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Daily-current-affairs / 16 Feb 2022

नॉर्ड स्ट्रीम 2: ऊर्जा, यूरोप और यूक्रेन संकट - समसामयिकी लेख

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की-वर्ड :- नॉर्ड स्ट्रीम 2, यूक्रेन संकट, नॉर्ड स्ट्रीम 2 की भू-राजनीति, अमेरिका और यूरोपीय संघ और गैस, जर्मनी का हस्तक्षेप, नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर यूरोप की चिंताएं, नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर यूक्रेन की चिंताएं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रूस द्वारा यूक्रेन सीमा से कुछ सैनिको के वापसी की घोषणा की गई है, परन्तु अभी भी अमेरिका रूस-से-जर्मनी नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन के लिए चिंतित है।

वर्तमान में कुछ विशेषज्ञ नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को भू-राजनैतिक शस्त्र के रूप में देख रहे हैं।

नॉर्ड स्ट्रीम 2 के बारे में :-

नॉर्ड स्ट्रीम 2 बाल्टिक सागर के नीचे 1,200 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन है जो सेंट पीटर्सबर्ग के पास रूसी तट से जर्मनी में लुबमिन तक गैस पहुंचाएगी।

इसके निर्माण में 8.4 बिलियन यूरो का व्यय किया गया है तथा यह पाइपलाइन सितम्बर 2021 में पूर्ण हो गई है।

रूस के स्वामित्व वाली ऊर्जा कंपनी गाजप्रोम द्वारा इस परियोजना का 50% व्यय वहन किया गया है शेष भाग का भुगतान पश्चिमी ऊर्जा फर्म (शेल) और फ्रांस की ENGIE कम्पनियां कर रही हैं।

इस पाइपलाइन के क्रियान्वित होने के लिए जर्मन सर्टिफिकेशन की आवश्यकता है। नॉर्ड स्ट्रीम 2 मौजूदा गैस पाइपलाइन, नॉर्ड स्ट्रीम के समानांतर है। नॉर्ड स्ट्रीम 2011 से परिचालन में है।

इन दोनों पाइपलाइनों के माध्यम से यूरोप में प्रतिवर्ष लगभग 110 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस यूरोप तक पंहुचा सकती हैं। यह यूरोपीय संघ की सकल ऊर्जा आवश्यकता का 2/3 भाग है।

परियोजना के समर्थक :-

  • स्पष्ट रूप से, रूस और जर्मनी दोनों इस परियोजना का समर्थन करते हैं।
  • परन्तु वर्तमान में जर्मनी में तीन अलग अलग दलों की नवगठित सरकार में नॉर्ड स्ट्रीम 2 को परिचालित करने के सन्दर्भ में अलग अलग राय है।
  • उदाहरणस्वरूप- ग्रीन्स, इस परियोजना को भू-रणनीतिक और जलवायु नीति कारणों आधार पर अस्वीकार कर रहे हैं। जबकि उदारवादी एफडीपी इस पर तत्काल कार्यवाही के समर्थक हैं।
  • सैद्धांतिक रूप से, जर्मनी रूसी गैस पर निर्भर है, जिसे हरित संक्रमणीय काल का ईंधन माना जाता है।
  • कच्चा माल प्राप्त करने तथा देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पाइपलाइन अपेक्षाकृत सस्ता तरीका है।
  • मॉस्को को भी इससे लाभ होगा। उसे अपनी गैस के विक्रय के बदले वित्तीय रिटर्न मिलेगा।
  • रूस से जर्मनी तक हर साल करीब 55 अरब क्यूबिक मीटर गैस बाल्टिक सागर के मार्ग से पहुंचाई जानी है।
  • ऑपरेटिंग कंपनी के अनुसार, यह 26 मिलियन घरों को आपूर्ति कर सकता है।

