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Daily-current-affairs / 07 Nov 2024

नेपाल-चीन के मजबूत होते संबंध: भारत-नेपाल संबंधों पर प्रभाव -डेली न्यूज़ एनालिसिस

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सन्दर्भ:

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अगले महीने चीन की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा करेंगे, जोकि उनके पदभार ग्रहण करने के चार माह बाद एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल को इंगित करता है। यह यात्रा, जोकि 2 से 5 दिसंबर तक प्रस्तावित है, नेपाल के प्रधानमंत्रियों द्वारा अपनी प्रारंभिक अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में भारत को प्राथमिकता देने की पारंपरिक प्रथा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है। यह निर्णय नेपाल के विदेश संबंधों में विविधता लाने के प्रयासों को प्रतिबिंबित करता है और इसके कूटनीतिक दृष्टिकोण के पुनर्मूल्यांकन का संकेत भी देता है, विशेषकर अपने दो प्रमुख पड़ोसी देशों, भारत और चीन के बीच संतुलन साधने के संदर्भ में।

  •  यह यात्रा नेपाल, भारत और चीन के बीच के व्यापक सामरिक संबंधों को समझने का अवसर प्रदान करती है। साथ ही, यह इस बात का आकलन करने का अवसर देती है कि चीन के साथ नेपाल के बढ़ते संबंध भारत के साथ उसके दीर्घकालिक संबंधों को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं, विशेषकर व्यापार, राजनीतिक सहयोग, सुरक्षा, ऊर्जा तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में।

भारत और नेपाल के बीच सहयोग के क्षेत्र:

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की आगामी चीन यात्रा और नेपाल के बीजिंग के साथ बढ़ते संबंध, भारत के लिए विभिन्न आयामों पर नेपाल के साथ अपने संबंधों को सुदृढ़ और मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

1. व्यापार और विकास

व्यापार और निवेश: भारत ऐतिहासिक रूप से नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रमुख स्रोत रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा, हालांकि व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा। नेपाल की आर्थिक निर्भरता भारत को उसके निर्यात में विविधता लाने और आर्थिक लचीलापन बढ़ाने में सहयोग करने का अवसर प्रदान करती है।

कनेक्टिविटी और विकास साझेदारी: भारत ने नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास में सक्रिय योगदान दिया है, विशेषकर निम्नलिखित माध्यमों से कनेक्टिविटी को सुदृढ़ कर:

·        भेरी गलियारा, निजगढ़-इनारुवा गलियारा, और गंडक-नेपालगंज गलियारा के विकास के लिए 680 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता।

·        सीमा पार व्यापार को सुविधाजनक बनाने हेतु 2023 में भारत में रुपैदिहा और नेपाल में नेपालगंज में जुड़वां एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) की स्थापना।

·        नेपाल को भारत के अंतर्देशीय जलमार्गों तक पहुँच प्रदान करने के लिए एक संशोधित पारगमन संधि, जिससे नेपाली वस्तुओं के लिए एक लागत-प्रभावी व्यापार मार्ग उपलब्ध हो सके।

इन पहलों के माध्यम से भारत नेपाल के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना और आपसी विकास को बढ़ावा देना चाहता है। हालाँकि, ओली की चीन यात्रा से संभावित चीनी निवेश बढ़ सकता है, जिससे नेपाल की बुनियादी ढाँचा प्राथमिकताएँ चीन की ओर स्थानांतरित हो सकती हैं।

2. राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग

राजनीतिक सहयोग: भारत और नेपाल के बीच उच्च स्तरीय यात्राएँ भारत कीपड़ोसी पहलेनीति के तहत नेपाल के महत्व को रेखांकित करती हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री ओली द्वारा अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए चीन को प्राथमिकता देने का निर्णय नेपाल के कूटनीतिक रुख में पुनर्गठन का संकेत दे सकता है, जिसे भारत को अपने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से सुसंगत तरीके से संबोधित करने की आवश्यकता है।

रक्षा सहयोग: भारत और नेपाल के बीच रक्षा संबंधों में शामिल हैं:

    • भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में नेपाली सैनिकों की भर्ती।
    • सूर्य किरणनामक वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास, जो दोनों देशों के मध्य आयोजित होता है और सैन्य सहयोग एवं आपसी विश्वास को सुदृढ़ करता है।

बीबीआईएन (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल), बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल), और सार्क जैसे क्षेत्रीय मंचों पर भारत और नेपाल दोनों सक्रिय साझेदार हैं, जो क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में नेपाल की हालिया सदस्यता अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के नए अवसर प्रदान करती है।

हालाँकि, प्रधानमंत्री ओली की चीन के साथ बढ़ती भागीदारी इन बहुपक्षीय मंचों में नेपाल की प्राथमिकताओं और संरेखण को प्रभावित कर सकती है, विशेषकर यदि नेपाल चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत परियोजनाओं को अधिक आक्रामक रूप से आगे बढ़ाता है।

3. ऊर्जा सहयोग:

·        पावर एक्सचेंज समझौता: भारत और नेपाल के मध्य 1971 से पावर एक्सचेंज समझौता  है, जिससे दोनों देशों को सीमावर्ती क्षेत्रों में ऊर्जा की मांग को पूरा करने में मदद मिलती है। 2023 में, भारत ने नेपाल के पहले त्रिपक्षीय बिजली व्यापार समझौते को मंजूरी दी, जिससे नेपाल भारत के माध्यम से बांग्लादेश को 40 मेगावाट बिजली निर्यात कर सकेगा। यह व्यवस्था क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग की संभावना का उदाहरण है जिससे तीनों देशों को लाभ होता है।

