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Daily-current-affairs / 13 Mar 2024

भारत-अमेरिका साझेदारी: उपलब्धियां, चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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सन्दर्भ:

  • हाल ही में नई दिल्ली में, संसाधनों के प्रबंधन के लिए राज्य के उप सचिव और भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड आर. वर्मा ने; भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच विकसित होते संबंधों का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया है। पिछले 77 वर्षों में, भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय संबंधों में अभूतपूर्व परिवर्तन आये है, जो विशेष रूप से 21वीं सदी के व्यापक परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है।
  • इस दौरान जो बात पहले संदेह के घेरे में थी, वह अब द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तरों पर साझा हितों द्वारा संचालित और प्रेरित है। इस लेख का उद्देश्य वर्ष 2023 के परिदृश्य में भारत-अमेरिका संबंधों के विकास का समग्र विश्लेषण करना और उनके सहयोगात्मक पहलों के दौरान उत्पन्न चुनौतियों के संभावित समाधन का वर्णन करना है। इसके अलावा, यह लेख द्विपक्षीय साझेदारी के भविष्य के प्रक्षेप पथ के लिए इन विकासों के निहितार्थ का आकलन करता है।

 

भारत-अमेरिका भागीदारी सम्बंधित 2023 के प्रमुख बिंदु:

  • वर्ष 2023 में, भारत और अमेरिका के बीच की साझेदारी ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में उनके सहयोग की व्यापकता को दर्शाता है। इनमें से एक प्रमुख उपलब्धि वाशिंगटन डीसी में उभरती हुई प्रौद्योगिकियों (iCET) पर अमेरिका-भारत पहल का शुभारंभ था। यह अग्रणी प्रयास, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवान के नेतृत्व में किया गया, जो दोनों देशों की तकनीकी विकास के लिए उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। iCET पहल का लक्ष्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम टेक्नोलॉजी और जैव प्रौद्योगिकी जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार करना है, ताकि भारत को वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में एक प्रमुख प्रतिस्पर्धी के रूप में स्थापित किया जा सके।
  • उच्च स्तरीय वार्ताओं और संयुक्त बयानों ने वर्ष 2023 में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के संबंधों को एक नई दिशा दी है और मजबूत भी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून में अमेरिका की राजकीय यात्रा, उसके बाद सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति जो बिडेन की भारत यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों के महत्व को रेखांकित किया। इन यात्राओं का समापन विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर करने के साथ हुआ, जिसमें आपसी हित और सहयोग के क्षेत्रों को प्रमुखता दी गई। इसके अतिरिक्त, नवंबर में आयोजित वार्षिक 2+2 बैठकों ने लोकतंत्र, मानवाधिकारों और बहुलवाद के लिए साझा प्रतिबद्धताओं पर जोर देते हुए रणनीतिक संवाद के लिए एक मंच प्रदान किया। विशेष रूप से, इन बैठकों के दौरान जारी किए गए संयुक्त बयानों ने चल रहे वैश्विक संघर्षों को संबोधित किया, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष जैसे मुद्दों पर एक एकीकृत विचारों की पुष्टि देखी गई।

रक्षा संबंध:

  • रक्षा सहयोग के क्षेत्र में, वर्ष 2023 का समझौता भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास है। रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए रोडमैप और भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र (INDUS X) जैसी पहलों ने रक्षा सहयोग को पुनर्जीवित करने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। विशेष रूप से, इंडस-एक्स (INDUS X) पहल का उद्देश्य खुफिया, निगरानी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में तकनीकी नवाचार और विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना है। इसके अलावा, भारत में GEF- 414 जेट इंजनों के निर्माण के लिए जनरल इलेक्ट्रिक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) जैसी रणनीतिक साझेदारी दोनों देशों के बीच रक्षा औद्योगिक सहयोग को गहरा करने का संकेत देती है।
  • हालांकि, इन समझौतों के कार्यान्वयन में आज भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं, विशेष रूप से नियामक ढांचे और खरीद प्रक्रियाओं से संबंधित; जबकि विधायी बाधाओं को दूर करने के व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए रक्षा सहयोग पहलों के निर्बाध निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी एजेंसियों का आगे संरेखण और खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना आवश्यक है। साथ ही साथ, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का मुद्दा भी इस साझेदारी का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिससे भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच नियामक बाधाओं को दूर करने और नवाचार सहयोग को बढ़ावा देने के निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।

