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Daily-current-affairs / 27 Feb 2022

पॉलिमर नोट्स - समसामयिकी लेख

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की वर्ड्स :- पॉलिमर बैंकनोट, सीरीज जी नोट्स (बैंक ऑफ इंग्लैंड नोट्स), आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2011, 2021: बहुलक नोट का सापेक्ष लंबा जीवन, निम्न कार्बन पदचिह्न

चर्चा में क्यों?

  • दिसंबर में, संयुक्त अरब अमीरात के सेंट्रल बैंक ने घोषणा की कि आधिकारिक मुद्रा के रूप में कागजी बैंकनोट के साथ नए 50-दिरहम के पॉलीमर बैंकनोट का उपयोग किया जाएगा।
  • इसके पूर्व अक्टूबर में फिलीपींस के केंद्रीय बैंक (BangkoSentralngPilipinas) द्वारा यह पुष्टि की गई थी की 2022 की पहली छमाही कुछ पॉलीमर नोट्स का परिक्षण किया जायेगा।
  • अगस्त में, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान द्वारा स्मारक पॉलीमर नोट (2022 में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए) के अनावरण की योजना बनाई गई है।
  • सेंट्रल बैंक ऑफ त्रिनिदाद और टोबैगो द्वारा फरवरी 2021 में 1$ पॉलीमर नोट को एक अपडेट किया गया तथा एक नया $ 50 का पॉलिमर नोट प्रस्तुत किया गया।

पॉलिमर बैंकनोट :-

  • ये बाईएक्सियली ओरिएंटेड पॉलीप्रोपाइलीन (बीओपीपी) जैसे सिंथेटिक पॉलीमर से बने बैंकनोट हैं।
  • इस तरह के नोटों में कई सुरक्षा विशेषताएं, यथा मेटामेरिक स्याही का उपयोग, निहित होती हैं, जो कागजी बैंकनोटों में उपलब्ध नहीं होती हैं।
  • पॉलिमर बैंकनोट कागज के नोटों की तुलना में काफी लंबे समय तक चलते हैं, जिससे पर्यावरणीय लागत, उत्पादन लागत तथा रिसर्कुलेटिंग लागत में कमी आती है।

लेख के मुख्य बिंदु :-

दुनिया के 195 देशों में से 76 अब पॉलीमर नोट का इस्तेमाल कर रहे हैं।

क्षेत्रवार वितरण :-

  • एशिया और ओशिनिया (23)
  • लैटिन अमेरिका (16),
  • अफ्रीका (13),
  • यूरोप (11),
  • पश्चिम एशिया (6),
  • दक्षिण अमेरिका (4),
  • मध्य एशिया (2) और
  • उत्तरी अमेरिका (1)

क्या कारण है जो इतने देश पॉलीमर नोट्स की तरफ बढ़ रहे हैं ?

  • अन्य लाभों के अतिरिक्त पॉलिमर नोट्स पर्यावरण के लिए भी बेहतर हैं
  • जून 2016 के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि, "जिस प्रकार देश जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर कर जलवायु की सततता पर विचार कर रहे हैं उसी प्रकार कई देश अपनी मुद्रा के पर्यावरणीय प्रभाव के साथ-साथ इसकी स्थायित्व और सुरक्षा पर विचार कर रहे हैं।"
  • एक अध्ययन का हवाला देते हुए, आईएमएफ ने कहा कि कागज की तुलना में, पॉलिमर की लागत अधिक होती है परन्तु यह ग्लोबल वार्मिंग क्षमता में 32 प्रतिशत की कमी और प्राथमिक ऊर्जा मांग में 30 प्रतिशत की कमी कर सकता है।