यूरोप की चिंताएं :-

  • यूक्रेन इस गैस पाइपलाइन से नाराज है क्योंकि इस परियोजना में यूक्रेन को बायपास किया गया है। इससे यूक्रेन को रूसी गैस के निर्यात में प्राप्त होने वाले पारगमन शुल्क की हानि होगी।
  • इसके साथ ही यह परियोजना स्थलीय पाइपलाइनों के लिए एक विकल्प प्रदान करती है जिससे कई देशों को पारगमन शुल्क की हानि हो सकती है।
  • यह भी आशंका जताई गई है कि इस परियोजना के माध्यम से रूस यूरोप को अपने गैस निर्यात की स्थिति को बिना संकट में डाले यूक्रेन की गैस आपूर्ति में कटौती कर सकता है।
  • यह यूरोप की गैस आपूर्ति क्षेत्र में रूस के प्रभुत्व को बढ़ा सकता है।
  • इस स्थिति के फलस्वरूप कुछ देशों में रूस और जर्मनी के बाकी यूरोप के विरुद्ध एक साथ आने की पुरानी आशंकाओं को जगा दिया है।
  • यूरोपीय संघ के कुछ देश अपने जल क्षेत्र में रूस की उपस्थिति से सशंकित हैं। जर्मनी में प्रवेश करने के पूर्व फिनलैंड, स्वीडन और पोलैंड के क्षेत्र के बाल्टिक सागर के नीचे जाने वाली 1,222 किलोमीटर की पाइपलाइन की रक्षा करने की आवश्यकता है।

अमेरिका की चिंताएं :-

  • संयुक्त राज्य अमेरिका का मानना है कि यह पाइप लाइन रूस को आर्थिक लाभ प्रदान करेगी इसके साथ ही साथ यूरोप पर रूसी प्रभुत्व को स्थापित करने में सहायक होगी।
  • यह यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के खतरे को बढ़ाएगी तथा इस परियोजना की सफलता रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन को रोकने के अमेरिकी प्रयासों में बाधक का कार्य करेगी।
  • अमेरिका प्रारम्भ से ही इस परियोजना का विरोध करता रहा है, लेकिन तत्कालीन चांसलर एंजेला मर्केल के नेतृत्व में जर्मनी ने इस परियोजना में विशेष रुचि दिखाई थी।
  • यूक्रेन पर मौजूदा संकट से पहले भी, अमेरिका ने पाइपलाइन परियोजना के खिलाफ कुछ प्रतिबंध लगाए थे।
  • हालाँकि मई 2021 में बिडेन प्रशासन ने कूटनीति को महत्व देते हुए इस परियोजना पर दो महत्वपूर्ण प्रतिबन्ध हटा लिए।
  • जुलाई 2021 में, राष्ट्रपति जो बिडेन तथा चांसलर मर्केल इस मुद्दे पर सहमत हुए कि रूस इस पाइपलाइन का प्रयोग यूक्रेन के विरुद्ध नहीं करेगा।
  • हालांकि एंजेला मर्केल ने यह भी कहा था कि "दोनों पक्षों ने इस परियोजना में सम्मिलित आयामों के लिए अलग अलग आंकलन किये हैं।"
  • दोनों ही नेता ट्रान्साटलांटिक गठबंधन के विघटन को रोकने के पक्ष में उत्सुक दिखे, क्योंकि अमेरिकी प्रतिबन्ध से न सिर्फ रूस, जर्मनी बल्कि इस परियोजना के अन्य समर्थक यथा फ्रांस, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड भी प्रभावित हो सकते थे। परन्तु कुछ विशेषज्ञ इसे अमेरिका के आत्मसमर्पण के रूप में भी देख रहे हैं।
  • पिछले कुछ समय से बिडेन प्रशासन इस पर जोर दे रहा है कि यदि रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 को सर्वप्रथम निशाना बनाया जाएगा।
  • कुछ विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका आर्थिक साझेदारी में रूस और जर्मनी के एक साथ आने को यूरोप में सुरक्षा के गारंटर के रूप में अपनी भूमिका को आगे बढ़ाने के अग्रदूत के रूप में देखता है।
  • अमेरिका नॉर्ड स्ट्रीम 2 को उस व्यवस्था के संकट के रूप में देखता है जो द्वितीय विश्व युद्ध के अंत और शीत युद्ध की आरम्भ से अस्तित्व में है।

