाओं से अलग होनी चाहिए ताकि तेजी से विकास को सुगम बनाया जा सके।
● प्रति यूनिट लागत आधार से अलग करना: पीएसएच परियोजनाओं के विकास को गति देने के लिए, उन्हें प्रति यूनिट ऊर्जा लागत गणनाओं से अलग करना चाहिए। इससे अधिक लचीले और कुशल परियोजना कार्यान्वयन की अनुमति मिलेगी।
● सीमा पार लाभ साझाकरण: पीएसएच परियोजनाओं के लाभों को राज्य और राष्ट्रीय सीमाओं के पार विस्तारित किया जा सकता है। यह दृष्टिकोण सहयोग को बढ़ा सकता है और ऊर्जा भंडारण के लाभों का अनुकूलन कर सकता है।
● बाजार तंत्र का विकास: भारत को ऊर्जा-भंडारण प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करने के लिए बाजार तंत्र और नवीन आर्थिक मॉडल बनाने चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि पीएसएच परियोजनाओं का प्रभावी ढंग से आकलन और कार्यान्वयन किया जाए।
● परियोजनाओं की प्राथमिकता: पीएसएच परियोजनाओं को उनके स्थान, भंडारण की अवधि और प्री-फीजिबिलिटी रिपोर्ट, विस्तृत सर्वेक्षण और परियोजना रिपोर्ट की उपलब्धता के आधार पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह सफल परियोजना परिणामों के लिए योजना और क्रियान्वयन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा।
कडमपराई जैसी पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाएं ग्रिड में परिवर्तनशील नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जैसे-जैसे भारत अपने गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता का विस्तार करेगा, पंपड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना एक विश्वसनीय और स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होगा।
स्रोत: द हिन्दू