करेंसी नोटों का इतिहास :-

  • कई वर्षों से विभिन्न प्रकार की सामग्रियों से इनका निर्माण हो रहा है।
  • हान राजवंश के दौरान चीन में चमड़े से लेकर कीमती धातुओं, सूती कागज और अब प्लास्टिक तक से करेंसी नोट्स का निर्माण किया गया।
  • करेंसी नोट्स में प्रयुक्त सामग्री में परिवर्तन मुख्य रूप उस समय के सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के साथ-साथ उपलब्ध प्रौद्योगिकियों तथा संसाधनों की स्थिति को प्रतिबिंबित करता था।
  • 13वीं शताब्दी में मार्को पोलो द्वारा यात्रा के उपरांत यूरोप वापस जाने पर सिक्कों के बजाय कागज के प्रयोग की सूचना दी।
  • यूरोप के सबसे पुराने आधुनिक कागजी बैंक नोट 1661 में बैंक ऑफ स्टॉकहोम द्वारा जारी किए गए थे।
  • 1988 में ऑस्ट्रेलिया पॉलिमर बैंकनोट जारी करने वाला पहला देश था। हालाँकि, पहला पॉलीमर बैंकनोट 1980 में ही विकसित कर लिया गया था, हैती में इस नोट के सांकेतिक संस्करण को जारी किया गया था। कोस्टारिका और आइल ऑफ मैन ने भी 1983 में पॉलिमर नोट्स के निर्माण के प्रयास किये थे।
  • बैंक ऑफ कनाडा ने 2011 में पॉलिमर बैंक नोटों के लिए प्रयास आरम्भ किए।
  • बैंक ऑफ इंग्लैंड के बैंक नोट्स की नवीनतम श्रृंखला (जिसे तकनीकी रूप से सीरीज जी के रूप में जाना जाता है) में पॉलिमर नोट्स का प्रयोग किया। इसे 2016 से 2021 के मध्य पांच वर्ष की अवधि के लिए लॉन्च किया गया था।
  • ब्रिटेन के इस कदम की घोषणा पर बैंक ऑफ इंग्लैंड के तत्कालीन गवर्नर मार्क कार्नी ने पॉलीमर नोटों के लाभों का वर्णन किया :-
  • पॉलिमर नोटों की गुणवत्ता अधिक होती है।

  • इनकी जाल-साजी कठिन होती है।

  • इनके उत्पादन की आर्थिक तथा पर्यावरणीय लागत कम होती है।

  • यूके 30 सितंबर, 2022 को पेपर 20 तथा पेपर 50 की कानूनी निविदा स्थिति वापस ले लेगा। यह 300 वर्षो से इंग्लैंड में कागज के करेंसी नोट्स की समाप्ति हेतु उत्तरदायी है।

भारत में पॉलिमर नोटों की स्थिति :-

  • भारतीय रिजर्व बैंक ने एक दशक से अधिक समय से अपने पॉलिमर नोट्स पर योजना बना रहा है तथा भारत द्वारा वैश्विक निर्माताओं से डॉलर के संदर्भ में 10 रुपए मूल्यवर्ग के पॉलीमर बैंक नोटों के एक बिलियन टुकड़ो (ईओआई) की मांग की गई है।
  • आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी.सुब्बाराव ने "द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई), नई दिल्ली में पॉलिमर नोटों के "पर्यावरणीय प्रभाव" पर एक अध्ययन आरम्भ किया था।
  • उन्होंने पॉलिमर नोटों के सापेक्ष लंबे जीवन और उनके पुनर्चक्रण के बारे में भी बताया था, जिससे कार्बन फुटप्रिंट में कमी आएगी।
  • मार्च 2013 में राज्यसभा को एक लिखित जवाब में तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री नमोनारायण मीणा ने कहा था कि पॉलिमर नोटों का "फील्ड ट्रायल" पांच शहरों (कोच्चि, मैसूर, जयपुर, भुवनेश्वर और शिमला) में किया जाएगा।
  • इन शहरों का चयन भौगोलिक स्थिति और जलवायु विविधता को ध्यान में रखते हुए किया गया। वित्तीय वर्ष 2011 के आरम्भ में आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट, "फील्ड ट्रायल" के आधार पर पॉलिमर नोटों को प्रस्तुत करने की बात की गई थी। इस रिपोर्ट में पॉलीमर नोटों के सापेक्ष लाभों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि पॉलिमर नोट लागत प्रभावी, अधिक सुरक्षित हैं तथा इनकी जालसाजी भी कठिन है।
  • अंततः 2015 की वार्षिक रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि आरबीआई द्वारा 10 रुपए मूल्यवर्ग के बैंक नोटों के लिए प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी की गई है तथा इसका तकनीकी मुल्यांकन भी कर लिया गया है।
  • 2016 की रिपोर्ट में यह बताया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड और सरकार के स्वामित्व वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को सौंपे गए 10 रुपए के मूल्यवर्ग के प्लास्टिक नोटों का "फील्ड ट्रायल" कर लिया गया है परन्तु इसके उपरान्त इस दिशा में प्रगति नहीं की गई।
  • इस दौरान 10 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच, विमुद्रीकरण के दौरान 500 रुपए और 1,000 रुपए के मूल्यवर्ग के 15.4 ट्रिलियन रुपए मूल्य के करेंसी नोट को प्रचलन से वापस ले लिया गया। यह प्रचलन में कुल नोटों के मूल्य का लगभग 86.9% था। आरबीआई की 2017 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 99% मुद्रा जो रद्द कर दी गई थी, सिस्टम में वापस आ गई थी।
  • हालाँकि पॉलिमर नोट्स पर चर्चा तथा बहस उस समय बंद हो गई जब 500 रुपए और 1,000 रुपए के करेंसी नोटों के बदले मैसूर में पेपर मिल द्वारा आपूर्ति किए गए कागज के साथ मुद्रा प्रिंटिंग प्रेस द्वारा 2,000 रुपए मूल्यवर्ग के नोटों का उत्पादन किया गया।
  • इसके साथ ही 2000 के नोट तैयार करने के लिए लैंडक्वार्ट एजी, स्विटजरलैंड से 1,000 टन कागज का आयात किया गया। परन्तु इस कागज का अब उपयोग नहीं किया जा रहा है क्योंकि अब नवीन 2,000 रुपए मुद्रा नोट का उत्पादन नहीं किया जा रहा है।