जर्मन हस्तक्षेप :-

  • यूक्रेन संकट पर हुई बैठक में अनुपस्थिति के सन्दर्भ में घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाओं का सामना करने के उपरान्त ओलाफ स्क्लोज (जर्मन चांसलर) ने अमेरिका की यात्रा की।
  • यहाँ तक कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी यूक्रेन और रूस के बीच शटल डिप्लोमेसी की अनुशंसा की है।
  • स्कोल्ज़ ने आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर जर्मनी नाटो से अलग राय नहीं रखता।
  • लेकिन यह देखा गया कि उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान नॉर्ड स्ट्रीम शब्द का उच्चारण नहीं किया।
  • मैक्रों की तरह, स्कोल्ज़ ने भी यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत की और पुतिन के साथ बातचीत के लिए मास्को की तरफ प्रस्थान किया। यहाँ तक कि जब जर्मनी ने अपना पक्ष रखा उसी दिन रूस ने यूक्रेन सीमा से आंशिक सैन्य वापसी की घोषणा की।
  • यद्यपि यह स्पष्ट नहीं है कि रूस की सेना की वापसी में स्कोल्ज़ का योगदान है या नहीं परन्तु इसके उपरान्त जर्मन चांसलर की छवि में सुधर अवश्य हुआ।

अमेरिका, यूरोपीय संघ और गैस :-

  • नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों (ओबामा, ट्रम्प और अब बिडेन) द्वारा संचालित प्रशासन द्वारा विरोध दर्ज किये जाने से पुनः यह प्रश्न जीवंत हो गया कि क्या अमेरिका तेल (इस मामले में गैस) के लिए संघर्ष को बढ़ावा दे रहा है ?
  • 2019 के आंकड़ों के अनुसार, यूरोपीय संघ अपनी गैस आवश्यकता का 5% से भी कम अमेरिका से आयात करता है (शीर्ष चार आपूर्तिकर्ता देश- रूस 41%, नॉर्वे 16%, अल्जीरिया 7.6% और कतर 5.2% हैं)।
  • लेकिन पिछले दशक के मध्य से एलएनजी के शुद्ध निर्यातक के रूप में, अमेरिका अपने बाजारों का विस्तार करना चाहता है तथा यूरोपीय महाद्वीप में अपनी पहुंच स्थापित करना चाहता है।
  • एक अनुमान के अनुसार, अमेरिकी गैस का 23% निर्यात अब यूरोपीय संघ में होता है। 2021 में यह निर्यात 21 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) के उच्च स्तर तक पहुंच गया है।
  • खरीदारों में फ्रांस, इटली, स्पेन, ग्रीस, पुर्तगाल और कई छोटे देश शामिल हैं।
  • कुछ विषेशज्ञों द्वारा अमेरिकी निर्यात को यूरोप की ऊर्जा आपूर्ति के विविधीकरण और इसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • जनवरी में युद्ध जैसे माहौल के बीच यूरोप ने रूस से ज्यादा अमेरिका से गैस का आयात किया है।

निष्कर्ष :-

यूक्रेन को बायपास कर रूस से प्रत्यक्ष व्यापार की प्रवृत्ति से यूक्रेन की आय कम हुई है। हालाँकि, यूरोप और जर्मनी रूस की गैस पर निर्भर हैं तथा मौजूदा संघर्ष में इनकी निर्भरता उजागर हो गई है। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 यूक्रेन से युद्ध के सन्दर्भ में रूस के लिए निवारक तथा दंड दोनों की भूमिका में है।

स्रोत - इंडियन एक्सप्रेस

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2
  • द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन के आसपास की भू-राजनैतिक स्थिति का मूल्यांकन करें। [250 शब्द]

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