·        जलविद्युत सहयोग: जलविद्युत भारत और नेपाल के बीच सहयोग का एक केंद्रीय क्षेत्र रहा है। संयुक्त जलविद्युत परियोजनाएँ नेपाल के प्रचुर जल संसाधनों का लाभ उठाती हैं, नेपाल की ऊर्जा माँगों को पूरा करती हैं और ऊर्जा निर्यात को बढ़ावा देती हैं। इन परियोजनाओं का महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक महत्व है, क्योंकि नेपाल के जलविद्युत क्षेत्र में भारत के समर्थन को नेपाल में चीन के बुनियादी ढाँचे के निवेश के प्रति संतुलन के रूप में देखा जा सकता है।

4. सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंध:

·        सांस्कृतिक आदान-प्रदान: भारत और नेपाल के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंध और लोगों के बीच घनिष्ठ जुड़ाव हैं, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में। स्वदेश दर्शन योजनाके तहत बौद्ध और रामायण सर्किट जैसी पहलें नेपाल के धार्मिक स्थलोंजैसे लुम्बिनी और जनकपुरको भारत के धार्मिक स्थलों से जोड़ती हैं, जिससे पर्यटन को प्रोत्साहन मिलता है और सांस्कृतिक संबंध मजबूत होते हैं।

·        आपदा प्रबंधन: संकट के समय में भारत नेपाल का प्रमुख सहयोगी रहा है। 2015 के नेपाल भूकंप के बाद भारत ने ऑपरेशन मैत्रीके तहत तत्काल राहत और सहायता प्रदान की। कोविड 19 महामारी के दौरान वैक्सीन मैत्रीपहल के तहत भारत ने नेपाल को कोविशील्ड वैक्सीन की आपूर्ति की, जिससे मानवीय सहयोग को और सुदृढ़ किया गया।

भारत-नेपाल संबंधों में प्रमुख मुद्दे:

  •  सीमा विवाद:नेपाल द्वारा 2020 में प्रकाशित नए राजनीतिक मानचित्र में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख के विवादित क्षेत्रों को शामिल किए जाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ। यह क्षेत्रीय मुद्दा अभी भी अनसुलझा है और इसे और अधिक बढ़ने से रोकने हेतु कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है।
  • चीनी प्रभाव:नेपाल में चीन की बढ़ती आर्थिक साझेदारी, विशेष रूप से BRI परियोजनाओं के माध्यम से, भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती बन गई है। चीन के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव के कारण नेपाल के परंपरागत रूप से भारत से जुड़े मुद्दों पर दृष्टिकोण में बदलाव सकता है, जिससे भारत को अपनी स्थिति बनाए रखने हेतु सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है।
  •  विश्वास की कमी:परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भारत की धीमी गति और कथित राजनीतिक हस्तक्षेप की धारणा ने द्विपक्षीय संबंधों में विश्वास की कमी को बढ़ावा दिया है। विकास परियोजनाओं में तेजी लाकर और नेपाल की संप्रभुता के प्रति सम्मान दर्शाकर भारत इन चिंताओं को दूर कर सकता है।
  •  सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा संबंधी चुनौतियां हैं, जिससे हथियारों की तस्करी, आतंकवादी गतिविधियाँ और जाली मुद्रा का प्रवाह होता है। इन सुरक्षा जोखिमों से निपटने के लिए सीमा प्रबंधन में सहयोग बढ़ाना बहुत ज़रूरी है।
  • गोरखा भर्ती: हाल ही में नेपाल ने भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती रोक दी है,क्योंकि उसका कहना है कि अग्निपथ योजना 1947 के त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन करती है। इससे रक्षा संबंधों में तनाव बढ़ गया है, जिसके समाधान के लिए कूटनीतिक बातचीत की आवश्यकता है।
  • 1950 की शांति और मैत्री संधि: नेपाल ने इस संधि की आलोचना करते हुए इसे पुराना बताया है और वर्तमान वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए इसमें संशोधन की वकालत की है। प्रख्यात व्यक्तियों के समूह द्वारा अनुशंसित संधि पर पुनर्विचार करने से तनाव कम करने में मदद मिल सकती है और नेपाल की स्वायत्तता के प्रति भारत का सम्मान प्रदर्शित हो सकता है।

निष्कर्ष:

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की आगामी चीन यात्रा नेपाल के विकसित हो रहे कूटनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। पारंपरिक रूप से भारत नेपाल का निकटतम सहयोगी रहा है, लेकिन ओली का अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन पर ध्यान केंद्रित करना एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है, जिसे भारत को सूक्ष्म और रणनीतिक दृष्टिकोण से संबोधित करने की आवश्यकता है। भारत के लिए, नेपाल के साथ मजबूत संबंध बनाए रखना आवश्यक है, विशेषकर चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच। इसके लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो विकास साझेदारी, सुरक्षा सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों पर विशेष जोर देता है। साझा इतिहास और आपसी हितों से जुड़े इन पड़ोसियों के बीच निरंतर संवाद, विश्वास और सहयोगी प्रयासों को प्राथमिकता देना अनिवार्य है, ताकि साझा समृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता को सुदृढ़ किया जा सके।

 

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत-नेपाल संबंधों के आर्थिक आयामों का विश्लेषण करें। चीन के साथ नेपाल के बढ़ते संबंधों का नेपाल में भारत की विकास परियोजनाओं और आर्थिक संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?