2021 की आरबीआई वार्षिक रिपोर्ट तीन क्षेत्रों पर केंद्रित है :-

  • नए श्रेडिंग और ब्रिकेटिंग सिस्टम की खरीद;
  • गंदे नोटों के निपटान में वृद्धि; तथा
  • करेंसी नोटों की सुरक्षा विशेषताओं की मजबूती का परीक्षण करने और नई सुरक्षा सुविधाओं की शुरूआत के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान करने के लिए एक अत्याधुनिक सुविधा की स्थापना।
  • संयोग से, कुछ समय पहले, यह निर्णय लिया गया था कि उच्च मूल्य के नोटों में प्रतिभूतिकरण के दो धागे होने चाहिए, परन्तु अभी तक ऐसा हो नहीं सका है।
  • नोट पेपर के माध्यम से पिरोया गया धागा तथा पतली रिबन जालसाजी से बचाने के लिए बैंकनोटों की एक सुरक्षा विशेषता है।
  • मार्च 2021 में आरबीआई द्वारा यह बताया गया कि 28.27 ट्रिलियन रुपए मूल्य के बैंक नोट प्रचलन में थे जो 2020 की अपेक्षा 16.8% अधिक था।
  • मार्च 2021 में प्रचलन में सिक्कों का मूल्य 26,870 करोड़ रुपए था।
  • यदयपि पॉलीमर करेंसी नोटों के उत्पादन की लागत कागज की तुलना में कहीं अधिक है परन्तु यह अधिक टिकाऊ है अतः यह पॉलिमर की आर्थिक लागत औचित्य को प्रदर्शित करता है।
  • विशेष रूप से, भारत में कम मूल्यवर्ग के करेंसी नोट आमतौर पर एक वर्ष से अधिक नहीं चलते हैं। परन्तु पॉलिमर से निर्मित नोटों का जीवन पांच वर्ष तक हो सकता है। परन्तु कागजी नोट के समर्थक यह तर्क देते हैं कि पॉलिमर मुद्रा की स्याही तेजी से घुल जाती है तथा इसके कारण पॉलिमर नोटों का जीवन कागजी नोट की तुलना में कम हो जाता है।
  • इसके साथ ही आरबीआई हाइब्रिड नोटों के निर्माण (पॉलिमर तथा कागज दोनों से) पर विचार कर रही है। हालांकि पॉलीमर मुद्रा के उत्पादन के लिए पशु वसा का कथित उपयोग की सम्भावना के कारण ये सभी योजनाएं स्थगित हैं।

निष्कर्ष :-

पॉलीमर नोटों पर पुनः विचार करने का समय आ गया है। वर्तमान में आरबीआई जलवायु संबंधी जोखिमों के बारे में बात कर रहा है तथा अन्य लाभों के साथ साथ यह भारत की वित्तीय प्रणाली को हरित समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता को पूर्ण करने का प्रयास कर रहा है।

स्रोत - Business Standards

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3:
  • भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
  • संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • भारत में पॉलिमर बैंक नोट के प्रयोग के लाभ तथा हानियों का विश्लेषण करें।

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