व्यापार और आर्थिक बाधाएं: नई पहल

  • व्यापार और आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में, 2023 में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में लंबे समय से चले रहे विवादों का समाधान हुआ, जो भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। डब्ल्यूटीओ में सात बकाया विवादों का समाधान विभिन्न व्यापार बाधाओं को समाप्त करने और अधिक से अधिक आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इसके अतिरिक्त, भारत-अमेरिका व्यापार नीति मंच की बैठक और बाजार पहुंच के मुद्दों सहित टैरिफ शुल्कों पर चर्चा जैसी पहल, द्विपक्षीय व्यापार में बाधा उत्पन्न करने वाली प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक ठोस प्रयास को संरेखित करती हैं।
  • इसके अलावा, सहयोग के लिए नित नए विकल्पों की खोज, द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौता और भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (आईएमईसी), दोनों देशों के मध्य साझेदारी की विकसित प्रकृति को उजागर करता है। इन पहलों का उद्देश्य भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सेवा व्यापार को बढ़ाना और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है। हालाँकि, दोनों पक्षों की राजनीतिक संवेदनशीलताएँ और घरेलू चिंताएँ व्यापार संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं, तथापि इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। जिसके माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के लिए अधिक अनुकूल माहौल को बढ़ावा देकर नियामक सुधार, बाजार पहुंच वार्ता और रणनीतिक बातचीत को सुगम बनाया जा सके।

हिंद-प्रशांत और मध्य पूर्व गतिशीलता:

  • भू-राजनीतिक क्षेत्र में, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने रणनीतिक सहयोग को मजबूत किया है। ताइवान संकट के दौरान, भारत की संभावित भूमिका के बारे में अटकलें दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक अभिसरण को रेखांकित करती हैं। इसके अलावा, मध्य पूर्व में भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा (आई. एम. . सी.) जैसे संयुक्त उद्यम क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए एक साझा प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। हालाँकि, इन साझा प्रयासों की चुनौतियां भी विचारणीय हैं, विशेष रूप से क्षेत्र में चल रहे संघर्षों के आलोक में। उदाहरण के लिए, इज़राइल-हमास संघर्ष, जिसने राजनयिक संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है और साझेदारी के विषयों को प्रश्नांकित किया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में खालिस्तान समर्थक तत्वों की उपस्थिति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बनी हुई है, जो प्रवासी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा खतरों की जटिलताओं को उजागर करती है। इस सन्दर्भ में आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के बीच किया जाने वाला सहयोग सराहनीय है। अतः चरमपंथ के मूल कारणों को संबोधित करने और अमेरिकी धरती पर भारत विरोधी गतिविधियों के प्रसार को रोकने के लिए अधिक मजबूत उपायों की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, द्विपक्षीय बाधाओं को दूर करने में अधिक संवेदनशीलता और निष्पक्षता की आवश्यकता भारत-अमेरिका संबंधों को रेखांकित करने वाले लोकतांत्रिक और बहुलवादी लोकाचार को बनाए रखने के महत्व को भी संरेखित करती है।

निष्कर्ष

  • वर्ष 2023 को भारत-अमेरिका संबंधों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज किया जाएगा। इस वर्ष विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व स्तर का सहयोग और रणनीतिक अभिसरण देखा गया। कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में सहयोग से लेकर रक्षा क्षेत्र में मजबूत भागीदारी और व्यापार एवं आर्थिक एकीकरण के प्रयासों तक, साझा हितों और पारस्परिक सम्मान की नींव पर भारत-अमेरिका साझेदारी निरंतर मजबूत होती जा रही है।
  • हालाँकि, भविष्य के रास्ते चुनौतियों से रहित नहीं है। विनियामक ढांचे में सामंजस्य स्थापित करना, भू-राजनीतिक तनावों को कम करना और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा खतरों का संयुक्त रूप से सामना करना दोनों देशों के लिए अनिवार्य कार्यक्षेत्र हैं। आने वाले समय में इन चुनौतियों का समाधान करना भारत-अमेरिका साझेदारी की पूरी क्षमता को उजागर करने और लोकतंत्र, मानवाधिकार और बहुलवाद के साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने में निर्णायक होगा। निरंतर संवाद, सार्थक सहयोग और रणनीतिक जुड़ाव के माध्यम से ही भारत और अमेरिका जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य में सफलतापूर्वक नेविगेट कर सकते हैं। साथ ही एक अधिक स्थायी, समृद्ध और समावेशी वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में प्रमुख भागीदार के रूप में स्वयं को स्थापित कर सकते हैं।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. प्रमुख समझौतों, पहलों और रणनीतिक संवादों पर प्रकाश डालते हुए वर्ष 2023 के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में हासिल किए गए महत्वपूर्ण मील के पत्थरों पर चर्चा करें। रक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के लिए इन विकासों के प्रभावों का विश्लेषण करें। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत-प्रशांत और मध्य पूर्व क्षेत्रों में रक्षा संबंधों, व्यापार संबंधों और भू-राजनीतिक गतिशीलता जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत-अमेरिका साझेदारी में चुनौतियों और अवसरों का आकलन करें। उभरते सुरक्षा खतरों और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए द्विपक्षीय अड़चनों को दूर करने और दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए आवश्यक रणनीतियों का मूल्यांकन करें। (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत: – Indian Express