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Daily-current-affairs / 29 May 2024

प्रदर्शनकारी दृष्टिकोण और रेल सुरक्षा : डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

भारतीय रेलवे की घटनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण एक चिंताजनक परिदृश्य सामने लाता है जो सुरक्षा प्रोटोकॉल को दरकिनार कर समयपालन और प्रदर्शन संकेतकों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर आधारित है। वर्तमान में यह "प्रदर्शनकारी" दृष्टिकोण, जो वरिष्ठ अधिकारियों और जनता को प्रभावित करने पर केंद्रित है, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निर्धारित सुरक्षा मानकों के पालन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। इससे लोकोमोटिव चालकों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे उनकी सुरक्षा और कुल मिलाकर रेल सुरक्षा दोनों को खतरा है।

नियम का पालन करने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई

हाल ही में एक क्षेत्रीय रेलवे में सामने आई एक घटना चिंताजनक है। इस घटना में, एक लोकोमोटिव चालक को एक फंसी हुई ट्रेन को निकालने के लिए भेजे गए हल्के इंजन के लिए निर्धारित गति सीमा का पालन करने पर संभावित अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा। ट्रेन, लोकोमोटिव में खराबी के कारण बीच रास्ते में ही रुक गई थी। स्टेशन मास्टर द्वारा लिखित रूप में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए, चालक ने 15 किमी/घंटे की निर्धारित गति सीमा का पालन किया।

लेकिन, यात्री ट्रेनों में देरी कम करने के लिए इस गति सीमा का उल्लंघन करने पर उनकी आलोचना की गई। यह घटना एक गलत उदाहरण स्थापित करती है, जहाँ सुरक्षा नियमों का पालन करने की तुलना में समय की पाबंदी को अधिक महत्व दिया जाता है। गौरतलब है कि, मीडिया द्वारा इस मामले को प्रकट करने के बाद ही अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव वापस लिया गया था।

प्रबंधन की अतिशयता और उसके परिणाम

हाल ही में कठुआ स्टेशन पर हुई एक घटना ने रेलवे सुरक्षा में प्रबंधन की अतिशयता के खतरों को प्रकट किया इस घटना में, दो डीजल इंजनों और 53 लोडेड वैगनों वाली एक मानवरहित ट्रेन बिना किसी निरीक्षण के 70 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर गई थी। स्टेशन का निरंतर ढलान ट्रेन की गति को और बढ़ा रहा था, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई थी। सौभाग्य से, खाली लाइनों पर ट्रेन को रूट करके आपदा को टाला गया।

प्रतिबंधात्मक आरटीआई धाराओं के कारण गोपनीयता के आवरण में छिपी इस घटना की जांच में पता चला है कि इसमें कुप्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। कर्मचारियों की रिपोर्टों के अनुसार, लोकोमोटिव चालकों ने अपनी शिफ्ट पूरी करने के बाद राहत के लिए अनुरोध किया था। इसके बावजूद, उन्हें ट्रेन को स्थिर करने और एक यात्री ट्रेन को दूसरे स्टेशन तक ले जाने का निर्देश दिया गया। पर्याप्त सुरक्षा समय के बिना ढलान पर ट्रेन को जल्दबाजी में स्थिर करने के प्रयास के परिणामस्वरूप ट्रेन अनियंत्रित हो गई।

इन कारकों के बावजूद, दुर्घटना के लिए जिम्मेदार लोकोमोटिव चालकों, स्टेशन मास्टर और एक पॉइंट्समैन को रेलवे के अनुशासनात्मक और अपील नियमों के तहत निलंबित कर दिया गया।

यह घटना रेलवे सुरक्षा में प्रबंधन की अतिशयता के गंभीर परिणामों को दर्शाती है। समयपालन और परिचालन दक्षता पर अत्यधिक ध्यान देने के चलते सुरक्षा प्रोटोकॉल को दरकिनार कर दिया गया, जिसके विनाशकारी परिणाम हो सकते थे।

दुखद टक्कर और संदिग्ध आरोप:

29 अक्टूबर, 2023 को विशाखापत्तनम-रायगडा पैसेंजर और विशाखापत्तनम-पलासा पैसेंजर के बीच हुई टक्कर एक दुखद घटना थी जिसमें 14 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की जान चली गई। इस घटना ने रेलवे सुरक्षा में मौजूद खामियों को उजागर कर दिया है और रेलवे प्रशासन के दृष्टिकोण पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

दुर्घटना के कारण:

  • दोषपूर्ण स्वचालित सिग्नलिंग: रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) द्वारा की गई जांच में पाया गया कि दुर्घटना का प्राथमिक कारण दोषपूर्ण स्वचालित सिग्नलिंग वाले खंडों में परिचालन संबंधी त्रुटियां और नियमों का उल्लंघन था।
  • नियमों का उल्लंघन: जांच में यह भी पाया गया कि ट्रेनों के परिचालन के दौरान कुछ सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया गया था।

विवादित आरोप:

  • मोबाइल फोन पर ध्यान भटकना: रेल मंत्री ने दुर्घटना के लिए लोको पायलटों को जिम्मेदार ठहराते हुए एक विवादास्पद बयान दिया, जिसमें दावा किया गया कि वे मोबाइल फोन पर क्रिकेट मैच देखने में व्यस्त थे और उनका ध्यान भटक गया था।
  • अस्वीकृत आरोप: सीआरएस की रिपोर्ट और बाद में मोबाइल डेटा विश्लेषण ने मंत्री के आरोपों का समर्थन नहीं किया।

मानवीय कारक और प्रणालीगत विफलताएँ

हाल की रेल दुर्घटनाओं की जांच में सामने आए रुझान चिंताजनक हैं। इन घटनाओं में से कई में, लोको पायलटों को दोषी ठहराया गया है, जिससे रेल सुरक्षा में व्यापक खामियों का खुलासा होता है।

मानवीय कारक:

  • दबाव में काम करना: लोको पायलटों पर अक्सर प्रदर्शन लक्ष्यों को पूरा करने और समय की पाबंदियों को पूरा करने का दबाव होता है। इससे वे थकान, तनाव और मानवीय त्रुटियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
  • अर्ध-योग्य कर्मचारी: रेलवे में कर्मचारियों की कमी है, जिसके कारण अपर्याप्त प्रशिक्षण वाले कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जा रहा है।
  • काम का बोझ: लंबे समय तक काम करना और आराम की कमी थकान और तनाव का कारण बनती है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

प्रणालीगत विफलताएं:

  • पुराने उपकरण और अवसंरचना: रेलवे का बुनियादी ढांचा और सिग्नलिंग प्रणाली काफी पुरानी है, जिससे खराबी और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन: सुरक्षा नियमों का प्रायः  उल्लंघन किया जाता है, विशेषकर जब प्रदर्शन लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव होता है।
  • जवाबदेही का अभाव: सुरक्षा उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार लोगों को अक्सर जवाबदेह नहीं ठहराया जाता है, जिससे प्रणाली में सुधार की कमी होती है।

सुधार के लिए आवश्यक कदम:

  • सुरक्षा संस्कृति को बढ़ावा देना: रेलवे को सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए और कर्मचारियों को सुरक्षा चिंताओं को उठाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • कर्मचारियों का प्रशिक्षण और कल्याण: लोको पायलटों और अन्य कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण और पर्याप्त आराम प्रदान किया जाना चाहिए।
  • आधुनिकीकरण: रेलवे को अपने बुनियादी ढांचे, सिग्नलिंग प्रणाली और उपकरणों का आधुनिकीकरण करना चाहिए।
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करना: सुरक्षा नियमों को सख्त किया जाना चाहिए और उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना: सुरक्षा उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

रेल सुरक्षा बढ़ाने के लिए CAG की सिफारिशें:

भारतीय रेलवे की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए, CAG ने कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। इन सिफारिशों का उद्देश्य दुर्घटनाओं को रोकने और रेल यात्रा को सभी के लिए सुरक्षित बनाने के लिए रेलवे प्रणाली में सुधार करना है।

मुख्य सिफारिशें:

  1. निगरानी तंत्र में सुधार: रखरखाव गतिविधियों की समय पर निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली विकसित करना। इसमें पूरी तरह से मशीनीकृत तरीके और उन्नत तकनीकों का उपयोग शामिल होना चाहिए।
  2. आरआरएसके दिशानिर्देशों का पालन: रेलवे प्रशासन को राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (आरआरएसके) निधियों के आवंटन और उपयोग के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
  3. विस्तृत परिणाम रूपरेखा: भारतीय रेलवे को प्रत्येक सुरक्षा-संबंधी कार्य के लिए स्पष्ट और मापने योग्य परिणामों के साथ एक विस्तृत रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।
  4. दुर्घटना जांच की समयसीमा: दुर्घटना जांच और रिपोर्टिंग के लिए निर्धारित समयसीमा का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना।

CAG की ये सिफारिशें रेल सुरक्षा में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। मजबूत निगरानी तंत्र, बेहतर प्रबंधन और अधिक पारदर्शी जवाबदेही प्रणाली दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करने और रेलवे के लिए समग्र सुरक्षा को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।

निष्कर्ष:

भारतीय रेलवे में हाल की घटनाओं ने सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर दी हैं। इन घटनाओं में, सुरक्षा प्रोटोकॉल की उपेक्षा कर समयपालन और प्रदर्शन आंकड़ों को प्राथमिकता दी गई है।

यह "प्रदर्शनकारी" दृष्टिकोण, जो वरिष्ठ अधिकारियों और जनता को प्रभावित करने पर केंद्रित है, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन करने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। इससे लोकोमोटिव चालकों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे उनकी सुरक्षा और कुल मिलाकर रेल सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ जाते हैं।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

1.    भारतीय रेलवे में लोको पायलटों की सुरक्षा और कल्याण को खतरे में डालने वाले प्रमुख प्रणालीगत मुद्दे क्या हैं? इन मुद्दों को कैसे हल किया जा सकता है? (10 अंक, 150 शब्द)

2.    भारतीय रेलवे में समय की पाबंदी और प्रदर्शन मेट्रिक्स को प्राथमिकता देने का समग्र सुरक्षा और परिचालन अखंडता पर क्या प्रभाव पड़ता है? चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द)

Source- The Hindu

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